Uttar Pradesh Assembly by -election 2024 में सीसामऊ सीट पर होने वाले चुनावी मुकाबले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) को हराना बड़ी चुनौती साबित हो रही है। सीसामऊ विधानसभा सीट पर सपा ने अपने उम्मीदवार के तौर पर पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी का नाम घोषित कर दिया है। सपा ने पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक फार्मूले (पीडीए) पर जोर देते हुए चुनावी माहौल तैयार करना शुरू कर दिया है।
वहीं, भाजपा की ओर से पिछले 28 वर्षों से इस सीट के लिए उम्मीदवार बनने का इंतजार कर रहे सैकड़ों दावेदार पार्टी के बड़े नेताओं के दरवाजे खटखटा रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दावेदार भी मैदान में सक्रिय हो गए हैं। कांग्रेस, जो लोकसभा चुनावों में इंडिया गठबंधन का हिस्सा रही है, की स्थिति अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। वह भी इस सीट पर अपनी संभावनाएं तलाश रही है। ऐसे में सीसामऊ का यह चुनावी मुकाबला बेहद रोमांचक होने की संभावना है।
उपचुनाव की तारीखों की घोषणा
सीसामऊ विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तारीखों की घोषणा होते ही मंगलवार शाम से ही प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। भाजपा इस सीट पर लगातार हार के सिलसिले को तोड़ने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। हाल ही में लखनऊ और दिल्ली में हुई बैठकों में भाजपा के उम्मीदवार को लेकर महत्वपूर्ण चर्चाएं की गई हैं, लेकिन नाम की आधिकारिक घोषणा से पहले सभी दावेदार अपनी आखिरी कोशिशों में जुटे हुए हैं।
भाजपा की 1996 के बाद पहली जीत की कोशिश
भाजपा इस सीट पर 1991, 1993 और 1996 में जीत हासिल कर चुकी है, लेकिन इसके बाद से उसे यहां पर हार का सामना करना पड़ा है। 2002 में कांग्रेस के संजीव दरियाबाद ने यह सीट भाजपा से छीन ली थी। इसके बाद से भाजपा इस सीट को वापस पाने में नाकाम रही है। भाजपा के तीन बार के विधायक रहे राकेश सोनकर का टिकट बदलने के फैसले का भी पार्टी को नुकसान झेलना पड़ा है।
वर्तमान में भाजपा के साथ सबसे बड़ा नाम विधान परिषद सदस्य सलील विष्णोई का है। इसके अलावा पूर्व विधायक राकेश सोनकर, सुरेश अवस्थी, कांग्रेस से पूर्व विधायक अजय कपूर, श्रमिक प्रकोष्ठ के राज्य संयोजक भूपेश अवस्थी, पूर्व जिला अध्यक्ष सुनील बजाज जैसे नाम भी प्रमुख दावेदारों में शामिल हैं।
अगर भाजपा सपा की उम्मीदवार नसीम सोलंकी के मुकाबले किसी महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारती है, तो पूर्व विधायक अरुणा कोरी और पार्षद लक्ष्मी कोरी के नाम भी चर्चा में हैं। पार्टी नेताओं के अनुसार, उम्मीदवार का नाम बुधवार तक सामने आ सकता है।
सपा का मजबूत गढ़, सोलंकी परिवार का प्रभाव
सीसामऊ सीट पर सपा का दबदबा पिछले कई वर्षों से कायम है। 2012 से 2022 तक इस सीट पर इरफान सोलंकी ने लगातार जीत दर्ज की है। इरफान सोलंकी को इस क्षेत्र में उनके जनाधार और स्थानीय मुद्दों पर पकड़ के कारण सपा ने लगातार उम्मीदवार बनाया। लेकिन उनके जेल में होने के कारण इस बार उनकी पत्नी नसीम सोलंकी को उम्मीदवार बनाया गया है। सपा ने अपने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फार्मूले के तहत नसीम सोलंकी को चुनावी मैदान में उतारा है और पार्टी का मानना है कि इस फार्मूले से उन्हें जीत हासिल होगी।
भाजपा की रणनीति
भाजपा के लिए इस सीट पर जीत हासिल करना आसान नहीं है। 1996 के बाद से भाजपा ने इस सीट पर जीत का स्वाद नहीं चखा है। हालांकि, पार्टी ने इस बार सीसामऊ सीट पर पूरी ताकत झोंकने की योजना बनाई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मुस्लिम बहुल सीट पर एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया है और पार्टी के अन्य प्रमुख नेता, जैसे वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल, विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने भी इस सीट पर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की है।
भाजपा इस बार अपने पुराने वोटबैंक को फिर से जुटाने की कोशिश कर रही है। पार्टी की कोशिश है कि वह सपा के प्रभाव को कमजोर करे और अपने लिए एक नई रणनीति तैयार करे। भाजपा के दावेदारों में जहां सलील विष्णोई, राकेश सोनकर और सुरेश अवस्थी जैसे वरिष्ठ नेता हैं, वहीं पार्टी महिला उम्मीदवार के रूप में अरुणा कोरी और लक्ष्मी कोरी को भी मैदान में उतारने पर विचार कर रही है। भाजपा यह मानती है कि सपा के गढ़ में जीत दर्ज करने के लिए उसे एक मजबूत उम्मीदवार के साथ एक ठोस रणनीति की जरूरत है।
सीसामऊ सीट पर अब तक का इतिहास
सीसामऊ विधानसभा सीट का इतिहास भाजपा के लिए मिश्रित रहा है। 1991, 1993 और 1996 में भाजपा ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी, लेकिन इसके बाद से वह यहां जीतने में असफल रही है। 2002 और 2007 में यह सीट कांग्रेस के संजीव दरियाबाद ने जीती, जबकि 2012 से 2022 तक सपा के इरफान सोलंकी ने इस सीट पर कब्जा जमाए रखा।
यह सीट भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सीट कानपुर शहर की सबसे चर्चित सीटों में से एक है। भाजपा का लक्ष्य इस सीट पर 28 साल बाद जीत दर्ज करना है और इसके लिए पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है।