Gorakhpur शहर में इन दिनों एक दिलचस्प पोस्टर वार चल रहा है, जिसने सोशल मीडिया पर खूब चर्चा बटोरी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान ‘अगर हम बंटे, तो कट जाएंगे’ के बाद, इसे लेकर गोरखपुर विश्वविद्यालय रोड पर विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा पोस्टर लगाए गए थे। जहां एक ओर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और समाजवादी पार्टी (SP) के समर्थकों ने पोस्टर लगाए थे, वहीं कांग्रेस ने भी इस पोस्टर वार में कूदते हुए शनिवार रात को अपने पोस्टर लगाए। हालांकि, शनिवार को SP और BJP के पोस्टर हटा दिए गए, लेकिन कांग्रेस का पोस्टर प्रेस क्लब चौराहे पर अब भी लगा हुआ है।
मुख्यमंत्री का बयान और बीजेपी के पोस्टर
यह पोस्टर वार तब शुरू हुआ जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने एक बयान में कहा था, “अगर हम बंटे, तो कट जाएंगे।” इस बयान के बाद, बीजेपी के समर्थकों ने गोरखपुर विश्वविद्यालय रोड पर कई पोस्टर लगाए। इन पोस्टरों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का फोटो था और इस पर उनका बयान प्रमुखता से लिखा हुआ था। यह पोस्टर प्रमुख रूप से दीक्षितनाथ डिग्री कॉलेज के छात्र नेता द्वारा लगाए गए थे, जिनका उद्देश्य मुख्यमंत्री के बयान का समर्थन करना था और यह संदेश देना था कि एकता में शक्ति है।
समाजवादी पार्टी का पलटवार: ‘अगर हम जुड़ें, तो बढ़ेंगे’
बीजेपी के पोस्टरों के जवाब में समाजवादी पार्टी (SP) के समर्थकों ने गोरखपुर के विभिन्न हिस्सों में नए पोस्टर लगाए। इन पोस्टरों पर लिखा था, “अगर हम जुड़ें, तो बढ़ेंगे।” यह पोस्टर दरअसल बीजेपी के पोस्टरों का प्रतिवाद था और एकता, मिलकर काम करने की अहमियत को रेखांकित करता था। इस पोस्टर के साथ समाजवादी पार्टी ने यह संदेश दिया कि बंटवारे से नहीं, बल्कि एकजुट होकर विकास की दिशा में बढ़ना चाहिए।
कांग्रेस का नया पोस्टर: एकता की ताकत को बढ़ावा
पोस्टर वार में अब कांग्रेस भी शामिल हो गई। शनिवार की रात को कांग्रेस ने प्रेस क्लब चौराहे पर एक नया पोस्टर लगाया, जिसमें एकता और सामूहिक प्रयास की अहमियत पर जोर दिया गया था। हालांकि इस पोस्टर की सामग्री और संदेश दोनों ही स्पष्ट नहीं थे, लेकिन यह साफ था कि कांग्रेस इस राजनीतिक युद्ध का हिस्सा बन गई है। कांग्रेस के पोस्टर ने यूपी की राजनीति में एक नई दिशा को जन्म दिया, जिसके बाद राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई।
गोरखपुर में बढ़ती राजनीतिक हलचल
गोरखपुर में चल रहे इस पोस्टर युद्ध ने यूपी की राजनीति में हलचल मचाई है। एक ओर जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी के पक्ष में बयान दिया, वहीं समाजवादी पार्टी ने इसे अपने तरीके से पलटते हुए एकजुटता और विकास के संदर्भ में संदेश दिया। कांग्रेस ने भी इसमें अपनी मौजूदगी दर्ज की, जिससे यह साफ हो गया कि गोरखपुर की राजनीति अब केवल स्थानीय नहीं, बल्कि राज्य स्तर पर भी महत्वपूर्ण हो चुकी है।
सोशल मीडिया पर बजी चर्चाएं
इन पोस्टरों के सामने आने के बाद, सोशल मीडिया पर इसे लेकर तीव्र प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कई लोग बीजेपी और SP के पोस्टरों की तुलना करने लगे, जबकि कुछ ने कांग्रेस के पोस्टर को भी लेकर अपनी राय व्यक्त की। सोशल मीडिया पर यह बहस तेज हो गई कि राजनीतिक दलों द्वारा इस प्रकार के पोस्टर युद्ध के जरिए जनता को किस दिशा में संदेश दिया जा रहा है।
कई समर्थकों ने इसे एक सकारात्मक कदम माना और कहा कि यह राजनीति में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का संकेत है। वहीं, कुछ आलोचकों का कहना था कि यह प्रकार का पोस्टर युद्ध केवल गुमराह करने वाला होता है और इससे किसी भी राजनीतिक दल को कोई खास लाभ नहीं होता।
पोस्टरों की हटाई गई सामग्री और अगला कदम
शनिवार को सभी राजनीतिक दलों के पोस्टरों को हटा दिया गया, लेकिन इससे पहले यह एक बड़ा मुद्दा बन चुका था। अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या ये पोस्टर केवल चुनावी प्रचार का हिस्सा थे, या फिर इनका उद्देश्य कहीं और था। इसे लेकर अब विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं और नेताओं के बयान भी सामने आ रहे हैं।
बीजेपी और SP दोनों ही दलों ने इस पोस्टर युद्ध के जरिए अपने-अपने समर्थकों को एकजुट करने की कोशिश की थी, जबकि कांग्रेस ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। लेकिन अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में गोरखपुर में किस दल का दबदबा होगा और यह पोस्टर वार यूपी की राजनीति में किस दिशा में जाएगा।
गोरखपुर में चल रहे इस पोस्टर युद्ध ने यूपी की राजनीति को एक नया मोड़ दिया है। बीजेपी, SP और कांग्रेस ने अपनी-अपनी राजनीतिक रणनीतियों के तहत इस प्रकार के पोस्टरों का इस्तेमाल किया, जो उनके विचारों और प्राथमिकताओं को दर्शाते हैं। यह युद्ध केवल गोरखपुर तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में इसने राजनीतिक माहौल को प्रभावित किया है। अब यह देखना होगा कि यह पोस्टर युद्ध अगले चुनावों में किस पार्टी के लिए फायदेमंद साबित होता है।