Oxford University: हाल ही में, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के डिबेटिंग सोसाइटी, ऑक्सफोर्ड यूनियन ने 14 नवंबर को एक कार्यक्रम आयोजित किया था जिसका शीर्षक था “This House believes in the independent state of Kashmir” (यह सदन कश्मीर के स्वतंत्र राज्य के पक्ष में है)। इस कार्यक्रम में कश्मीर के राजनीतिक हालात पर बहस हो रही थी। इस बहस के दौरान एक भारतीय छात्र ने खड़ा होकर ऑक्सफोर्ड यूनियन के इस प्रस्ताव पर कड़ा विरोध किया और कश्मीर में पंडितों के कत्लेआम का मुद्दा उठाया।
इस छात्र का नाम आदर्श मिश्रा है, जिन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनियन के अध्यक्ष को ISI का “कठपुतली” तक करार दिया। आदर्श का यह वीडियो सोशल मीडिया पर अब तेजी से वायरल हो रहा है। आदर्श मिश्रा के बयान ने ऑक्सफोर्ड यूनियन के इस कार्यक्रम में तीखी बहस को जन्म दिया है।
‘JKLF एक आतंकवादी संगठन है’
इस बहस के पैनल में डॉ. मुजमिल आयूब ठाकुर, जो न्याय फाउंडेशन और कश्मीर फ्रीडम मूवमेंट के नेता हैं, और प्रोफेसर जफर खान, जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) डिप्लोमैटिक ब्यूरो के अध्यक्ष भी शामिल थे। बहस के दौरान आदर्श मिश्रा ने कहा, “JKLF एक आतंकवादी संगठन है, जिसने कई कश्मीरी पंडितों का नरसंहार किया। JKLF ने बर्मिंघम में एक हिंदू सरकारी अधिकारी की हत्या की थी।” आदर्श मिश्रा इस दौरान भारतीय राजनयिक रवींद्र महात्रे की 1984 में हुई हत्या का जिक्र कर रहे थे, जिन्हें अपहरण करके मार दिया गया था।
‘मुझे इस सदन पर भरोसा नहीं है’
आदर्श मिश्रा ने आगे कहा, “मुझे इस सदन पर भरोसा नहीं है और मैं अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत करता हूं। इस सदन के अधिकांश सदस्य अध्यक्ष पर भरोसा नहीं करते। वह ISI के कठपुतली हैं। इस सदन को अध्यक्ष पर कोई विश्वास नहीं है।” आदर्श के इस बयान ने न केवल बहस को गर्म किया, बल्कि ब्रिटेन के हिंदुओं को भी गहरे रूप से प्रभावित किया।
ब्रिटिश हिंदुओं का विरोध
ऑक्सफोर्ड यूनियन के इस प्रस्ताव पर ब्रिटिश हिंदुओं का गुस्सा भी सामने आया। ब्रिटिश हिंदू समुदाय ने इस कार्यक्रम के खिलाफ ऑक्सफोर्ड यूनियन के सामने विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने ‘भारत माता की जय’ और ‘वन्दे मातरम’ के नारे लगाए।
ब्रिटिश हिंदुओं का यह प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि कश्मीर के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी ध्रुवीकरण की स्थिति बन रही है। जहां एक ओर कुछ ताकतें कश्मीर को लेकर अलगाववाद की बात कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर भारत के समर्थक इसे राष्ट्रीय अखंडता और संप्रभुता का मुद्दा मानते हैं।
आदर्श मिश्रा का साहसिक कदम
आदर्श मिश्रा का यह बयान यह दर्शाता है कि भारतीय छात्र दुनिया भर में अपने देश के हितों का बचाव करने के लिए तैयार हैं, भले ही उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अकेले ही क्यों न खड़ा होना पड़े। उनके साहसिक बयान ने न केवल कश्मीर के मुद्दे को फिर से चर्चा में लाया, बल्कि यह भी साबित किया कि कश्मीर में पंडितों के साथ जो हुआ, उसे भूलने का नाम नहीं लिया जा सकता।
आदर्श मिश्रा ने न केवल अपने देश की आवाज को ऊंचा किया, बल्कि ब्रिटेन में रहने वाले भारतीयों के बीच एकजुटता की भावना को भी प्रकट किया। उनका यह कदम यह संकेत देता है कि भारत और कश्मीर के मुद्दे पर कभी भी समझौता नहीं किया जाएगा और कश्मीरी पंडितों के दर्द को हर मंच पर उठाया जाएगा।
आदर्श मिश्रा का यह बयान निश्चित रूप से ऑक्सफोर्ड यूनियन के कार्यक्रम में एक ऐतिहासिक पल बनकर उभरा है। जहां एक ओर ब्रिटिश हिंदू समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किया, वहीं आदर्श मिश्रा ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया से यह साबित किया कि कश्मीर के मुद्दे पर भारत का पक्ष दृढ़ और अपरिवर्तनीय है। इस घटना ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि कश्मीर के मुद्दे को उठाने में किसी भी प्रकार की राजनीतिक या सियासी दबाव से बचने की आवश्यकता नहीं है और इसके लिए भारतीय आवाजें हमेशा सुनाई देंगी।