Gorakhpur जिला जेल में बंद कुख्यात अपराधियों से मुलाकात अब पहले से कहीं अधिक सख्त हो जाएगी। जेल प्रशासन ने सुरक्षा के लिहाज से एक सख्त दिशा-निर्देश जारी किया है, जिसके तहत इन अपराधियों से मिलने आने वाले लोगों की पहचान और सत्यापन किया जाएगा। इसके अलावा, मुलाकात के दिन भी सीमित कर दिए गए हैं। अब सप्ताह में केवल तीन दिन, यानी सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को ही इन कुख्यात बंदियों से मिलने की अनुमति मिलेगी। यह कदम जेल में सुरक्षा को मजबूत करने और जेल में अपराधी गतिविधियों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
मुलाकात के लिए सख्त सत्यापन प्रक्रिया
नए नियमों के तहत, मुलाकात करने आने वाले सभी व्यक्तियों का सत्यापन किया जाएगा। प्रत्येक मुलाकाती का फोटो खींचा जाएगा और उनकी पूरी जानकारी दर्ज की जाएगी। यदि किसी मुलाकाती का सत्यापन में समय लगता है, तो केवल उनके नजदीकी रिश्तेदारों को ही मुलाकात की अनुमति दी जाएगी। जेल प्रशासन का मानना है कि इस सत्यापन प्रक्रिया से जेल की सुरक्षा में सुधार होगा और अपराधियों के बीच आपसी संवाद को भी नियंत्रित किया जा सकेगा, जिससे जेल में शांति बनाए रखने में मदद मिलेगी।
इसके अतिरिक्त, जेल प्रशासन द्वारा विशेष तौर पर उन अपराधियों पर नजर रखी जाएगी, जो संगठित अपराधों में लिप्त हैं। इन अपराधियों के परिवार के सदस्यों और अन्य मिलने वालों की पूरी जानकारी संबंधित अधिकारियों से प्राप्त की जाएगी, ताकि किसी प्रकार की अवैध गतिविधि की संभावना से बचा जा सके।
PCO सुविधा का सत्यापन, कॉल्स की निगरानी
जेल में PCO (पब्लिक कॉल ऑफिस) से संपर्क करना अब पहले से अधिक नियंत्रित किया जाएगा। कुख्यात बंदी यदि जेल के PCO से किसी से बात करना चाहता है, तो पहले उस व्यक्ति का सत्यापन कराना होगा। संबंधित थाने से सत्यापन के बाद ही वह व्यक्ति बंदी से बात कर पाएगा। इस प्रक्रिया को LIU (लोकल इंटेलिजेंस यूनिट) की निगरानी में रखा जाएगा, ताकि किसी भी तरह की अवैध या असामाजिक गतिविधि से बचा जा सके।
जेल प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी फोन कॉल जेल से बाहर अवैध गतिविधियों को बढ़ावा न दे, इसलिए इन कॉल्स की पूरी निगरानी की जाएगी। LIU द्वारा इस सत्यापन और निगरानी की प्रक्रिया पर पैनी नजर रखी जाएगी, ताकि कानून व्यवस्था बनाए रखने में कोई विघ्न न हो।
कुख्यात बंदियों की सूची और स्थानीय अभिसूचना इकाई की भूमिका
गोरखपुर जिला जेल प्रशासन ने कुख्यात बंदियों की एक सूची तैयार की है, जिसमें 10 प्रमुख अपराधियों के नाम शामिल हैं। यह सूची स्थानीय अभिसूचना इकाई (LIU) को सौंपी गई है। जेल प्रशासन का कहना है कि इन बंदियों से संबंधित किसी भी गतिविधि पर पूरी निगरानी रखी जाएगी, और इस प्रक्रिया से उनकी गतिविधियों को सीमित करने में मदद मिलेगी।
जेल अधीक्षक दिलीप कुमार पांडेय ने बताया कि इस कदम से जेल की सुरक्षा व्यवस्था में और भी सुधार होगा और जेल प्रशासन को अपने कामकाज में और आसानी होगी। उन्होंने कहा कि इस तरह की सक्रिय निगरानी से कुख्यात अपराधियों की गतिविधियों पर काबू पाया जा सकेगा।
बैरक व्यवस्था में बदलाव, गुटबाजी पर रोक
गोरखपुर जिला जेल में बंदियों के बीच गुटबाजी और हिंसा की घटनाओं पर नियंत्रण पाने के लिए जेल प्रशासन ने बैरक व्यवस्था में भी बड़ा बदलाव किया है। अब एक ही गुट के बंदियों को एक साथ एक बैरक में नहीं रखा जाएगा। जेल प्रशासन ने यह निर्णय लिया है कि बंदियों को उनके नाम के अंग्रेजी अल्फाबेट के आधार पर अलग-अलग बैरकों में रखा जाएगा। इस कदम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एक ही गुट के बंदी एक साथ न रहें, जिससे जेल में हिंसा और गुटबाजी की घटनाओं को रोका जा सके।
इस परिवर्तन का मुख्य उद्देश्य जेल के भीतर शांति और व्यवस्था बनाए रखना है। जेल प्रशासन का मानना है कि इस नए आदेश से जेल में अधिक अनुशासन और शांतिपूर्ण वातावरण स्थापित होगा, जिससे कुख्यात अपराधियों के बीच हो रही गुटबाजी और हिंसा की घटनाओं पर काबू पाया जा सकेगा।
गुटबाजी से जुड़ी हाल की घटनाएं और कार्रवाई
गोरखपुर जिला जेल में हाल ही में गुटबाजी को लेकर हिंसा की घटनाएं सामने आई थीं। 24 अक्टूबर को एक हिंसक घटना हुई थी, जिसमें कुछ कुख्यात बंदियों के बीच संघर्ष हुआ। इस घटना के बाद जेल प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए सात कुख्यात बंदियों को विभिन्न जिलों की जेलों में ट्रांसफर कर दिया।
इनमें से विकास मणि त्रिपाठी को संतकबीर नगर, सूरज सिंह को देवरिया और विशाल सिंह को महाराजगंज जेल भेजा गया। जेल प्रशासन ने यह कदम जेल में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाया है। ट्रांसफर की प्रक्रिया के दौरान यह सुनिश्चित किया गया कि इन अपराधियों का कोई भी गुट एक साथ जेल में न रहे, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की हिंसक घटना से बचा जा सके।
नई व्यवस्था से जेल प्रशासन को बड़ी उम्मीदें
गोरखपुर जिला जेल प्रशासन को नई व्यवस्था से बड़ी उम्मीदें हैं। उन्हें विश्वास है कि इन नए नियमों और बैरक व्यवस्था में किए गए बदलावों से कुख्यात अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई को और मजबूती मिलेगी और जेल की सुरक्षा में सुधार होगा। यह कदम न केवल अपराधियों की गतिविधियों को नियंत्रित करेगा, बल्कि जेल में शांति और अनुशासन बनाए रखने में भी मदद करेगा।
इसके अलावा, इन नई व्यवस्थाओं के तहत जेल में अपराधियों के बीच आपसी गुटबाजी और हिंसा की घटनाओं को भी नियंत्रित किया जा सकेगा। जेल प्रशासन का कहना है कि इस प्रकार के कदम जेल के भीतर स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
इस प्रकार, गोरखपुर जिला जेल में कुख्यात अपराधियों के खिलाफ उठाए गए इन कड़े कदमों से सुरक्षा की स्थिति में सुधार होने की संभावना है, जिससे जेल में शांति और अनुशासन की स्थिति कायम रहेगी।