Gorakhpur: कर्ज माफी की अफवाहों का जाल, परिवार के साथ संघर्ष.. खेत बेचे और घर छोड़ दिया- जानें कैसे उलझ गए ब्याज के चक्र में

Gorakhpur: कर्ज माफी की अफवाहों का जाल, परिवार के साथ संघर्ष.. खेत बेचे और घर छोड़ दिया- जानें कैसे उलझ गए ब्याज के चक्र में

Gorakhpur: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में, छोटे वित्त कंपनियों के जाल में फंसी महिलाएं और दुकानदार इस समय आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में फैली सूचनाओं के अनुसार, कई महिलाएं अपने परिवारों की जानकारी के बिना कर्ज लेती हैं और जब वे ब्याज नहीं चुका पातीं, तो वे अन्य कंपनियों से और कर्ज ले लेती हैं। इस चक्र में उलझने के कारण कुछ लोगों को अपने खेत बेचने पड़े और कई परिवार अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर हो गए।

कर्ज का चक्र

गांवों में छोटे वित्त कंपनियों की सक्रियता बढ़ती जा रही है। महिलाओं ने पहले कर्ज लिया, लेकिन जब वे इसे चुका नहीं पाईं, तो उनके लिए कर्ज चुकाना और भी मुश्किल हो गया। उदाहरण के लिए, पंडितपुर गांव के अर्जुन की पत्नी राधा ने डेढ़ साल पहले 40,000 रुपये का कर्ज लिया। इस कर्ज पर 24 प्रतिशत सालाना ब्याज लगाया गया, और कंपनी के एजेंट हर 15 दिन में कर्ज की वसूली के लिए आते थे। जब ब्याज बढ़ने लगा, तो अर्जुन ने एक और कंपनी से 40,000 रुपये का कर्ज लिया।

Gorakhpur: कर्ज माफी की अफवाहों का जाल, परिवार के साथ संघर्ष.. खेत बेचे और घर छोड़ दिया- जानें कैसे उलझ गए ब्याज के चक्र में

कर्ज केवल आधार कार्ड और स्वयं सहायता समूह की गारंटी के आधार पर आसानी से मिल जाता है। लेकिन जब ब्याज नहीं चुकाया गया, तो कर्ज देने वाली कंपनियों के एजेंट हर दिन आकर धमकी देने लगे। इस दबाव के कारण अर्जुन अपनी पत्नी के साथ घर छोड़कर सिद्धार्थनगर चले गए।

कर्ज माफी की अफवाह

हाल ही में, गोरखपुर के कई गांवों में कर्ज माफी की अफवाह फैल गई, जिससे महिलाएं इसे सच मानने लगीं। उन्होंने सोचा कि उनकी कर्ज माफ हो जाएगी। अब अधिकारी मोबाइल पर संदेश भेजकर उन्हें इस भ्रामक जानकारी से दूर रहने की चेतावनी दे रहे हैं।

महिलाएं और छोटे व्यवसायी

गांवों में छोटे वित्त कंपनियां विशेष रूप से उन क्षेत्रों में सक्रिय हैं, जहां महिलाएं सब्जी की खेती और स्वरोजगार में अधिक काम कर रही हैं। कंपनियां महिलाओं के संपर्क में आकर उन्हें आसानी से कर्ज देने लगती हैं। इस कारण से, महिलाएं अपने परिवारों की अनुमति के बिना कर्ज लेने के लिए मजबूर हो जाती हैं।

अमित गिरी नामक एक व्यक्ति, जो महेवा गांव का निवासी है, ने अपनी पत्नी के नाम से दो माइक्रो फाइनेंस कंपनियों से 40,000 रुपये का कर्ज लिया। उन्होंने बताया कि उन्होंने दुकान के लिए सामान खरीदा और बाकी पैसे खर्च कर दिए। इसके बाद उनकी पत्नी ने एक और कंपनी से 40,000 रुपये का कर्ज लिया।

जमीन बेचना और संकट में परिवार

अमित ने अपनी स्थिति को समझाते हुए कहा, “मुझे 80,000 रुपये पर 3,210 रुपये का ब्याज चुकाना पड़ा। उसके बाद, मेरी पत्नी ने एक और कंपनी से 40,000 रुपये का कर्ज लिया, जिसके बदले में मुझे 2,200 रुपये का ब्याज चुकाना पड़ा। घरेलू खर्चों को चलाना मुश्किल हो गया और मुझे कंपनी के लोगों और समूह के निदेशक से परेशान होना पड़ा। फिर मैंने 15 डिसमिल जमीन बेचकर दोनों कंपनियों का पैसा चुका दिया, लेकिन कर्ज अभी भी बाकी है।”

उन्होंने आगे कहा, “मैंने दोनों माइक्रो फाइनेंस कंपनियों से लगभग एक लाख रुपये का कर्ज लिया था। उनका ब्याज बहुत अधिक था और मैं इसे चुकाने में असमर्थ था। अब मुझे जमीन बेचने का समय आ गया है। फाइनेंस कंपनी के लोग हर दिन मुझे धमकी दे रहे हैं। जब मुझे पता चला कि कर्ज माफी योजना आई है, तो मैं बहुत खुश हुआ। लेकिन कई महिलाओं ने मुझसे कहा कि वे गोरखनाथ मंदिर जा रही हैं।”

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