Gorakhpur PWD: गोरखपुर में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के खंड-3 में तैनात एक लेखाकार पर विधायकों के शिकायत पत्रों को नजरअंदाज करने का गंभीर आरोप लगा है। यह मामला तब सामने आया जब सत्ता पक्ष के तीन विधायकों द्वारा भेजे गए पत्रों के बावजूद दो वर्षों से कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए लखनऊ के लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता (शिकायत) राजीव कुमार ने गोरखपुर के मुख्य अभियंता से रिपोर्ट तलब की है और मामले की जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने यह भी निर्देश दिया है कि जो लोग पहले शिकायत पत्र को दबाए बैठे थे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए और इसकी जानकारी उन्हें दी जाए।
मामला क्या है?
इस पूरे प्रकरण की शुरुआत तब हुई जब आदर्श पूर्वांचल ठेकेदार समिति के अध्यक्ष शरद सिंह ने पीडब्ल्यूडी के निर्माण खंड भवन से मिले फंड, आवंटन और खर्चे को लेकर विशेष ऑडिट सहित अन्य बिंदुओं पर सवाल उठाए। शरद सिंह ने पीडब्ल्यूडी में हो रही अनियमितताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और मामले की जांच की मांग की। लेकिन, उनके पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इसके बाद, उन्होंने यह मामला कैंपियरगंज के विधायक फतेह बहादुर सिंह, पिपराइच के विधायक महेंद्र पाल सिंह और ग्रामीण विधायक विपिन सिंह के सामने उठाया। तीनों विधायकों ने इस विषय पर गहन जांच की मांग की और इस संबंध में जून 2022 में तीन अलग-अलग पत्र पीडब्ल्यूडी को भेजे। लेकिन विधायकों के इन पत्रों को भी अनदेखा कर दिया गया, और तब से अब तक कोई जांच पूरी नहीं हुई।
दो साल से अटकी जांच
शिकायतकर्ता शरद सिंह का कहना है कि उनके पत्र को लगातार अनदेखा किया जा रहा है और अब तक मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया और सरकारी फंड के आवंटन और खर्च में गड़बड़ी की जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई। इस पूरे मामले में पीडब्ल्यूडी के खंड-3 में तैनात एक लेखाकार पर आरोप है कि उसने विधायकों के पत्रों को नजरअंदाज कर दिया और उन्हें दबा कर रखा।
सरकार की सख्ती
शिकायतकर्ता की शिकायतों और विधायकों के पत्रों पर कोई कार्रवाई न होने के कारण इस मामले को अब लखनऊ के मुख्य अभियंता (शिकायत) राजीव कुमार ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने 9 अक्टूबर को गोरखपुर पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता को पत्र भेजकर इस मामले में रिपोर्ट मांगी है। साथ ही, यह निर्देश भी दिया है कि जो अधिकारी और कर्मचारी विधायकों के पत्रों को नजरअंदाज करने में शामिल थे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
फंड आवंटन और खर्च पर सवाल
शिकायत का मूल विषय पीडब्ल्यूडी के निर्माण खंड भवन से मिले फंड और उसके खर्च को लेकर है। आदर्श पूर्वांचल ठेकेदार समिति के अध्यक्ष शरद सिंह ने इस फंड के आवंटन और खर्च के विशेष ऑडिट की मांग की थी। उनका आरोप है कि फंड का दुरुपयोग हो रहा है और इसमें अनियमितताएं हैं। लेकिन, उनकी शिकायत को नजरअंदाज कर दिया गया और कोई जांच नहीं हुई।
विधायकों की उपेक्षा
विधायकों द्वारा भेजे गए पत्रों को दरकिनार करना एक गंभीर मामला है, क्योंकि ये पत्र जनता के प्रतिनिधियों द्वारा भेजे गए थे। कैंपियरगंज विधायक फतेह बहादुर सिंह, पिपराइच विधायक महेंद्र पाल सिंह और ग्रामीण विधायक विपिन सिंह ने स्पष्ट रूप से इस मामले में जांच की मांग की थी। लेकिन, पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने इन पत्रों को गंभीरता से नहीं लिया और इस कारण अब सरकार को सीधे हस्तक्षेप करना पड़ा है।
भविष्य की दिशा
अब जब इस मामले को लखनऊ के मुख्य अभियंता राजीव कुमार ने गंभीरता से लिया है और जांच के आदेश दिए हैं, तो उम्मीद की जा रही है कि दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, फंड आवंटन और खर्च में हुई गड़बड़ियों की जांच भी जल्द पूरी हो सकती है।