UP: उत्तर प्रदेश के लार थाना क्षेत्र के रेवली गांव की इंद्रावती देवी (50) ने कर्ज के भारी बोझ और अपने विकलांग बेटे की चिंता में आत्महत्या कर ली। इंद्रावती ने ट्रेन के सामने कूदकर अपनी जान दे दी। परिवार वालों के मुताबिक, वह काफी समय से कर्ज चुकाने के दबाव में थीं, और इसी चिंता ने उन्हें यह कठोर कदम उठाने पर मजबूर किया। इंद्रावती के बेटे ने बताया कि उनकी मां ने एक बार कर्ज चुकाने के बाद नया कर्ज लिया था, जिसकी जानकारी उन्हें नहीं थी।
कर्ज के जाल में फंसी थीं इंद्रावती
इंद्रावती देवी, जो दहारी प्रसाद की पत्नी थीं, की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी। उनके परिवार में तीन बेटे और एक बेटी है, जिनमें से एक बेटा विकलांग है। उनके दो बेटे, गंगासागर और रामसागर, मुंबई और दिल्ली में काम करते हैं। इंद्रावती के बड़े बेटे गंगासागर के मुताबिक, उनके कंधों पर घर की सारी जिम्मेदारी थी और उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनकी मां इतना बड़ा कदम उठा लेंगी।
कर्ज चुकाने का दबाव
गंगासागर ने बताया कि उनकी मां ने एक साल पहले एक कर्ज लिया था और छह महीने पहले दूसरा कर्ज लिया। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी मां ने इस कर्ज को चुकाने के लिए उनके द्वारा भेजे गए पैसों का इस्तेमाल किया, लेकिन यह बात गंगासागर के लिए अज्ञात थी कि उनकी मां ने फिर से कर्ज लिया था।
विकलांग बेटे की चिंता
इंद्रावती अपने विकलांग बेटे की देखभाल को लेकर भी चिंतित थीं। उनके छोटे बेटे रामसागर, जो विकलांग हैं, ने अपनी मां की अंतिम संस्कार की चिता को आग दी। इस भावुक पल में वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गईं।
आत्महत्या का कारण
परिवार का कहना है कि इंद्रावती पर कर्ज चुकाने का भारी दबाव था। कर्ज देने वाली संस्थाओं के कर्मचारी और अधिकारी लगातार उन पर दबाव बना रहे थे, जिसकी वजह से इंद्रावती ने यह कठोर कदम उठाया। उनके परिवार ने बताया कि इंद्रावती हमेशा कर्ज की किस्तों और विकलांग बेटे की चिंता में डूबी रहती थीं।
पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार
पुलिस ने इंद्रावती के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और बाद में शव को परिवार के हवाले कर दिया गया। इंद्रावती का अंतिम संस्कार सरयू नदी के किनारे स्थित भागलपुर घाट पर किया गया। पुलिस का कहना है कि परिवार द्वारा अभी तक कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है। यदि परिवार शिकायत दर्ज करता है, तो उचित कार्रवाई की जाएगी।
कर्ज से बचने की कोशिश में महिलाएं हो रही हैं शोषण का शिकार
सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और साहूकारों से बचाने के लिए स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से कर्ज प्रदान कर रही है। हालांकि, इस कर्ज ने एक अलग तरह का जाल बुन लिया है, जिससे कई महिलाएं आत्महत्या करने को मजबूर हो रही हैं।
एक और मामला: शिक्षक ज्ञानेंद्र सिंह की गुमशुदगी
इसी कर्ज के दबाव में लार थाना क्षेत्र के उकिना गांव के शिक्षक ज्ञानेंद्र सिंह भी गायब हो गए हैं। बताया जा रहा है कि उन्होंने भी समूह से कर्ज लिया था। बुधवार को उनकी बाइक भागलपुर नदी पुल पर मिली और उनके पर्स में एक सुसाइड नोट भी मिला, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली है। हालांकि, पुलिस अभी भी मामले की जांच कर रही है और ज्ञानेंद्र सिंह की तलाश जारी है।
लार क्षेत्र में फैला कर्जदाताओं का जाल
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, लार क्षेत्र सहित जिले के कई हिस्सों में कर्जदाताओं का एक बड़ा नेटवर्क फैला हुआ है। ये कर्जदाता महिलाओं को कमीशन के लालच में कर्ज दे रहे हैं। हर गांव में कई महिलाएं कर्ज के कारण अपने घर-परिवार से दूर चली गई हैं।
शोषण और भय का वातावरण
कई मामलों में कर्ज वसूलने वाले एजेंट रात के अंधेरे में महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार करते हैं और उनका मानसिक, शारीरिक और आर्थिक शोषण करते हैं। वे घरों से सामान भी उठा ले जाते हैं। महिलाओं को समाज में बदनामी का डर रहता है, जिस कारण वे आवाज नहीं उठा पातीं, और इसका फायदा वसूली एजेंट उठाते हैं।
प्रशासन से कार्रवाई की मांग
गांव के लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि अगर इन कर्जदाताओं और एजेंटों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाले दिनों में और भी महिलाएं और कर्जदार अपनी जान देने को मजबूर हो सकते हैं।