Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा की आग थमने का नाम नहीं ले रही है। सोमवार को जिरिबाम जिले में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में 10 उग्रवादी मारे गए। पुलिस के अनुसार, दोपहर करीब 3 बजे सशस्त्र उग्रवादियों ने जाकुर्दोहर स्थित सीआरपीएफ चौकी और पास के बोरोबेकड़ा पुलिस स्टेशन पर हमला किया। इस हमले के बाद सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की, जिससे स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सका। इस मुठभेड़ में लगभग 45 मिनट तक गोलीबारी जारी रही, जिसमें सीआरपीएफ के दो जवान घायल हुए।
सीआरपीएफ कांस्टेबल घायल
इस मुठभेड़ में सीआरपीएफ के कांस्टेबल संजीव कुमार को गोली लगी है, जिनका इलाज जारी है। घायल जवान की स्थिति स्थिर बताई जा रही है। वहीं, मारे गए उग्रवादियों से 3 एके राइफल, 4 एसएलआर, 2 इंसास राइफल, 1 आरपीजी, 1 पंप एक्शन गन, बीपी हेलमेट और मैगजीन जैसी बड़ी मात्रा में हथियार बरामद हुए हैं। मामले की जांच शुरू कर दी गई है और इस संबंध में केस दर्ज किया गया है।
राहत शिविर से 5 लोग लापता
पुलिस स्टेशन के परिसर में स्थित राहत शिविर से 5 लोग लापता हो गए हैं। अधिकारियों के मुताबिक, उनकी तलाश जारी है। यह घटना मणिपुर के लिए एक और चुनौती बनकर उभरी है, क्योंकि इस इलाके में हिंसा का दौर लंबे समय से जारी है।
जिरिबाम में बंद की घोषणा
कुकी संगठन ने जिरिबाम में आज बंद की घोषणा की है। कुकी-जो काउंसिल संगठन ने मारे गए लोगों को ‘गांव के स्वयंसेवक’ (गांव रक्षक) के रूप में बताया है। कुकी-जो काउंसिल ने 12 नवंबर को सुबह 5 बजे से शाम 6 बजे तक पूर्ण बंद की घोषणा की है, जिससे वे मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे और उनके प्रति सामूहिक शोक और एकजुटता व्यक्त करेंगे। काउंसिल की ओर से यह भी कहा गया है कि हमारे बहुमूल्य गांव रक्षकों की हत्या न केवल उनके परिवारों के लिए, बल्कि पूरे कुकी-जो समुदाय के लिए एक गहरा आघात है।
जिरिबाम क्यों है परेशान?
पिछले एक साल से मणिपुर में हिंसा की घटनाएं लगातार हो रही हैं। विशेष रूप से, मेइती समुदाय और आदिवासी कुकी समुदाय के बीच जारी हिंसा ने स्थिति को और अधिक जटिल बना दिया है। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वह कुकी समुदाय को मिलने वाली विशेष आर्थिक लाभ और सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में आरक्षण की सुविधाओं को मेइती समुदाय को भी प्रदान करने पर विचार करे।
जिरिबाम में हिंसा का मुख्य कारण जिरिबाम-इम्फाल राजमार्ग और रेलवे लाइन को लेकर संघर्ष है। यह मार्ग और रेलवे लाइन इम्फाल तक पहुंचने के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इसी रास्ते से बाहर से आने वाली दैनिक उपयोग की वस्तुएं इम्फाल पहुंचती हैं। दोनों ही समुदाय, कुकी और मेइती, इस मार्ग पर अपनी प्रभावशीलता बनाए रखना चाहते हैं, जिसके चलते इस क्षेत्र में लगातार तनाव बना हुआ है।
मणिपुर में बढ़ती हिंसा और उसके कारण
मणिपुर में यह हिंसा केवल जिरिबाम तक सीमित नहीं है। पिछले कुछ महीनों से राज्य के अन्य हिस्सों में भी तनाव बढ़ा है। कई बार यह हिंसा राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कारणों से उत्पन्न होती है। राज्य में उग्रवादियों के बीच आपसी मतभेद और बाहरी ताकतों का हस्तक्षेप भी इस संघर्ष को और बढ़ावा दे रहा है।
इस स्थिति को सुधारने के लिए सरकार को एक ठोस रणनीति की आवश्यकता है। साथ ही, राज्य के भीतर विभिन्न समुदायों के बीच संवाद और समझदारी बढ़ाने के लिए भी कदम उठाए जाने चाहिए। जिरिबाम और मणिपुर के अन्य हिस्सों में शांति बहाली के लिए कड़े सुरक्षा उपायों की जरूरत है, ताकि नागरिकों की जानमाल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
मणिपुर में हिंसा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिरिबाम में हुई मुठभेड़ और उसके बाद की घटनाएं इस बात का संकेत हैं कि यहां की स्थिति बहुत जटिल हो चुकी है। हिंसा को रोकने के लिए कड़े सुरक्षा उपायों और समुदायों के बीच संवाद की आवश्यकता है। वहीं, राज्य सरकार को इस पर कड़ी निगरानी रखनी होगी ताकि नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और समाज में शांति स्थापित हो सके।