Gorakhpur: सैनिक संजय पांडेय  के अंतिम संस्कार को मिला सैन्य सम्मान, परिवार के साथ नहीं मना सके दीपावली

Gorakhpur: सैनिक संजय पांडेय  के अंतिम संस्कार को मिला सैन्य सम्मान, परिवार के साथ नहीं मना सके दीपावली

Gorakhpur: 26 वर्षीय सैनिक संजय पांडेय  का अंतिम संस्कार शनिवार को सैन्य सम्मान के साथ किया गया। संजय पांडेय , जो कि बंजरिया गांव के निवासी थे, की आकस्मिक मृत्यु का समाचार सुनकर पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। वह 24वीं बटालियन राजपूत रेजिमेंट में तैनात थे और हाल ही में दीपावली की छुट्टियों पर घर आए थे।

हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए थे संजय

संजय पांडेय  का निधन गुरुवार सुबह लखनऊ के आर्मी कमांड हॉस्पिटल में उपचार के दौरान हुआ। उन्हें बुधवार को एक सड़क दुर्घटना में गंभीर चोटें आई थीं। उस दिन संजय अपने बचपन के दोस्त सोनू यादव के साथ अपनी बुलेट मोटरसाइकिल पर तिरंगा बाजार गए थे। लौटते समय उनकी मोटरसाइकिल का टकराव एक पल्सर बाइक से हो गया, जिसमें पल्सर के चालक, धर्मेंद्र कुशवाहा, की मौके पर ही मौत हो गई। संजय इस दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे और इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।

अंतिम संस्कार की भावनाएँ

सैन्य की एक टुकड़ी, जिसका नेतृत्व नायक सूबेदार विपिन रावत कर रहे थे, ने संजय पांडेय  को अंतिम विदाई दी। इस मौके पर उनके पिता सुरेश पांडे ने अग्नि को समर्पित किया। इस दौरान पूरे क्षेत्र में ‘संजय पांडेय  अमर रहे’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे गूंज उठे।

Gorakhpur: सैनिक संजय पांडेय  के अंतिम संस्कार को मिला सैन्य सम्मान, परिवार के साथ नहीं मना सके दीपावली

परिवार के सदस्यों के विलाप के बीच बड़ी संख्या में लोगों ने इस बहादुर सैनिक के अंतिम दर्शन के लिए एकत्रित हुए। कृषि मंत्री सुर्य प्रताप शाही, पूर्व मंत्री ब्रह्म शंकर त्रिपाठी, सांसद शशांक मणि त्रिपाठी और अन्य जन प्रतिनिधियों ने इस दुखद घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया।

संजय की जिंदगी का संक्षिप्त परिचय

संजय पांडेय , सुरेश पांडे के छोटे बेटे थे, जो बंजरिया गांव के रहने वाले थे। वे तीन भाइयों में सबसे छोटे थे और 2019 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। वर्तमान में, वे लेह-लद्दाख के लेमन सिटी में तैनात थे। उन्होंने दीपावली की छुट्टियों पर हाल ही में घर आने का मौका पाया था, लेकिन दुर्भाग्यवश, यह उनकी अंतिम विदाई बन गई।

दीपावली के समय हुई दुर्घटना

बुधवार, जिसे छोटी दीपावली के रूप में मनाया जाता है, संजय ने अपनी छुट्टियों के दौरान अपने गांव के बाजार जाने का निर्णय लिया। यह एक ऐसा समय था जब परिवारों में खुशी का माहौल होता है, लेकिन संजय की यह यात्रा उनके जीवन की अंतिम यात्रा बन गई।

सड़क पर हुई इस दुर्घटना ने न केवल संजय के परिवार को बल्कि पूरे क्षेत्र को हिलाकर रख दिया। उनकी मां का रोना और परिवार के अन्य सदस्यों की शोक भावना ने सभी को भावुक कर दिया।

क्षेत्र में शोक और संवेदना

संजय के अंतिम संस्कार में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए, जिन्होंने उन्हें श्रद्धांजलि दी। स्थानीय लोगों के साथ-साथ कई जनप्रतिनिधियों ने भी इस दुखद घटना पर संवेदना व्यक्त की। शोक की इस घड़ी में संजय के परिवार को यह महसूस हुआ कि समाज उनके साथ है।

शहीदों की याद में सामुदायिक कार्यक्रम

संजय पांडेय  की शहादत ने पूरे क्षेत्र में शहीदों की याद में कई कार्यक्रमों का आयोजन करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। क्षेत्र के लोग उनके बलिदान को नहीं भूलेंगे और उनके सम्मान में आने वाले दिनों में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित करने का संकल्प लेंगे।

नायक की तरह जिएंगे संजय पांडेय 

संजय पांडेय  ने केवल अपने परिवार और दोस्तों के दिलों में स्थान नहीं बनाया, बल्कि उन्होंने अपनी शहादत के माध्यम से यह संदेश भी दिया कि देश के प्रति प्रेम और सेवा का भाव हमेशा जीवित रहेगा। उनकी कहानी युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी, जो सेना में भर्ती होने के सपने देखते हैं।

संजय पांडेय  की अंतिम विदाई ने यह साबित कर दिया कि देश के सच्चे नायक वे होते हैं जो अपने परिवारों के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र के लिए अपनी जान की बाजी लगाते हैं। उनकी शहादत को हमेशा याद किया जाएगा, और उन्हें एक नायक की तरह हमेशा याद किया जाएगा।

इस दुखद अवसर पर हम संजय पांडेय  को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। उनके बलिदान के लिए हम हमेशा आभारी रहेंगे।

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