Monkey terror: रंग-बिरंगी साड़ियों को देखकर कर रहे हमला, अब मासूम भी बन रहे शिकार

Monkey terror: रंग-बिरंगी साड़ियों को देखकर कर रहे हमला, अब मासूम भी बन रहे शिकार

Monkey terror: बंदरों का आतंक भारतीय समाज में कोई नई बात नहीं है। लेकिन जब यह आतंक आम लोगों के जीवन को प्रभावित करने लगे, तो यह एक गंभीर समस्या बन जाती है। महावीर छपरा क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से एक बंदर ने हंगामा मचा रखा है। यह बंदर न केवल महिलाओं पर हमले कर रहा है, बल्कि अब बच्चों को भी निशाना बना रहा है। इस लेख में, हम इस समस्या की गंभीरता, इसके कारण, और इससे निपटने के उपायों पर चर्चा करेंगे।

महावीर छपरा में बंदर का आतंक

महावीर छपरा क्षेत्र में पिछले 15-20 दिनों से एक बंदर लोगों के लिए आतंक का सबब बना हुआ है। इसने कई महिलाओं को घायल किया है और हाल ही में एक 12 वर्षीय बच्चे पर भी हमला किया है। मंगलवार के दिन, सुबह 7:00 बजे से 12:00 बजे के बीच, इस बंदर ने दो महिलाओं और एक बच्चे को काटा। घायलों को तुरंत सदर अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें एंटी-रेबिज इंजेक्शन और उपचार दिया गया।

Monkey terror: रंग-बिरंगी साड़ियों को देखकर कर रहे हमला, अब मासूम भी बन रहे शिकार

बंदर के अजीब व्यवहार

स्थानीय लोग बताते हैं कि यह बंदर रंग-बिरंगी साड़ियों को देखकर हमला कर रहा है। महिलाओं के साड़ी पहनने पर यह उन पर चढ़ाई कर रहा है, जबकि सलवार-कुर्ता पहनने वाली महिलाओं पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा। इस प्रकार, बंदर का व्यवहार बहुत अजीब है। एक स्थानीय निवासी रीता गिरी ने बताया कि जब वह शिव मंदिर में पूजा करने जा रही थीं, तभी एक बंदर ने उन पर हमला कर दिया।

अंजना देवी, जो मंदिर परिसर में फूल और माला बेचती हैं, ने कहा कि सुबह 8:00 बजे, जब वह अपने सामान को उठाने के लिए खड़ी हुईं, तो बंदर ने उन पर हमला किया। बच्चों के लिए यह घटना और भी भयानक रही है। 12 वर्षीय अनशु ने बताया कि वह मंदिर परिसर से गुजर रहे थे जब अचानक बंदर उनके पीछे दौड़ा और उन्हें काट लिया।

गांवों में बंदरों की बढ़ती संख्या

हर्पाल समूह के क्षेत्रीय अध्यक्ष लक्ष्मी चंद शुक्ला ने कहा कि पिछले 15-20 दिनों से बंदरों का आतंक आसपास के गांवों में भी बढ़ गया है। सैकड़ों बंदर अब ग्रामीण इलाकों में आ चुके हैं और अचानक बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों पर हमला कर रहे हैं। प्रभावित गांवों में चारपानी, चंदौली, और मेहरौली शामिल हैं।

सरकार और प्रशासन की लापरवाही

इसके बावजूद, वन विभाग की ओर से इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया गया है। स्थानीय लोगों में इस बारे में गहरी नाराजगी है। उन्होंने कई बार वन विभाग को सूचित किया है, लेकिन किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है। सरकार और प्रशासन को इस समस्या पर ध्यान देने और उचित कदम उठाने की आवश्यकता है।

बंदरों के हमलों के पीछे के कारण

बंदरों के इस आतंक के पीछे कई कारण हो सकते हैं:

  1. आवास की कमी: शहरीकरण और जंगलों की कटाई के कारण बंदरों के प्राकृतिक आवास में कमी आई है, जिसके चलते वे मानव बस्तियों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
  2. खाद्य स्रोत: जब बंदरों को अपने लिए भोजन नहीं मिलता, तो वे लोगों की ओर रुख करते हैं। अक्सर, लोग उन्हें भोजन देने के कारण वे बस्तियों में आते हैं।
  3. वृद्धि: यदि बंदरों की संख्या अत्यधिक बढ़ जाती है, तो यह उनके बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ा सकता है, जिससे वे आक्रामक हो सकते हैं।

इस समस्या का समाधान कैसे करें?

  1. स्थानीय लोगों की जागरूकता: लोगों को बंदरों के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए, ताकि वे उनकी गतिविधियों के प्रति सजग रहें। उन्हें यह समझाया जाना चाहिए कि बंदरों को खिलाना या उन पर हमला करने की स्थिति में न आना चाहिए।
  2. सरकारी पहल: सरकार को चाहिए कि वह बंदरों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी उपाय लागू करे। इसमें उनकी नसबंदी और आवास स्थानांतरण शामिल हो सकते हैं।
  3. वन विभाग की सक्रियता: वन विभाग को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और उन क्षेत्रों में कैम्प लगाकर बंदरों को पकड़ने की व्यवस्था करनी चाहिए, जहां इनकी संख्या अत्यधिक बढ़ गई है।
  4. समुदाय आधारित उपाय: स्थानीय समुदायों को भी इस मुद्दे पर एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है। वे मिलकर समस्या का समाधान खोज सकते हैं और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित कर सकते हैं।

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