शिवसेना (UBT) ने बीजेपी और संघ पर लगातार निशाना साधते हुए अब अपने मुखपत्र सामना में भी संघ की आलोचना की है। मुखपत्र में सवाल उठाया गया है कि RSS के डीएनए में किस तरह का राष्ट्रवाद और हिंदुत्व है और इस पर शोध की जरूरत है। सामना ने लिखा कि स्वतंत्रता संग्राम और उसके बाद के राष्ट्र निर्माण में संघ का कोई योगदान नहीं रहा।
मुखपत्र ने कहा कि मोदी-शाह का शासन संघ के सपने को पूरा कर रहा है। संघ का उद्देश्य देश की एकता खत्म करके कट्टर और सड़ी-गली मानसिकता वाले हिंदुओं का शासन स्थापित करना है। इसे हिंदू राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का प्रयास किया जा रहा है। सामना ने संघ पर आरोप लगाया कि वे भारत को हिंदू पाकिस्तान बनाना चाहते हैं और इसके लिए लोकतंत्र, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और संसद की बलि देने से भी नहीं हिचकिचाएंगे।
सामना ने संघ के बौद्धिक विभाग से आग्रह किया कि वे श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश में हुए जन-आंदोलन पर ध्यान दें। वहां के शासकों ने पहले कट्टरता और उग्र राष्ट्रवाद फैलाया और लोगों को अंधभक्त बनाया। मुखपत्र ने सरसंघचालक मोहन भागवत पर भी निशाना साधा कि उन्होंने विजयादशमी सम्मेलन में बीजेपी के ही सुर में सुर मिलाते हुए भाषण दिया, जबकि उम्मीद थी कि संघ स्थापना के 100 साल पूरे होने पर कुछ अलग संदेश मिलेगा।
सामना ने लिखा कि सरसंघचालक को डर है कि अगर लोकतांत्रिक रास्ते बंद किए गए तो जनता क्रांति कर सकती है। पिछले दस सालों में मोदी-शाह ने झूठे वादे किए, धार्मिक दंगे करवाए और उद्योगपतियों को लाभ पहुँचाया। संघ को इस लूट पर कड़ा बयान देना चाहिए था।
मुखपत्र ने यह भी कहा कि संघ की 100वीं वर्षगांठ पर डाक टिकट और विशेष सिक्के जारी किए गए, लेकिन संघ द्वारा बनाया गया भाजपा का सिक्का नकली और भ्रष्ट है। संघ ने मोदी-शाह जैसे तानाशाह पैदा किए हैं और उनकी तानाशाही को मजबूत किया है। अब संघ के ये कार्य देश पर भारी पड़ रहे हैं और उनके राष्ट्रवाद का असली चेहरा सामने आ रहा है।