Gorakhpur Zoo: बहराइच से लाए गए भेड़ियों की दोस्ती की नई शुरुआत

Gorakhpur Zoo: बहराइच से लाए गए भेड़ियों की दोस्ती की नई शुरुआत

Gorakhpur Zoo: गोरखपुर के शहीद शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान में मांसाहारी नर और मादा भेड़ियों के बीच अब प्यार बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है। यह भेड़िए, जो पहले बहराइच के गांवों में मनुष्यों पर हमले कर रहे थे, अब शांत और संयमित हो गए हैं। इन दोनों भेड़ियों को एक सुरक्षित और शांत वातावरण में रखा गया था, जिससे उनका व्यवहार बदलने में मदद मिली। अब, चिड़ियाघर प्रबंधन दोनों को एक-दूसरे के सामने लाने की योजना बना रहा है ताकि उनके बीच का संबंध मजबूत हो सके।

बहराइच से गोरखपुर चिड़ियाघर में लाए गए थे भेड़िए

गोरखपुर चिड़ियाघर का भेड़ीए का बाड़ा  शुरू से खाली था, और यहां भेड़ीए लाने के लिए प्रबंधन काफी समय से प्रयास कर रहा था, लेकिन सफल नहीं हो पा रहा था। इस बीच, अगस्त महीने में बहराइच के कुछ गांवों में मांसाहारी भेड़ियों ने मनुष्यों पर हमले शुरू कर दिए। इन भेड़ियों ने गांव वालों को डराकर रखा और यहां तक कि कुछ लोगों को घायल भी किया। इस गंभीर स्थिति के बाद, प्रशासन ने इन भेड़ियों को पकड़ने का आदेश दिया और 29 अगस्त को नर भेड़ीए और 10 सितंबर को मादा भेड़ीए को बचाकर गोरखपुर चिड़ियाघर में लाया गया।

इन भेड़ियों का उद्देश्य केवल वन्य जीवन के लिए खतरा पैदा करना नहीं था, बल्कि वे अपनी प्राकृतिक आदतों के अनुसार मनुष्यों से संपर्क कर रहे थे, जिससे इन्हें वन में वापस छोड़ना सुरक्षित नहीं था। चिड़ियाघर के प्रबंधन ने इन्हें अलग-अलग पिंजरों में रखा था ताकि वे एक-दूसरे से प्रभावित न हों और समय के साथ अपनी आदतों में सुधार कर सकें।

Gorakhpur Zoo: बहराइच से लाए गए भेड़ियों की दोस्ती की नई शुरुआत

भेड़ियों का शांत व्यवहार और योजना

बचाए गए इन भेड़ियों का व्यवहार अब बहुत शांत हो चुका है। पहले जहां वे अपने परिवेश से डरते थे और आक्रामक हो गए थे, वहीं अब इन्हें एक शांत और सुरक्षित वातावरण मिला है, जिससे उनका आक्रामक व्यवहार काफी हद तक कम हो गया है। चिड़ियाघर के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि दोनों भेड़ियों की सेहत अब पूरी तरह से ठीक है और वे अपनी निर्धारित आहार योजना के अनुसार खा रहे हैं। उनके आक्रामक स्वभाव में कमी आई है, और अब वे ज्यादा शांत और संयमित हो गए हैं।

चिड़ियाघर के प्रबंधन ने अब इन दोनों भेड़ियों को एक दूसरे के सामने लाने का फैसला किया है। दोनों के पिंजरों के बीच एक खिड़की खोली जाएगी, ताकि वे एक दूसरे को देख सकें। इस कदम का उद्देश्य उनके बीच मित्रता और संबंध को बढ़ावा देना है, ताकि वे एक-दूसरे के साथ बेहतर तरीके से सामंजस्य स्थापित कर सकें। चिड़ियाघर प्रशासन को उम्मीद है कि इससे इन भेड़ियों के व्यवहार में और सुधार होगा और वे बेहतर तरीके से एक साथ रह सकेंगे।

पर्यटकों को भी मिलेगा मौका

इन भेड़ियों के बीच बढ़ती दोस्ती और शांतिपूर्ण व्यवहार का फायदा न केवल इन भेड़ियों को होगा, बल्कि पर्यटकों को भी मिलेगा। चिड़ियाघर प्रबंधन ने बताया कि यदि इन दोनों भेड़ियों को एक साथ रखा जाता है, तो दर्शकों को उन्हें देखने का मौका मिलेगा। अब तक ये भेड़ीए एक दूसरे से अलग-अलग पिंजरों में थे और दर्शकों के लिए अदृश्य थे। लेकिन अब, खिड़की के माध्यम से इनका एक-दूसरे को देखने का तरीका खोल दिया जाएगा, जिससे दर्शक भी इन भेड़ियों की जीवनशैली को करीब से देख सकेंगे।

गोरखपुर चिड़ियाघर की सफलता और इसके भविष्य

गोरखपुर चिड़ियाघर में भेड़ीए रखने की योजना के बारे में डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने कहा कि यह कदम न केवल चिड़ियाघर के लिए, बल्कि वन्यजीव संरक्षण के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है। इन भेड़ियों को सुरक्षित वातावरण में रखा गया है, जहां उनका आक्रामक व्यवहार कम हो सकता है और वे अपने प्राकृतिक स्वभाव में लौट सकते हैं। इसके साथ ही, चिड़ियाघर में अन्य वन्यजीवों के लिए भी सुरक्षित वातावरण बनाने की दिशा में प्रबंधन द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।

गोरखपुर चिड़ियाघर अब इस योजना के तहत वन्यजीवों के संरक्षण और पर्यटकों को वन्यजीवों के बारे में जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इन भेड़ियों की स्थिति और उनके बदलाव से यह साबित हो रहा है कि सही वातावरण और देखभाल से जंगली जानवरों का आक्रामक व्यवहार बदल सकता है और उन्हें फिर से समाज में सामान्य रूप से समायोजित किया जा सकता है।

गोरखपुर चिड़ियाघर में बहराइच से लाए गए मांसाहारी नर और मादा भेड़ियों की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। उनके आक्रामक व्यवहार में कमी आई है और वे अब एक-दूसरे के साथ सामंजस्य स्थापित करने की ओर बढ़ रहे हैं। चिड़ियाघर के प्रबंधन की योजना है कि दोनों को एक-दूसरे के सामने लाकर उनका संबंध मजबूत किया जाए। इसके साथ ही, यह कदम पर्यटकों के लिए भी रोमांचक हो सकता है, क्योंकि वे इन भेड़ियों को अब करीब से देख पाएंगे। इन भेड़ियों का उदाहरण यह साबित करता है कि सही देखभाल और वातावरण में रहते हुए वन्यजीवों का स्वभाव बदल सकता है और उन्हें पुनः सुरक्षित रूप से समाज में समायोजित किया जा सकता है।

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