UP By-election: उत्तर प्रदेश की करहल विधानसभा सीट पर उप चुनाव की राजनीतिक जंग ने एक नया मोड़ ले लिया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव के भतीजे और पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव को इस सीट से उम्मीदवार बनाया गया है, जिसे सपा का मजबूत गढ़ माना जाता है। दूसरी ओर, भाजपा की तरफ से उनके चाचा धर्मेंद्र यादव के भाई अनुज यादव चुनावी मैदान में हैं। इस प्रकार, यहां राजनीतिक कुश्ती और भी रोमांचक हो गई है।
करहल सीट का महत्व
करहल विधानसभा सीट पर सपा का लंबे समय से दबदबा रहा है। 1993 के बाद से इस सीट पर सपा केवल एक बार हारी है। सपा के उम्मीदवार लगातार पिछले चार चुनावों में जीत हासिल कर चुके हैं। 2022 में, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस सीट पर खुद चुनाव लड़ा था और उन्होंने यादव मतदाताओं के समर्थन से बड़ी जीत हासिल की थी। भाजपा ने इस चुनाव में उनके खिलाफ केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को उतारा था, लेकिन भाजपा को जीत का कोई अवसर नहीं मिला। अखिलेश यादव ने 67 हजार से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी।
उप चुनाव का ऐलान
हाल ही में लोकसभा चुनाव में कन्नौज से सांसद बनने के बाद अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था, जिसके चलते अब यहां उप चुनाव हो रहा है। सपा ने तेज प्रताप यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। तेज प्रताप यादव ने पहले 2014 में मैनपुरी लोकसभा सीट पर उप चुनाव लड़ा था और सांसद बने थे। उनकी चुनावी एंट्री से अखिलेश यादव और पूरे सैफई परिवार की प्रतिष्ठा इस चुनाव से जुड़ गई है।
भाजपा की रणनीति
भाजपा इस उप चुनाव में करहल सीट पर अपनी हार का बदला लेने की कोशिश कर रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद भाजपा ने इस सीट को जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य जैसे बड़े नेताओं ने करहल का दौरा किया है। इसके अलावा, भाजपा ने सैफई परिवार के करीबी रिश्तेदार अनुज यादव को उम्मीदवार बनाकर सबको चौंका दिया है।
अनुज यादव की पृष्ठभूमि
अनुज यादव की मां उर्मिला यादव दो बार गिलौर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुकी हैं, जो वर्तमान में करहल विधानसभा क्षेत्र में आता है। अनुज यादव की पत्नी संध्या यादव (सपा सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन) ने मुख्यपुरी की जिला पंचायत अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला है। इस पृष्ठभूमि के चलते सपा इस चुनौती को आसान नहीं मान रही है और अखिलेश यादव स्वयं पर्दे के पीछे से स्थिति को संभालने में जुटे हैं।
अखिलेश यादव की सक्रियता
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पार्टी के स्थानीय नेताओं को एकजुट रहने और चुनाव की पूरी तैयारी करने का संदेश दिया है। उन्होंने नामांकन के दौरान सभी स्थानीय नेताओं से बात की और चुनाव की तैयारियों को लेकर कई बार चर्चा की है। इसके अलावा, दिवाली के बाद कई जनसभाओं का आयोजन करने की योजना भी बनाई जा रही है।
राजनीति की गहराई
करहल विधानसभा सीट पर हो रही इस राजनीतिक हलचल को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि यहां पर स्थानीय मुद्दे, जातिगत समीकरण और राजनीतिक परिवारों का प्रभाव किस तरह काम कर रहा है। सपा का सैफई परिवार हमेशा से इस क्षेत्र में मजबूत रहा है, और तेज प्रताप यादव का चुनावी मैदान में आना इस बात का प्रतीक है कि वे अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
सपा की स्थिति
सपा ने करहल सीट पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार बनाकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उनका पिछले चुनावों में अनुभव और सपा के प्रति यादव समुदाय का समर्थन उन्हें एक मजबूत स्थिति में रखता है। दूसरी ओर, भाजपा भी इस सीट को जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती, ताकि वह अपनी खोई हुई जमीन वापस पा सके।
करहल विधानसभा सीट पर हो रहा उप चुनाव न केवल सपा और भाजपा के बीच की राजनीतिक लड़ाई का प्रतीक है, बल्कि यह स्थानीय मतदाताओं के मुद्दों और भावनाओं को भी उजागर करता है। चुनाव में भाग लेने वाले उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि, राजनीतिक विरासत और क्षेत्रीय मुद्दे इस चुनाव को और भी महत्वपूर्ण बना रहे हैं।
अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा की कोशिश होगी कि वह अपने पुराने गढ़ को फिर से बनाए रखे, वहीं भाजपा भी इस उप चुनाव के जरिए अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनर्स्थापित करने का प्रयास करेगी। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि करहल की जनता किस पार्टी और उम्मीदवार पर विश्वास करती है और इस बार की चुनावी जंग का परिणाम क्या निकलता है।