Gorakhpur के लालदिघी स्थित सरकारी स्पर्श इंटर कॉलेज के दृष्टिहीन छात्रों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर जिला कलेक्ट्रेट में भारी हंगामा किया। बुधवार को डीएम कार्यालय में मुलाकात के लिए पहुंचे छात्रों ने खिड़कियों के शीशे तोड़ दिए और अधिकारियों एवं सुरक्षा कर्मियों से धक्का-मुक्की की। छात्रों की इस हरकत के बाद प्रशासन ने उन्हें बलपूर्वक परिसर से बाहर निकाल दिया और बस में बैठाकर स्कूल भेज दिया।
मांगों को लेकर प्रदर्शन, प्रशासन पर लाठीचार्ज का आरोप
छात्र अपने तीन शिक्षकों के स्थानांतरण का विरोध कर रहे थे और इस स्थानांतरण को रद्द करने की मांग कर रहे थे। इसके अलावा, वे अपनी कई अन्य मांगों को लेकर भी आवाज उठा रहे थे। प्रशासन पर आरोप है कि उसने छात्रों पर लाठीचार्ज किया और उन्हें बलपूर्वक परिसर से बाहर निकाल दिया। हालांकि, प्रशासन की ओर से इस आरोप का खंडन किया गया है।
हंगामा करने वाले छात्रों में से 14 छात्रों को स्कूल के प्रधानाचार्य डॉ. लक्ष्मी शंकर जायसवाल ने निलंबित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस संबंध में उनके अभिभावकों को बुलाकर उन्हें घर भेजने की तैयारी की जा रही है।
छात्रों का प्रदर्शन और मांगें
सरकारी स्पर्श इंटर कॉलेज के कक्षा 8 से 12 तक के लगभग 50 छात्र बुधवार सुबह 11 बजे जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे और वहां धरना शुरू कर दिया। उनकी प्रमुख मांग थी कि उनके तीन शिक्षकों के स्थानांतरण को तत्काल प्रभाव से रोका जाए।
विद्यालय के 14 छात्रों में से शिक्षक सचिंद्रनाथ मिश्रा का तबादला मिर्जापुर, शारदा प्रजापति का बलिया और विनोद कुमार का महाराजगंज कर दिया गया था। छात्रों का कहना था कि इन शिक्षकों के जाने से उनकी पढ़ाई पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
छात्रों की इस मांग पर जिला प्रशासन के अधिकारियों ने उन्हें आश्वासन दिया कि जिलाधिकारी द्वारा सरकार को एक पत्र लिखा जाएगा, जिसमें स्थानांतरण रद्द करने की सिफारिश की जाएगी। इसके बाद छात्रों ने तत्काल दो अन्य शिक्षकों के स्थानांतरण की भी मांग की। प्रशासन ने इस मुद्दे पर भी बात करने का आश्वासन दिया, लेकिन छात्र तत्काल कार्रवाई चाहते थे।
अन्य मांगें भी उठाई गईं
छात्रों ने स्कूल में मौजूद एकमात्र वाशिंग मशीन के स्थान पर तीन और मशीनों की मांग की। प्रशासन ने उन्हें तुरंत एक और मशीन देने का आश्वासन दिया और कहा कि शेष मशीनें भी जल्द उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके बावजूद छात्र अपनी मांगों को तुरंत मानने पर अड़े रहे।
इसके साथ ही, छात्रों ने एक टैबलेट की मांग भी की। इसके अलावा, उन्हें दिए जा रहे 2000 रुपये के मानदेय को तुरंत 4000 रुपये करने की भी मांग की गई।
प्रशासन के प्रयास असफल
छात्रों को समझाने के लिए प्रशासन की ओर से अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (वित्त और राजस्व) विनीत कुमार सिंह, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (भू-राजस्व) सुशील कुमार गोंड और अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (नगर) अंजनी कुमार सिंह मौजूद थे। उन्होंने छात्रों को कई बार समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे अपने रुख पर अड़े रहे और बातचीत सफल नहीं हो पाई।
इस दौरान विद्यालय के प्रधानाचार्य भी मौके पर पहुंचे, लेकिन छात्रों ने उनकी भी बात नहीं मानी और हंगामा करना शुरू कर दिया। इस बीच, कलेक्ट्रेट के कर्मचारी सभागार में चले गए और दरवाजा बंद कर लिया। छात्र दरवाजे को धक्का देने लगे। जब सुरक्षाकर्मी उन्हें रोकने के लिए आए, तो छात्रों ने उनसे भी धक्का-मुक्की की।
डीएम कार्यालय में तोड़फोड़ और नारेबाजी
गुस्से से भरे छात्रों ने डीएम कार्यालय की खिड़कियों के शीशे तोड़ दिए और जोर-जोर से नारेबाजी करने लगे। हंगामा बढ़ता देख प्रशासन ने छात्रों को कलेक्ट्रेट परिसर से बाहर निकालने का निर्णय लिया। दोपहर लगभग 2:15 बजे छात्रों को बलपूर्वक परिसर से बाहर निकाला गया।
इस दौरान लाठीचार्ज की भी बात कही जा रही है, हालांकि प्रशासन ने इस पर कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं की है। छात्रों को एक बस में बैठाकर स्कूल भेज दिया गया।
विद्यालय प्रशासन की सख्त कार्रवाई
इस हंगामे और अनुशासनहीनता को देखते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. लक्ष्मी शंकर जायसवाल ने 14 छात्रों को निलंबित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके तहत उनके अभिभावकों को बुलाकर उन्हें घर भेजा जाएगा। प्रधानाचार्य ने कहा कि अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषी छात्रों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
छात्रों की हंगामेदार मांगें और प्रशासन की चुनौती
यह घटना प्रशासन और विद्यालय प्रशासन दोनों के लिए एक चुनौती बन गई है। दृष्टिहीन छात्रों की मांगें जायज हो सकती हैं, लेकिन उनकी अनुशासनहीनता और तोड़फोड़ की घटना निंदनीय है। प्रशासन ने छात्रों की मांगों पर ध्यान देने का आश्वासन दिया था, लेकिन छात्र तुरंत कार्रवाई की मांग कर रहे थे, जिससे यह स्थिति उत्पन्न हुई।
अब देखना यह होगा कि इस घटना के बाद प्रशासन और विद्यालय प्रशासन क्या कदम उठाते हैं और छात्रों की मांगों को कैसे सुलझाया जाता है।