Gorakhpur: देनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) की कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने नेपाल के काठमांडू स्थित त्रिभुवन विश्वविद्यालय का दौरा करने का निर्णय लिया है। इस शैक्षणिक यात्रा का उद्देश्य दोनों विश्वविद्यालयों के बीच संबंधों को मजबूत करना और भारत-नेपाल के बीच शैक्षणिक एवं शोध सहयोग को बढ़ावा देना है।
त्रिभुवन विश्वविद्यालय, जो नेपाल के सबसे बड़े विश्वविद्यालयों में से एक है, “5वां काठमांडू सिम्पोजियम ऑन एडवांस्ड मैटेरियल्स (KASM-2024)” का आयोजन 22 से 24 अक्टूबर तक कर रहा है। इस सम्मेलन का आयोजन डीडीयू, नेपाल पॉलिमर इंस्टीट्यूट (NPI) और जर्मनी के इंस्टीट्यूट फॉर पॉलिमर वर्कस्टॉफ़ (IPW), मर्सेबरग के सहयोग से किया जा रहा है। सिम्पोजियम में दुनिया भर के विद्वान, शोधकर्ता और छात्र विज्ञान और अनुसंधान के नवीनतम विकास पर चर्चा करेंगे।
सम्मेलन का उद्घाटन:
सिम्पोजियम के उद्घाटन सत्र में कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन मुख्य भाषण देंगी। उनके अनुसार, यह दौरा न केवल शैक्षणिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह त्रिभुवन विश्वविद्यालय के साथ संबंध स्थापित करने के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा, “यह साझेदारी हमारे विश्वविद्यालय की वैश्विक विस्तार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
शैक्षणिक सहयोग की आवश्यकता:
भारत और नेपाल के बीच शिक्षा और शोध के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। दोनों देशों के विश्वविद्यालयों के बीच मजबूत संबंध स्थापित करने से न केवल शैक्षणिक गुणवत्ता में वृद्धि होगी, बल्कि छात्रों के लिए अनुसंधान और विकास के नए अवसर भी प्राप्त होंगे। यह यात्रा इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो दोनों देशों के बीच ज्ञान और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देगी।
KASM-2024 की विशेषताएँ:
KASM-2024 में वैश्विक स्तर के शोधकर्ताओं और विद्वानों की भागीदारी होने की संभावना है, जो विभिन्न वैज्ञानिक विषयों पर चर्चा करेंगे। इसमें नवीनतम सामग्री विज्ञान, नैनो टेक्नोलॉजी, और अन्य उभरते क्षेत्रों पर शोध प्रस्तुत किए जाएंगे। यह सम्मेलन न केवल ज्ञान के आदान-प्रदान का मंच होगा, बल्कि यह छात्रों और शोधकर्ताओं को नेटवर्किंग के अवसर भी प्रदान करेगा।
प्रोफेसर पूनम टंडन की दृष्टि:
प्रोफेसर टंडन ने इस यात्रा के महत्व को उजागर करते हुए कहा कि “यह हमारे विश्वविद्यालय के लिए एक सुनहरा अवसर है। हम त्रिभुवन विश्वविद्यालय के साथ मिलकर शिक्षा, शोध और तकनीकी नवाचार में नई ऊँचाइयों तक पहुँचने की दिशा में कार्य करेंगे।”
समाज पर प्रभाव:
इस प्रकार की शैक्षणिक यात्राएँ और सम्मेलनों का आयोजन न केवल शैक्षणिक स्तर पर बल्कि समाज में भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। यह स्थानीय छात्रों और विद्वानों को वैश्विक शोध और विकास के प्रवाह में शामिल होने का अवसर प्रदान करता है।