Meerut: उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के गेजा गांव में एक नकली पेट्रोल-डीजल बनाने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़ हुआ है, जो कई एकड़ जमीन में फैली हुई थी। इस फैक्ट्री में असली पेट्रोल और डीजल को मिलावट कर बेचा जा रहा था, जिससे रोजाना लगभग 6 लाख रुपये की कमाई हो रही थी। मेरठ पुलिस ने बुधवार को इस गुप्त फैक्ट्री पर छापा मारकर आठ लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें फैक्ट्री का मालिक मनीष भी शामिल है।
कैसे होता था खेल?
पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, फैक्ट्री में बड़े-बड़े टैंकरों को भूमिगत रखा गया था। यहां पेट्रोल और डीजल के टैंकरों में हाइड्रोकार्बन सॉल्वेंट और अन्य केमिकल मिलाए जाते थे। तीन परतों के दरवाजों के अंदर इन टैंकरों को लाकर उनमें नकली तेल मिलाया जाता था। इसके बाद इन टैंकरों को पेट्रोल पंप पर सप्लाई किया जाता था।
पुलिस की कार्रवाई
मेरठ पुलिस को खुफिया जानकारी मिली थी कि गेजा गांव में कई एकड़ में फैले इस गोदाम में नकली पेट्रोल-डीजल का धंधा चल रहा है। बुधवार शाम को पुलिस ने इस गोदाम पर छापा मारा। फैक्ट्री मालिक मनीष और उसके साथियों ने भागने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। इस दौरान, फैक्ट्री में काम करने वाले छह अन्य लोगों के साथ-साथ टैंकर के दो ड्राइवरों को भी गिरफ्तार किया गया, जो टैंकर को एचपीसीएल डिपो से लेकर आते थे।
कैसे हुआ खुलासा?
मेरठ एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह के अनुसार, पिछले कुछ महीनों से उन्हें सूचना मिल रही थी कि मनीष नाम का व्यक्ति गेजा गांव में एक नकली तेल बनाने की फैक्ट्री चला रहा है। इस सूचना पर नजर रखते हुए, पुलिस को बुधवार शाम को पता चला कि एचपीसीएल के गोदाम से एक टैंकर निकला है। जब पुलिस ने उसे ट्रैक किया, तो उन्होंने देखा कि टैंकर के ड्राइवर ने रास्ते में जीपीएस निकालकर किसी को दे दिया। जीपीएस को सड़क पर इधर-उधर घुमाया जाता रहा ताकि ऐसा लगे कि टैंकर ट्रैफिक में फंसा हुआ है। इस दौरान टैंकर मनीष के गोदाम पहुंचा और वहां पर मिलावट का काम शुरू हुआ।
डीजल चोरी का खेल
मनीष, जो पहले दिल्ली की एक केमिकल फैक्ट्री में काम करता था, इस धंधे के बारे में अच्छी तरह जानता था। उसे पता था कि अगर डीजल में थोड़ी मात्रा में हाइड्रोकार्बन सॉल्वेंट मिलाया जाए, तो किसी को शक नहीं होगा। उसने मेरठ के डीजल-पेट्रोल डिपो में काम करने वाले ड्राइवरों से संपर्क किया और उनके साथ मिलकर यह गोरखधंधा शुरू किया। टैंकर के ड्राइवर डिपो से टैंकर लाते, जीपीएस निकालकर मनीष के गोदाम में पहुंचाते, जहां पहले से ही हाइड्रोकार्बन सॉल्वेंट और अन्य केमिकल तैयार होते थे।
20 हजार लीटर डीजल-पेट्रोल वाले टैंकर से 1000 लीटर असली तेल निकालकर उसकी जगह मिलावट वाला सॉल्वेंट डाल दिया जाता था। इस तरह, मिलावट करने के बाद टैंकर को पेट्रोल पंप पर सप्लाई कर दिया जाता था।
फैक्ट्री के अंदर का हाल
गोडाम के अंदर बड़े-बड़े भूमिगत टैंकर स्थापित किए गए थे, जहां हाइड्रोकार्बन सॉल्वेंट और अन्य केमिकल मिलाए जाते थे। इसके अलावा, ड्राम, पाइप और मोटर से लैस इस गोदाम में नकली पेट्रोल-डीजल बनाने की पूरी तैयारी थी। पुलिस ने छापेमारी के दौरान 35 हजार लीटर तेल जब्त किया, जिसमें 12 हजार लीटर पेट्रोल और 23 हजार लीटर मिलावटी तेल शामिल है।
मनीष की पुरानी गिरफ्तारी
यह पता चला है कि मनीष को कुछ साल पहले भी इसी प्रकार के अपराध में गिरफ्तार किया गया था। उसकी गिरफ्तारी के बावजूद, उसने फिर से यह धंधा शुरू किया। नकली पेट्रोल-डीजल से लोगों की गाड़ियों के इंजन खराब हो रहे थे, और इस धंधे से जुड़े लोग हर महीने करोड़ों रुपये कमा रहे थे।
आगे की कार्रवाई
फिलहाल पुलिस ने इस मामले में 8 लोगों को गिरफ्तार किया है और मेरठ के पार्टापुर थाने और आपूर्ति विभाग द्वारा इस पूरे मामले की जांच की जा रही है। पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस अवैध कारोबार में और कौन-कौन लोग शामिल हैं।
मेरठ में नकली पेट्रोल-डीजल का यह धंधा लोगों की गाड़ियों और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है। पुलिस की सतर्कता और कार्रवाई ने इस बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है, लेकिन यह भी सवाल उठता है कि इस तरह की गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए और कड़ी निगरानी की जरूरत है।