Karhal by-election 2024: उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में करहल विधानसभा उपचुनाव की राजनीति ने एक नया मोड़ ले लिया है। समाजवादी पार्टी (SP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं के बीच तीखे बयानों का आदान-प्रदान हो रहा है। SP सांसद धर्मेंद्र यादव ने SP उम्मीदवार तेज प्रताप यादव के समर्थन में एक सार्वजनिक सभा में BJP उम्मीदवार अनुज यादव पर करारा हमला किया। इस चुनावी लड़ाई में रिश्तेदारों के बीच की दुश्मनी और राजनीतिक रणनीतियों की एक दिलचस्प कहानी सामने आई है।
रिश्तों का टकराव
धर्मेंद्र यादव ने मंच से कहा कि जब अनुज यादव ने 2019 में BJP में शामिल होने का फैसला किया, तो उन्होंने तुरंत उनसे अपने रिश्ते को खत्म कर दिया था। उन्होंने कहा, “जिसके गोद में वह बैठे हैं, उन्होंने जनता का सबसे अधिक शोषण किया है और उनके साथ अन्याय किया है।” इस बयान ने न केवल चुनावी माहौल को गरमाया, बल्कि यह भी दिखाया कि व्यक्तिगत रिश्तों की तुलना में राजनीतिक प्राथमिकताएं कहीं अधिक महत्वपूर्ण होती हैं।
SP का मजबूत मोर्चा
SP सांसद डिंपल यादव ने भी चुनावी रुख को स्पष्ट करते हुए कहा कि पार्टी चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि करहल विधानसभा सहित पूरा क्षेत्र SP के साथ खड़ा है। डिंपल यादव ने BJP पर आरोप लगाया कि योगी और मोदी सरकार सभी मोर्चों पर विफल रही है और राज्य में अन्याय का राज स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि इस चुनाव का मुद्दा विकास है और वे जनता के बीच इसी आधार पर जा रहे हैं।
अनुज यादव की पृष्ठभूमि
BJP के उम्मीदवार अनुज यादव, जो मुलायम सिंह यादव की भतीजी और धर्मेंद्र यादव की बहन संध्या यादव के पति हैं, करहल सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। संध्या यादव 2015 से 2020 तक मुख्य जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं, जबकि अनुज खुद फिरोजाबाद के जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। यह राजनीतिक परिवार एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा होने के कारण करहल में चुनावी लड़ाई को और दिलचस्प बना रहा है।
रिश्तेदारों का मुकाबला
इस उपचुनाव में दिलचस्पी इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि अनुज यादव और SP उम्मीदवार तेज प्रताप यादव के बीच पारिवारिक संबंध हैं। तेज प्रताप यादव अनुज के भतीजे हैं, जो इस स्थिति को और जटिल बनाता है। ऐसे में रिश्तेदारी की यह जंग चुनावी रणनीति के साथ मिलकर एक अद्वितीय राजनीतिक परिदृश्य प्रस्तुत कर रही है।
करहल सीट का महत्व
करहल सीट को SP का गढ़ माना जाता है। 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के बाद, यह सीट अखिलेश यादव के पास थी। हाल ही में उन्होंने लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद इस सीट को खाली किया। अब, तेज प्रताप यादव उनके स्थान पर चुनाव लड़ रहे हैं। तेज प्रताप यादव मुलायम सिंह यादव के बड़े भाई रतन सिंह यादव के पोते हैं और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के दामाद भी हैं।
BJP और SP के बीच तकरार
इस चुनाव में BJP और SP के बीच की तकरार ने राजनीतिक नज़रिये को और भी रोचक बना दिया है। दोनों पार्टियों के नेता एक-दूसरे के खिलाफ तीखे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। BJP की ओर से अनुज यादव का समर्थन कर रहे नेता SP पर विकास की कमी का आरोप लगा रहे हैं, जबकि SP ने BJP पर जनविरोधी नीतियों का आरोप लगाया है।
चुनावी रणनीतियां
चुनाव में जीतने के लिए SP ने अपने मजबूत वफादारों को लामबंद किया है। डिंपल यादव का कहना है कि यह केवल रिश्तेदारी का मामला नहीं है, बल्कि यह PDA (पिछड़े-दलित-मतदाता) के सिद्धांतों और विचारों की रक्षा का एक संघर्ष है। वहीं, BJP के अनुज यादव भी इस चुनाव को अपने राजनीतिक जीवन के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं और अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
करहल उपचुनाव का यह मुकाबला न केवल राजनीतिक बल्कि पारिवारिक भी है। रिश्तेदारी के ताने-बाने ने इस चुनाव को और भी रोचक बना दिया है। दोनों पक्ष अपनी पूरी ताकत से मैदान में उतर रहे हैं, जिससे यह चुनावी लड़ाई और भी चुनौतीपूर्ण बन गई है। चुनावी माहौल को देखते हुए यह कहना कठिन है कि अंत में कौन सी पार्टी जीत हासिल करेगी, लेकिन एक बात स्पष्ट है कि करहल विधानसभा सीट के चुनाव ने एक नई राजनीतिक कथा लिखी है, जो आगे चलकर उत्तर प्रदेश की राजनीति पर प्रभाव डालेगी।
इस उपचुनाव के परिणाम न केवल करहल के लिए, बल्कि पूरे प्रदेश की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। रिश्तेदारी, राजनीतिक रणनीतियां, और जनता की अपेक्षाएं मिलकर इस चुनाव को एक महत्वपूर्ण मोड़ पर ले जाएंगी। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी पार्टी अपने वादों और अपने समर्थकों के साथ जनता के बीच सच्चाई के साथ उतरती है।