UP By-election: उत्तर प्रदेश और पंजाब के नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तिथि में बदलाव को लेकर सियासी हलचल बढ़ गई है। चुनाव आयोग ने सोमवार को अपने आधिकारिक बयान में घोषणा की कि पहले 13 नवंबर को होने वाले उपचुनावों की तिथि अब बढ़ाकर 20 नवंबर कर दी गई है। यह फैसला त्योहारों को देखते हुए लिया गया है। इस निर्णय पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए हैं।
कांग्रेस का आरोप: बीजेपी के इशारों पर काम कर रहा है चुनाव आयोग
कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने इस तिथि परिवर्तन पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब चुनाव आयोग ने उपचुनावों की तिथियों का निर्धारण किया था, तो क्या उन्हें छुट्टियों के बारे में जानकारी नहीं थी? त्योहारों की तिथियाँ पहले से निर्धारित होती हैं, तो फिर चुनाव की तिथि पहले से तय क्यों नहीं की जा सकी? उन्होंने कहा कि बीजेपी को इन उपचुनावों में हार का डर सता रहा है और इसलिए चुनाव आयोग बीजेपी की पूरी तरह से मदद कर रहा है और उनके अनुसार तिथियों को बदल रहा है।
कांग्रेस ने उठाए चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल
कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने भी उपचुनाव की तिथि बदलने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा को उपचुनाव में हार का डर है और इसलिए वह चुनाव तिथियों में बदलाव करवा रही है। कांग्रेस का दावा है कि चाहे कितनी भी कोशिशें कर ली जाएँ, ऑल इंडिया एलायंस (आईएनडीआईए) यूपी विधानसभा उपचुनाव में जीत हासिल करेगा और भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने दावा किया कि सबसे बुरी हार मिल्कीपुर, अयोध्या में होगी।
समाजवादी पार्टी की प्रतिक्रिया: ‘कुछ तो गड़बड़ है’
समाजवादी पार्टी सांसद डिंपल यादव ने भी उपचुनाव की तिथि बदलने पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “उपचुनाव की मतदान तिथि को 20 नवंबर कर दिया गया है। कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ है। हमारे द्वारा किए जा रहे अच्छे कार्यों को देखते हुए और महाराष्ट्र में भी कुछ सीटों पर चुनाव लड़ने के मद्देनजर, तिथि में बदलाव किया गया है।” उनका आरोप है कि चुनाव आयोग कहीं न कहीं बीजेपी के दबाव में आकर उनके अनुसार ही काम कर रहा है और इसमें निष्पक्षता का अभाव नजर आ रहा है।
क्या है एक राष्ट्र, एक चुनाव का मुद्दा?
इस ताजा मामले ने एक बार फिर से केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित “एक राष्ट्र, एक चुनाव” (One Nation, One Election) की नीति पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि जो सरकार एक साथ सभी चुनाव करवाने की वकालत करती है, वही सरकार उपचुनावों को विधानसभा चुनावों के साथ नहीं करवा पा रही है। उनके अनुसार, जब उपचुनाव ही समय पर और सभी के साथ नहीं हो सकते, तो एक राष्ट्र, एक चुनाव का वादा कैसे पूरा किया जाएगा?
चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण
चुनाव आयोग ने अपने बयान में कहा है कि यह तिथि परिवर्तन केवल त्योहारों को ध्यान में रखते हुए किया गया है ताकि जनता को मतदान में किसी भी प्रकार की कठिनाई न हो। लेकिन विपक्षी दल इसे सरकार के इशारों पर लिया गया निर्णय मानते हुए, चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे हैं।
यूपी उपचुनावों की बदलती राजनीति
उत्तर प्रदेश में इन उपचुनावों का राजनीतिक महत्व अत्यधिक है। इसमें बीजेपी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आईएनडीआईए जैसे गठबंधन की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। इन उपचुनावों के परिणाम 2024 में होने वाले आम चुनावों के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकते हैं। खासतौर से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी इस मौके का इस्तेमाल अपने राजनीतिक समर्थन को बढ़ाने के लिए करना चाहती हैं।
विपक्ष का आक्रामक रुख
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं का कहना है कि बीजेपी सरकार जनता के समक्ष आने वाली सच्चाई से घबराई हुई है और इसलिए वह चुनाव आयोग पर दबाव डालकर तिथि बदलवा रही है। उन्होंने कहा कि यह जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है और यह साफ दर्शाता है कि बीजेपी अपनी हार को टालने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
जनता का क्या है रुख?
जनता के बीच भी इस मुद्दे को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग मानते हैं कि त्योहारों को ध्यान में रखकर तिथि में बदलाव करना एक उचित कदम है, जबकि अन्य लोग इसे बीजेपी के पक्ष में लिया गया निर्णय मानते हैं। विपक्षी दल जनता के इस भ्रम का लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं और इसे बीजेपी के खिलाफ एक बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं।