Gorakhpur: गोरखपुर के गोलाघाट-कौडीराम रोड पर पिछले 10 साल से बिना किसी बोर्ड या बैनर के चल रहा एक अस्पताल सोमवार रात एक गर्भवती महिला की मौत के बाद चर्चा का विषय बन गया। इस घटना ने अस्पताल में हड़कंप मचा दिया, और पुलिस के पहुंचने से पहले ही अस्पताल का संचालक वहां से फरार हो गया।
गर्भवती महिला की भर्ती और इलाज
रिंकी, जो सिमरी गांव की निवासी हैं, को सोमवार सुबह लगभग 10 बजे उनके परिवार ने अस्पताल में भर्ती कराया था। उन्हें प्रसव पीड़ा हो रही थी। अस्पताल में इलाज के दौरान रिंकी ने एक बेटी को जन्म दिया, लेकिन उनकी हालत प्रसव के बाद अत्यधिक रक्तस्राव के कारण बिगड़ गई। अस्पताल संचालक ने परिवार को तुरंत एंबुलेंस से गोरखपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां रिंकी ने दम तोड़ दिया।
परिवार की प्रतिक्रिया और हंगामा
रिंकी के परिवार ने जब उसकी लाश को घर लाया, तो उन्होंने अस्पताल के खिलाफ लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। इस दौरान, अस्पताल संचालक ने वहां भर्ती एक अन्य महिला, जिसने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया था, को नर्सिंग होम में भेजा और फिर अस्पताल का शटर बंद करके फरार हो गया।
अस्पताल की अनियमितताएँ
इस घटना से यह साफ होता है कि अस्पताल में मानक संचालन प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा रहा था। बताया जा रहा है कि इस अस्पताल में अवैध अल्ट्रासाउंड केंद्र भी संचालित हो रहा था, जो स्थानीय प्रशासन के लिए चिंता का विषय बन गया है।
स्थानीय स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल
इस घटना ने गोरखपुर में स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। बिना किसी मान्यता के चल रहे इस अस्पताल के संचालन ने यह साबित कर दिया है कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर गंभीर खामियां हैं। स्थानीय निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता इस मामले में जांच की मांग कर रहे हैं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
अस्पताल संचालक के खिलाफ कार्रवाई की मांग
रिंकी की मौत के बाद परिवार और स्थानीय निवासियों ने अस्पताल संचालक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। लोगों का कहना है कि ऐसे गैरकानूनी अस्पतालों को तुरंत बंद किया जाना चाहिए, जो न केवल स्वास्थ्य सेवाओं के मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं, बल्कि मरीजों की जान के साथ भी खेल रहे हैं।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया
गोरखपुर के स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस मामले पर गंभीरता से संज्ञान लिया है और उन्होंने इस अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की योजना बनाई है। स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि वे मामले की जांच करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। इसके साथ ही, अवैध अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता
इस घटना ने यह भी उजागर किया है कि समाज में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूकता की कमी है। स्थानीय निवासियों को चाहिए कि वे ऐसे अस्पतालों की पहचान करें और प्रशासन को सूचित करें। साथ ही, लोगों को यह समझना होगा कि स्वास्थ्य सेवाएं केवल सरकारी अस्पतालों में नहीं, बल्कि प्रमाणित निजी अस्पतालों में भी सुरक्षित होती हैं।
गोलाघाट में बिना बैनर वाले अस्पताल में हुई यह घटना न केवल रिंकी के परिवार के लिए एक त्रासदी है, बल्कि यह गोरखपुर की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को भी उजागर करती है। इस प्रकार की घटनाएँ हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि हमें स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए किस तरह की पहल करनी चाहिए। उम्मीद है कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेगा और भविष्य में इस तरह की अनियोजित घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगा।