MIG-29 Crash: वीरता से बचाई हजारों जानें, पायलट ने जनसंख्या से दूर उड़ाया विमान

MIG-29 Crash: वीरता से बचाई हजारों जानें, पायलट ने जनसंख्या से दूर उड़ाया विमान

MIG-29 Crash: हाल ही में हुए एक मिग-29 विमान दुर्घटना में विंग कमांडर मनिश मिश्रा ने अपनी बहादुरी का परिचय दिया, जब उन्होंने कागारोल के लोगों की जानें बचाने के लिए अपने जीवन को जोखिम में डालकर विमान को जनसंख्या से दूर ले जाकर दुर्घटनाग्रस्त किया। यह घटना पंजाब के आदमपुर से प्रशिक्षण उड़ान के दौरान हुई जब उन्हें विमान में तकनीकी खामी का पता चला।

घटना का विवरण

विंग कमांडर मनिश मिश्रा ने जब तकनीकी समस्या का एहसास किया, तो उन्होंने तुरंत विमान को जनसंख्या से दूर खेतों की ओर मोड़ दिया। उन्होंने 2.5 किमी दूर बागा सोनिगा गांव के निकट विमान को नियंत्रित किया और उसके गिरने से पहले पैराशूट की मदद से खुद को बाहर निकाल लिया। उन्होंने विमान के गिरने से पहले अपनी जान को जोखिम में डालकर एक साहसी कदम उठाया। यदि विमान कागारोल के जनसंख्या वाले क्षेत्र में गिरता, तो यह एक बड़ा हादसा हो सकता था।

कागारोल की जनसंख्या

कागारोल की जनसंख्या लगभग 14,000 है। स्थानीय गवाह रूप सिंह ने बताया कि विमान ने गिरने से पहले दो चक्कर लगाए, लेकिन इसके बाद यह बहुत नीची उड़ान भरने लगा। स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली जब यह जनसंख्या से दूर खेतों में गिरा। इस दुर्घटना ने लोगों को डराने वाली यादें दी हैं, लेकिन विंग कमांडर की साहसिकता ने उन्हें सुरक्षित रखा।

मिग-29 का तकनीकी विवरण

मिग-29 विमान का वजन 14,000 किलोग्राम है और यह भारतीय वायु सेना में 40 सालों से सेवा में है। जब यह प्रशिक्षण उड़ान पर था, तब इसमें 2,000 लीटर ईंधन भरा गया था, जिससे इसे 2.5 घंटे तक उड़ान भरने की क्षमता मिली। इस विमान में आग बुझाने के लिए फोम का उपयोग किया जाता है, लेकिन जब तक आग बुझाने की कोशिश की गई, तब तक विमान के कई हिस्से जल चुके थे।

मिग-29 की कीमत और खरीद

मिग-29 की कीमत 300 करोड़ रुपये से अधिक है। यह विमान रूस में निर्मित किया गया था, और भारत सरकार ने इसकी खरीदारी 1980 के दशक में शुरू की थी। जुलाई 2020 में, भारत ने रूस के साथ 21 मिग-29 विमानों के लिए रक्षा सौदे पर चर्चा शुरू की थी, जिसमें 7,418 करोड़ रुपये का सौदा किया गया था। उस समय प्रति विमान की कीमत 353 करोड़ रुपये बताई गई थी।

MIG-29 Crash: वीरता से बचाई हजारों जानें, पायलट ने जनसंख्या से दूर उड़ाया विमान

जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख में उड़ान

मिग-29 विमान उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों जैसे जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख में उड़ान भरने की क्षमता रखता है। इसकी शीर्ष गति 2,400 किमी प्रति घंटा है और इसमें हथियारों को ले जाने के लिए 7 हार्ड पॉइंट्स हैं। यह विमान दुश्मन देशों के विमानों को निशाना बनाने में सक्षम है। हालाँकि, भारतीय वायु सेना के अधिकांश मिग सीरीज के विमानों को रिटायर कर दिया गया है, लेकिन मिग-29 में व्यापक सुधार किए गए हैं। नए एवीओनिक, रडार, मिसाइल और हथियार नियंत्रण प्रणाली के कारण इसका नाम अब मिग-29 UPG रखा गया है।

मिग सीरीज का परिचय

मिग एक जेट लड़ाकू विमानों की श्रृंखला है, जिसमें सबसोनिक मिग-15, मिग-17, सुपरसोनिक मिग-19, मिग-23, मिग-27, मिग-29, और मिग-35 जैसे विमान शामिल हैं। यह श्रृंखला विश्व में प्रसिद्ध है और कई देशों की वायु सेना में सक्रिय रूप से उपयोग में है।

उच्च-तकनीकी इजेक्ट सिस्टम

फाइटर पायलट मनिश मिश्रा की जान उच्च-तकनीकी इजेक्ट सिस्टम द्वारा बचाई गई। भारतीय वायु सेना के अनुसार, इस फाइटर विमान में एक इजेक्ट सिस्टम है, जो आपात स्थिति में पायलट को विमान से बाहर निकलने की अनुमति देता है। इस प्रणाली में पायलट की सीट के नीचे एक पावर सिस्टम होता है, जिसे रॉकेट पावर सिस्टम कहा जाता है। तकनीकी समस्या या विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना के समय पायलट इसे सक्रिय करता है। इसके बाद, विमान का एक छोटा हिस्सा खुलता है और पायलट अपनी सीट के साथ विमान से बाहर निकल जाता है।

चुनौतीपूर्ण स्थिति

जब पायलट विमान से बाहर निकलता है, तो वह लगभग 3,000 मीटर की ऊंचाई पर होता है। इस ऊंचाई पर ऑक्सीजन की समस्या उत्पन्न होती है। इसलिए, सीट के साथ एक छोटा ऑक्सीजन सिलेंडर भी जुड़ा होता है। इसके बाद, पायलट पैराशूट की मदद से जमीन पर उतरता है। इस प्रणाली की सहायता से विंग कमांडर मनिश मिश्रा ने अपनी जान को बचाने में सफल रहे।

साहस और कर्तव्य

विंग कमांडर मनिश मिश्रा का साहस और कर्तव्य भाव वास्तव में सराहनीय है। उन्होंने न केवल अपनी जान को जोखिम में डाला, बल्कि हजारों लोगों की जानें भी बचाईं। उनके इस साहसिक कार्य ने सभी को यह समझाने का मौका दिया कि वायुसेना के पायलट केवल प्रशिक्षित नहीं होते हैं, बल्कि वे समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता भी रखते हैं।

इस घटना ने साबित कर दिया है कि भारतीय वायु सेना के पायलट हमेशा अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहते हैं। विंग कमांडर मनिश मिश्रा का यह साहसिक कार्य न केवल उनकी व्यक्तिगत वीरता का प्रमाण है, बल्कि यह भारतीय वायु सेना की क्षमता और समर्पण का भी प्रतीक है। उनकी वीरता ने हमें याद दिलाया है कि संकट के समय में सही निर्णय लेने की क्षमता कितनी महत्वपूर्ण होती है। हम सभी को इस साहसिकता के लिए उन्हें सलाम करना चाहिए और उनके जैसे नायकों को हमेशा याद रखना चाहिए।

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