Waqf Board Meeting: वक्फ संशोधन बिल पर हुई संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक के दौरान भाजपा सांसद अभिजीत गांगोपाध्याय और टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी के बीच तीखी बहस हुई, जिसमें दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ गलत शब्दों का प्रयोग किया। इस विवाद के दौरान कल्याण बनर्जी को चोट भी आई। अब इस मामले में कल्याण बनर्जी का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने उस दिन की घटनाओं का पूरा ब्यौरा दिया है।
‘नियमों का सम्मान करता हूं’
इस मामले में टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, “मैं नियमों का बहुत सम्मान करता हूं। अभिजीत गांगोपाध्याय ने नियमों का उल्लंघन किया और प्रेस के सामने मेरे खिलाफ कुछ आरोप लगाए। उस दिन कांग्रेस सांसद नासिर हुसैन और अभिजीत गांगोपाध्याय के बीच पहले से ही बहस चल रही थी। मैंने इस मामले में हस्तक्षेप करने की कोशिश की, जिसके बाद विवाद और बढ़ गया।”
‘उन्होंने कहा- मुझे मारेंगे’
कल्याण बनर्जी ने बताया कि जब उन्होंने इस विषय पर सवाल किया, तो गांगोपाध्याय ने उनके माता-पिता और पत्नी के खिलाफ आपत्तिजनक बातें कहीं। उन्होंने कहा, “जब मैंने इसका प्रतिकार किया, तो उन्होंने कहा कि वो मुझे मार देंगे। वह अपनी कुर्सी छोड़कर मेरी ओर बढ़े। उस समय जेपीसी के अध्यक्ष बैठक में मौजूद नहीं थे।” इस घटना ने माहौल को और गर्म कर दिया, जिससे बैठक का अनुशासन भंग हो गया।
‘अध्यक्ष पर बोतल फेंकने का इरादा नहीं था’
इस घटना पर और स्पष्टता लाते हुए कल्याण बनर्जी ने कहा, “थोड़ी देर बाद अध्यक्ष आए और उन्होंने मुझे शांत रहने के लिए कहा, जिससे मुझे गुस्सा आया। मैंने बोतल को टेबल पर मारा। जब मेरे हाथ से खून निकला, तो मैंने बोतल छोड़ दी और वह लुढ़क गई। मेरा अध्यक्ष पर बोतल फेंकने का कोई इरादा नहीं था। मैंने इसके लिए चार बार माफी भी मांगी।” इस बयान से बनर्जी ने अपनी ओर से स्थिति को स्पष्ट करने की कोशिश की और बताया कि उन्होंने जानबूझकर कोई हिंसात्मक कदम नहीं उठाया।
निलंबन और एफआईआर की मांग
इस विवाद के बाद जेपीसी से एक दिन के लिए कल्याण बनर्जी को निलंबित कर दिया गया था। साथ ही, बैठक में शामिल तीन भाजपा सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर कल्याण बनर्जी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग की है। भाजपा सांसदों ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए बनर्जी पर कड़ी कार्रवाई की अपील की है। उनका मानना है कि ऐसी घटनाएं संसदीय मर्यादा को ठेस पहुंचाती हैं और लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसी घटनाओं की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
‘अध्यक्ष के पास निलंबन का अधिकार नहीं’
कल्याण बनर्जी ने निलंबन के फैसले पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि जेपीसी के अध्यक्ष के पास सदस्य को निलंबित करने का अधिकार नहीं है। केवल लोकसभा अध्यक्ष ही किसी सदस्य को निलंबित कर सकते हैं। उन्होंने इस फैसले को गलत ठहराया और इसे संसदीय नियमों का उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा, “सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार केवल स्पीकर को होता है। अध्यक्ष ने इस अधिकार का गलत इस्तेमाल किया है।”
संसद में अनुशासन की आवश्यकता
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि संसद में अनुशासन बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। विवाद और बहस संसदीय प्रक्रिया का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन जब यह व्यक्तिगत आक्षेप और आक्रमकता में बदल जाते हैं, तो यह लोकतंत्र की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं। संसदीय प्रक्रिया में विचारों का आदान-प्रदान होता है, और ऐसे मामलों में संयम और अनुशासन बनाये रखना आवश्यक है। कल्याण बनर्जी और अभिजीत गांगोपाध्याय जैसे वरिष्ठ नेताओं को अपने व्यवहार में सुधार लाना चाहिए ताकि संसद की मर्यादा बनी रहे।