प्रसिद्ध लोकगायिका Sharda Sinha का हाल ही में छठ पूजा से पहले निधन हो गया, जिसने उनके चाहने वालों को गहरा आघात पहुँचाया है। उनकी आवाज़ न केवल छठ गीतों के लिए जानी जाती थी, बल्कि उन्होंने बॉलीवुड में भी अपनी सुरीली आवाज़ का जादू बिखेरा। शारदा सिन्हा ने सूरज बड़जात्या की प्रसिद्ध फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ में एक सुंदर गीत गाया था, जो सलमान खान और भाग्यश्री की जोड़ी पर फिल्माया गया था। उनके निधन पर सूरज बड़जात्या और राजश्री प्रोडक्शन ने एक भावुक पोस्ट के जरिए इंस्टाग्राम पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
शारदा सिन्हा का संगीत करियर और ‘मैंने प्यार किया’ में योगदान
शारदा सिन्हा ने भोजपुरी और मैथिली संगीत के क्षेत्र में अपार लोकप्रियता हासिल की। उनकी आवाज़ छठ पूजा जैसे महापर्व को जीवंत बना देती थी और उनके गीत देशभर में सुनाए जाते थे। अपनी लोकगायिकी से उन्होंने पूरे देश में एक अलग पहचान बनाई थी। भोजपुरी और मैथिली संगीत के साथ-साथ उन्होंने बॉलीवुड में भी अपने गीतों के माध्यम से एक अलग छाप छोड़ी। उनकी आवाज में वह मिठास थी, जो किसी भी गीत को जीवंत कर देती थी।
1989 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ में उनका गाया हुआ गीत बेहद लोकप्रिय हुआ। इस गाने ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि दिलाई। उस दौर में, शारदा सिन्हा को इस गाने के लिए 76 लाख रुपये का पारिश्रमिक दिया गया था, जो उस समय के हिसाब से एक बड़ी रकम थी। इस गीत ने उन्हें एक नया मुकाम दिया और उन्होंने अपने करियर में कई और ऊंचाइयाँ छूईं।
सूरज बड़जात्या ने दी भावुक श्रद्धांजलि
शारदा सिन्हा के निधन पर सूरज बड़जात्या ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट साझा किया। उन्होंने लिखा कि शारदा सिन्हा की आवाज हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेगी। इस पोस्ट में एक ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर भी साझा की गई, जिसमें शारदा सिन्हा की सौम्य मुस्कान देखने को मिली। सूरज बड़जात्या ने बताया कि शारदा सिन्हा का उनके जीवन और राजश्री प्रोडक्शन के लिए विशेष महत्व था। उनके गाए गीत ने फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ को एक नया आयाम दिया था।
राजश्री प्रोडक्शन की टीम ने भी शारदा सिन्हा की आवाज़ और उनके योगदान को याद करते हुए लिखा कि उनकी आवाज़ हमेशा उनके चाहने वालों के दिलों में बसी रहेगी। यह श्रद्धांजलि न केवल एक महान गायिका के प्रति सम्मान थी, बल्कि उनके संगीत के प्रति कृतज्ञता का एक प्रतीक भी थी।
छठ पर्व और शारदा सिन्हा का योगदान
शारदा सिन्हा को छठ पर्व के गीतों की रानी भी कहा जाता था। उन्होंने इस पर्व के लिए कई ऐसे गीत गाए, जो आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। उनकी आवाज़ में गाए छठ गीतों ने इस पर्व को और भी पवित्र बना दिया था। हर साल, जब छठ पूजा का महापर्व आता है, तो उनके गीतों की गूंज हर घर में सुनाई देती थी। उनका गीत “कांच ही बांस के बहंगिया” बेहद लोकप्रिय है और यह गीत छठ पूजा के अवसर पर एक अमर भक्ति गीत बन चुका है।
उनके निधन से केवल उनके परिवार और प्रियजनों में ही नहीं, बल्कि उनके लाखों चाहने वालों के बीच भी शोक की लहर है। बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, और पूर्वी उत्तर प्रदेश में छठ पूजा के अवसर पर उनके गीतों के माध्यम से लोग अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं। अब उनके जाने के बाद उनकी आवाज़ एक स्मृति बनकर हमारे बीच रहेगी।
शारदा सिन्हा के निधन से भोजपुरी सिनेमा में शोक
भोजपुरी और मैथिली संगीत जगत में शारदा सिन्हा का योगदान अतुलनीय है। उनके निधन से भोजपुरी सिनेमा और संगीत प्रेमियों के बीच शोक की लहर है। उन्हें “बिहार की कोकिला” के रूप में जाना जाता था, और उनकी आवाज़ में वो खनक थी जो किसी को भी भावविभोर कर सकती थी। उनके निधन से भोजपुरी सिनेमा ने एक अनमोल रत्न खो दिया है।
शारदा सिन्हा की अंतिम इच्छा और उनके बेटे का खुलासा
शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान ने उनकी अंतिम इच्छा के बारे में खुलासा किया कि उनकी मां चाहती थीं कि उनकी अंतिम विदाई उनके पति के पास हो, जहाँ उनका अंतिम संस्कार हुआ था। उनका निधन एक ऐसी गहरी क्षति है, जिसे भर पाना आसान नहीं है। उनके बेटे ने बताया कि उनकी मां अपने पति की मृत्यु के बाद से ही मानसिक रूप से बहुत विचलित थीं और उन्होंने जीने की इच्छा खो दी थी।
उनके निधन से ठीक पहले छठ महापर्व का आगमन हुआ और इसी समय शारदा सिन्हा ने भी अंतिम सांस ली। उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार, उनका अंतिम संस्कार पटना के गुलाबी घाट में उनके पति के पास किया जाएगा। उनके निधन ने सभी चाहने वालों को गहरा दुख दिया है।
शारदा सिन्हा का योगदान केवल एक गायिका के रूप में ही नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी रहा है। उनकी आवाज़ और उनके गीत सदैव हमें उनकी याद दिलाते रहेंगे। उन्होंने जिस प्रकार से अपने गीतों के माध्यम से लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान बनाया है, वह हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे। सूरज बड़जात्या द्वारा दी गई श्रद्धांजलि और उनकी महान आवाज़ का सम्मान, यह दर्शाता है कि वह केवल एक कलाकार नहीं थीं, बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतीक भी थीं। उनकी आवाज़ और उनके गीतों की गूंज सदैव छठ महापर्व और भोजपुरी संगीत प्रेमियों के दिलों में अमर रहेगी।