PM Modi foreign policy: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में विदेश नीति के मोर्चे पर एक नया मुकाम हासिल कर रहे हैं। पिछले 100 दिनों में, उन्होंने 25 देशों का दौरा किया है और 50 से अधिक विदेशी नेताओं से मुलाकात की है। यह न केवल भारत की कूटनीतिक सफलता का प्रमाण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे मोदी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में अपनी विदेश नीति को प्रभावी ढंग से मजबूत किया है।
कूटनीति का नया अध्याय
मोदी सरकार की कूटनीति का मुख्य आकर्षण यह है कि उसने अपने वैश्विक संबंधों को और मजबूत करने का प्रयास किया है। इस दौरान, भारत ने विभिन्न देशों के साथ कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। हाल ही में ASEAN देशों की बैठक में, भारत ने ‘एक्ट-ईस्ट’ नीति की घोषणा की और चीन को स्पष्ट संदेश दिया कि उसकी विस्तारवादी नीति अब सहन नहीं की जाएगी।
मालदीव के राष्ट्रपति मुहम्मद मुिज्जू का यू-टर्न
इस कूटनीति का एक महत्वपूर्ण उदाहरण मालदीव के राष्ट्रपति मुहम्मद मुिज्जू हैं, जो चुनाव के दौरान ‘भारत बाहर’ के नारे के साथ सत्ता में आए थे। हालाँकि, जब उन्होंने भारत का दौरा किया, तो उन्होंने पीएम मोदी और भारत की तारीफ की। मुिज्जू, जो पहले चीन के निकट माने जाते थे, ने स्पष्ट किया कि वह भारत के हितों को प्रभावित करने वाले किसी भी देश का समर्थन नहीं करेंगे और भारत को हमेशा एक महत्वपूर्ण भागीदार मानते रहेंगे। यह मुिज्जू की राजनीति में बड़ा बदलाव है, जिसने उनकी पहले की स्थिति को पलट दिया है।
श्रीलंका में चीन के प्रति कड़ा रुख
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने श्रीलंका के दौरे के दौरान भी महत्वपूर्ण कूटनीतिक उपलब्धियां हासिल कीं। श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिस्सानायके ने भारत के साथ अपनी मजबूत रिश्तों को रेखांकित करते हुए चीन को कड़ा संदेश दिया। उन्होंने जयशंकर के सामने कहा कि वह अपने देश की ज़मीन का दुरुपयोग नहीं होने देंगे। इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि श्रीलंका अब भारत के साथ संबंधों को प्राथमिकता दे रहा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की मध्यस्थता
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल में रूस और यूक्रेन का दौरा भी किया। उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लिया। पुतिन ने पीएम मोदी को रूस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ़ सेंट एंड्रयू द अपोस्टल’ से नवाज़ा। मोदी ने इसे 140 करोड़ भारतीयों का सम्मान बताया।
यूक्रेन में, मोदी ने राष्ट्रपति वोलोडिमीर ज़ेलेंस्की से मुलाकात की और रूस-यूक्रेन युद्ध के समाधान के लिए शांति की अपील की। पुतिन ने कहा कि केवल मोदी ही इस युद्ध को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत इस युद्ध में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है।
बाइडन और मेलोनी के साथ बैठकें
पीएम मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल की शपथ लेने के बाद सबसे पहले इटली का दौरा किया। उन्होंने इटली के प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के निमंत्रण पर G7 नेताओं की बैठक में भाग लिया। 50वें G7 शिखर सम्मेलन के दौरान, पीएम मोदी ने कई प्रमुख विश्व नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। इस दौरान, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पीएम मोदी की तारीफ की और उन्हें अपना सबसे अच्छा दोस्त बताया।
भारत ने तीसरी वॉयस ऑफ़ ग्लोबल साउथ समिट की मेज़बानी भी की, जिसमें 21 देशों के राष्ट्रप्रमुख, 34 विदेश मंत्रियों और 122 देशों के 118 मंत्रियों ने भाग लिया।
भारत की नई कूटनीतिक उपलब्धियां
इस दौरान, भारत ने अल्बानिया, गेबोन, जॉर्जिया, लातविया और टिमोर लेस्टे में नए दूतावास खोले हैं। इसके साथ ही, ऑकलैंड और बार्सिलोना में कौंसुलेट जनरल भी खोले गए हैं। यह भारत की कूटनीतिक दृष्टि का विस्तार दर्शाता है और यह स्पष्ट करता है कि भारत अब वैश्विक स्तर पर अपने पैर पसारने के लिए तत्पर है।