Gorakhpur: गोरखपुर का आरोग्य मंदिर केवल गोरखपुर ही नहीं, बल्कि पूरे पूर्वांचल की धरोहर है। यह विश्व स्तरीय आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र है, जहां बिना दवाइयों के बीमारियों को हराने के प्रयास किए जाते हैं। पिछले 79 वर्षों से यह केंद्र लोगों की सेवा कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है। साथ ही, आरोग्य मंदिर विदेशों में भी आयुर्वेदिक केंद्र स्थापित करने में सहयोग कर रहा है।
आरोग्य मंदिर का अनोखा उपचार पद्धति
आरोग्य मंदिर में सूर्य, मिट्टी, जल, वायु, आहार और संयम के माध्यम से शरीर की बीमारियों का उपचार किया जाता है। अब तक 1 लाख से अधिक मरीजों ने यहां बिना दवाइयों के अपने रोगों से छुटकारा पाया है। इसके साथ ही, 2700 से अधिक लोगों ने यहां से आयुर्वेदिक चिकित्सा का प्रशिक्षण प्राप्त किया है और समाज को स्वास्थ्य का मंत्र दे रहे हैं।
नेचुरोपैथी दिवस पर विशेष कार्यक्रम
आज नेचुरोपैथी दिवस के अवसर पर आरोग्य मंदिर में मिट्टी लगाने का एक सप्ताह का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य शरीर को शुद्ध करना और त्वचा संबंधी समस्याओं का प्राकृतिक उपचार करना है। यह कार्यक्रम हर साल हजारों लोगों को आयुर्वेदिक उपचार के फायदों से परिचित कराता है। इस बार भी बड़ी संख्या में लोग इसमें भाग ले रहे हैं और शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य सुधारने के उपाय सीख रहे हैं।
डॉ. विमल मोदी ने बताया कि यह कार्यक्रम पिछले सात वर्षों से नि:शुल्क आयोजित किया जा रहा है, जहां लोग प्राकृतिक उपचार के माध्यम से अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के तरीके सीखते हैं।
आरोग्य मंदिर की स्थापना की प्रेरणादायक कहानी
आरोग्य मंदिर की स्थापना की कहानी भी बेहद प्रेरणादायक है। इसके संस्थापक विठल दास मोदी, जो स्नातक परीक्षा के दौरान गंभीर रूप से बीमार हो गए थे, तीन वर्षों तक एलोपैथिक दवाइयां लेने के बावजूद ठीक नहीं हो पाए। आखिरकार, उन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा का सहारा लिया और पूरी तरह ठीक हो गए। तभी उन्होंने संकल्प लिया कि वे इस प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को हर घर तक पहुंचाएंगे।
महात्मा गांधी के संपर्क में आने के बाद उनकी यह प्रतिज्ञा और मजबूत हुई। इसके बाद, उन्होंने 1940 में एक किराए के मकान में आरोग्य मंदिर की स्थापना की। 1962 में आरोग्य मंदिर को अपनी स्थायी इमारत मिली, जो अब मेडिकल कॉलेज रोड, आम बाग में स्थित है। यह केंद्र छह एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है और प्राकृतिक वातावरण से परिपूर्ण है।
प्रकाशित पुस्तकें और पत्रिका
इस केंद्र से अब तक 26 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं और “आरोग्य” नामक मासिक पत्रिका पिछले 72 वर्षों से देश और विदेश में प्राकृतिक चिकित्सा का संदेश फैला रही है।
आरोग्य मंदिर में उपचार पद्धति
यहां उपचार के लिए विभिन्न विधियों का उपयोग किया जाता है, जैसे:
- आहार नियंत्रण
- मालिश
- स्टीम बाथ
- सूर्य स्नान
- जल चिकित्सा
- उपवास
- मिट्टी पट्टी
- गीली पट्टी
- व्यायाम और योगासन
- सुबह और शाम की सैर
यहां आने वाले अधिकांश मरीज अस्थमा, कब्ज, मधुमेह, कोलाइटिस, अल्सर, उच्च रक्तचाप, गठिया, एक्जिमा, मोटापा और एलर्जी जैसी समस्याओं से ग्रसित होते हैं।
डॉ. विमल मोदी का योगदान
आरोग्य मंदिर के संस्थापक विठल दास मोदी के पुत्र और वर्तमान निदेशक डॉ. विमल मोदी अपने पिता की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। वे न केवल इस आयुर्वेदिक अस्पताल की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि इसकी ख्याति को भी बढ़ा रहे हैं। उन्होंने बताया कि देशभर और नेपाल से बड़ी संख्या में मरीज आरोग्य मंदिर में आते हैं, जहां उन्हें न केवल आयुर्वेदिक उपचार मिलता है, बल्कि एक ऐसा अपनापन भी अनुभव होता है, जो बीमारी को जल्दी ठीक करने में सहायक होता है।
स्वास्थ्य सुधार में आरोग्य मंदिर की भूमिका
आरोग्य मंदिर की सफलता और इसकी अनोखी उपचार पद्धति ने इसे केवल गोरखपुर ही नहीं, बल्कि पूरे देश और दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है। पिछले 79 वर्षों से यह केंद्र लोगों के स्वास्थ्य को सुधार रहा है और उनके उपचार के लिए एक नई दिशा प्रदान कर रहा है।
आरोग्य मंदिर प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में एक मिसाल है। इसका योगदान न केवल स्वास्थ्य के क्षेत्र में है, बल्कि यह आयुर्वेद और नेचुरोपैथी को बढ़ावा देने में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। विठल दास मोदी के सपने को साकार करते हुए, यह केंद्र आज भी लोगों के लिए स्वास्थ्य का एक आदर्श स्रोत बना हुआ है।