Sharda Sinha Death: बिहार की सुर कोकिला शारदा सिन्हा का निधन, आखिरी समय में बेटे से जताई यह भावुक इच्छा

Sharda Sinha Death: बिहार की सुर कोकिला शारदा सिन्हा का निधन, आखिरी समय में बेटे से जताई यह भावुक इच्छा

Sharda Sinha Death: बिहार की प्रसिद्ध लोकगायिका शारदा सिन्हा का 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनकी मधुर आवाज, जिसने छठ महापर्व को संजीवनी दी थी, अब सदा के लिए मौन हो चुकी है। ‘बिहार की कोकिला’ के नाम से प्रसिद्ध शारदा सिन्हा का निधन छठ पूजा के पहले दिन हुआ, जिसने पूरे देश में शोक की लहर पैदा कर दी है। खासकर बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और पूर्वी उत्तर प्रदेश में छठ पर्व मनाने वाले लोग उनकी असमय मौत से गहरे सदमे में हैं।

शारदा सिन्हा ने इस दुनिया को छोड़ने से पहले अपने बेटे अंशुमान को अपनी आखिरी इच्छा बताई थी। उन्होंने अपने बेटे से कहा था कि वह इस संसार को सुहागन के रूप में छोड़ना चाहती थीं। लेकिन उनके पति ब्रजकिशोर के निधन के बाद यह संभव नहीं हो सका। 22 सितंबर को उनके पति का निधन हो गया था, और उसके बाद से ही शारदा जी का जीवन में मोहभंग हो गया था। उन्होंने बेटे अंशुमान से आग्रह किया कि उनकी अंतिम यात्रा भी उनके पति के पास ही संपन्न हो।

Sharda Sinha Death: बिहार की सुर कोकिला शारदा सिन्हा का निधन, आखिरी समय में बेटे से जताई यह भावुक इच्छा

अंशुमान ने बताया कि उनकी मां को अपने पति की मृत्यु के बाद जीवन से मोह हो गया था और उनकी जीने की इच्छा समाप्त हो गई थी। बेटे ने केंद्रीय मंत्री को अपनी मां की अंतिम इच्छा बताते हुए कहा कि उनकी मां ने कहा था, “मैं इस दुनिया से सुहागन के रूप में विदा लेना चाहती थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इसलिए मेरी अंतिम विदाई वहीं होनी चाहिए, जहां मेरे पति का अंतिम संस्कार हुआ था।”

शारदा सिन्हा लंबे समय से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित थीं और दिल्ली के एम्स अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। बीते कुछ दिनों से उनकी तबियत अधिक खराब थी और उन्हें दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन 5 नवंबर को छठ महापर्व के पहले दिन उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली।

शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार पटना के गुलाबी घाट पर उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार किया जाएगा, जहां उनके पति ब्रजकिशोर का भी अंतिम संस्कार हुआ था। शारदा जी की यह आखिरी इच्छा सुनकर हर किसी की आंखें नम हो गई हैं। उनके निधन से छठ महापर्व का उल्लास फीका पड़ गया है, और संगीत प्रेमियों के बीच उनकी अनुपस्थिति की कमी हमेशा खलेगी।

शारदा सिन्हा ने अपने जीवनकाल में बिहार के लोकसंगीत को एक नई पहचान दी थी। उनका गायन न केवल बिहार, बल्कि देशभर में लोकप्रिय हुआ और छठ पूजा के गीतों में उनकी आवाज ने हर किसी के दिल में एक अलग जगह बना ली। उनका जाना भारतीय संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

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