गोरखपुर की जाम समस्या खत्म! योगी सरकार बनाएगी प्राइवेट बस अड्डे, 2 एकड़ ज़मीन और 50 लाख नेटवर्थ ज़रूरी – जानें नई नीति की पूरी डिटेल

गोरखपुर की जाम समस्या खत्म! योगी सरकार बनाएगी प्राइवेट बस अड्डे, 2 एकड़ ज़मीन और 50 लाख नेटवर्थ ज़रूरी – जानें नई नीति की पूरी डिटेल

उत्तर प्रदेश सरकार ने गोरखपुर में लगातार बढ़ती ट्रैफिक समस्या और सड़क किनारे खड़ी बसों की अव्यवस्था को खत्म करने के लिए नई नीति लागू की है। इसके तहत गोरखपुर के प्रमुख प्रवेश मार्गों पर प्राइवेट बस अड्डों की स्थापना की जाएगी।

DM की अध्यक्षता में हुई बैठक में यूपी स्टेज कैरिज बसस्टॉप, कॉन्ट्रैक्ट कैरिज व ऑल इंडिया टूरिस्ट बस पार्क नीति 2025 पर चर्चा हुई और इसकी मान्यता तय की गई।

निजी बस मूल्यांकन के लिए सख्त मानक

नई नीति के मुताबिक, निजी बस अड्डा के लिए कम से कम दो एकड़ जमीन जरूरी हैं। यहां पर पार्किंग, यात्रियों के इंतजार की व्यवस्था, टिकट काउंटर, शौचालय, पिने के लिए जल, बैठने की जगह और सुरक्षा की सुविधाएं अनिवार्य होंगी।

गोरखपुर की जाम समस्या खत्म! योगी सरकार बनाएगी प्राइवेट बस अड्डे, 2 एकड़ ज़मीन और 50 लाख नेटवर्थ ज़रूरी – जानें नई नीति की पूरी डिटेल

आवेदन करने वाले का नेटवर्थ 50 लाख रुपये और और पिछले वित्तीय वर्ष का टर्नओवर कम से कम दो करोड़ रुपये होना चाहिए। अधिकारियों का कहना है कि बसस्टॉप तैयार होने के बाद रोड किनारे बसें खड़ी नहीं होंगी और यातायात में कमी होगी।

10 साल के लिए अनुमति, नवीनीकरण की सुविधा

अपर नगर कमिश्नर निरंकार सिंह ने बताया कि एक ही रस्ते पर एक से ज्यादा बसस्टॉप की इजाजत नहीं मिलेगी। एप्लिकेशन होने पर पहली बार 10 साल के लिए संचालन की मंजूरी दी जाएगी।

इसे अगले 10 वर्षों के लिए निर्धारित शर्तों के अनुसार संचालन सफल रहने पर बढ़ाया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि इच्छुक लोग से आवेदन की मांग की गई है और जो मानक पूरे करेंगे, उन्हें जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

निवेश और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा

अधिकारियों का मानना ​​है कि शहर में प्रवेश वाले रास्तो पर बसस्टॉप बनने से जाम की समस्या से छुटकारा मिलेगा। साथ ही निजी क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहन और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

इस समय नंदनगर, खजांची और नौ सड़ से निजी बसें संचालित हो रही हैं। नंदनगर बस स्टैंड पर यात्रियों के लिए कोई सुविधा नहीं है। नौ सड़ में बसें डीजल पेट्रोल पंप पर लगी होती हैं, जबकि खजांची के पास वाली सड़क पर ही यात्रियों को उतारा जाता है।

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