Gorakhpur: दिल्ली में काम करने वाले स्वप्निल की चहचहाती आवाज, घर जाने की इच्छा से परेशान हो गई। उन्हें न तो ट्रेन में कंफर्म टिकट मिल रहा था और न ही रोडवेज़ बसों में सीट मिल रही थी। हर साल की तरह इस बार भी, रेलवे द्वारा दी गई पूजा विशेष ट्रेनों की संख्या के बावजूद, लाखों यात्रियों को कंफर्म सीट नहीं मिल रही थी। यही नहीं, निजी बसों में भी बेतहाशा किराए और मनमाने चार्जेस ने यात्रियों को तंग कर दिया।
स्वप्निल जैसे हज़ारों लोग, जो बिहार और पूर्वांचल के रहने वाले हैं, चहचहाने की बजाय निराश थे क्योंकि उन्हें अपनी छठ पूजा के पर्व को परिवार के साथ मनाने के लिए घर जाने का कोई रास्ता नहीं मिल रहा था। स्वप्निल ने कहा, “पहले ट्रेन में टिकट नहीं मिला, फिर रोडवेज़ बस स्टेशन पर भी जगह नहीं मिली। मैंने आखिरकार निजी बसों का सहारा लिया, लेकिन वहां किराया इतना बढ़ा हुआ था कि मेरे पसीने छूट गए।”
ट्रेन और बसों की जद्दोजहद
इस बार छठ पूजा के समय रेलवे और रोडवेज़ की सेवाओं की स्थिति बेहद खराब रही। दिल्ली से गोरखपुर की तरफ जाने वाली पूजा विशेष ट्रेनें जैसे 04006, 04044, 04010 और 05282 पूरी तरह से भरी हुई थीं। यात्रा करने वालों को किसी भी श्रेणी में टिकट उपलब्ध नहीं हो पा रहा था। यहां तक कि कुछ ट्रेनों की स्लीपर क्लास में 50 लोगों की वेटिंग लिस्ट भी चल रही थी। विशेष ट्रेनें जो छठ पूजा के लिए चलाने का दावा करती हैं, उनमें भी कोई खाली सीट नहीं मिल रही थी। कई यात्रियों को घर लौटने की उम्मीद पूरी नहीं हो रही थी।
निजी बसों में मची अफरा-तफरी
जब लोग ट्रेनों में जगह नहीं पा रहे थे, तो वे निजी बसों का रुख कर रहे थे। लेकिन वहां भी यात्रियों को मनमाने दामों से जूझना पड़ा। स्वप्निल ने बताया, “जो यात्रा 1500-2000 रुपये में हो सकती थी, वही यात्रा मुझे 7000 रुपये में करनी पड़ी।” विशेष बसों के किराए में बढ़ोतरी ने यात्रियों को और भी अधिक परेशान कर दिया। निजी बसें, जो पहले दिल्ली से गोरखपुर के लिए 2500-3000 रुपये में उपलब्ध होती थीं, उनका किराया अब बढ़कर सात हजार रुपये तक पहुंच गया था। इस स्थिति में, कई लोग घर लौटने की उम्मीद छोड़ चुके थे और वही लोग वापस अपने कामकाजी शहर लौटने के बाद ही छठ पूजा की खुशी का जश्न मना रहे थे।
गोरखपुर और आसपास के इलाके में बढ़ी भीड़
गोरखपुर जैसे शहरों में, जहां हर साल छठ पूजा के मौके पर एक बड़ी संख्या में लोग अपने घरों को लौटते हैं, इस बार विशेष ट्रेनें और बसों की कमी खली। रेलवे द्वारा 42 पूजा विशेष ट्रेनों का संचालन किया गया था, लेकिन इनमें से कई ट्रेनें भरी हुई थीं और टिकटों की उपलब्धता बेहद कम थी। यहां तक कि 7 नवम्बर को भी छठ पूजा के अंतिम दिन के लिए कोई टिकट नहीं मिल पा रहा था।
गोरखपुर से दिल्ली और अन्य शहरों के लिए जाने वाली ट्रेनों के बारे में बात करें, तो इन विशेष ट्रेनों के चलने के बाद भी बहुत सी ट्रेनें भरी हुई थीं। यात्रियों के लिए एकमात्र सहारा ट्रेनों में सीट पाने की उम्मीदें थीं, लेकिन ये उम्मीदें चुराई जा रही थीं। इस कारण से यात्रियों को निराशा का सामना करना पड़ा।
भविष्य में सुधार की आवश्यकता
यात्रियों को परेशानी का सामना तब और बढ़ जाता है जब रेलवे और राज्य परिवहन विभाग की ओर से आने वाले समय में कोई खास सुधार नहीं दिखाई देता। छठ पूजा जैसे महत्वपूर्ण त्योहारों के समय यह समस्याएं और भी गंभीर हो जाती हैं। यात्रियों को उचित सुविधाएं मिलनी चाहिए ताकि उन्हें परेशानियों का सामना न करना पड़े।
वहीं, गोरखपुर और आसपास के शहरों में, ट्रेनों और बसों के अलावा अन्य यात्रा साधनों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। यात्रा में कमीशन वसूलने और मनमाने दामों की अव्यवस्था के कारण यात्रियों को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अब यह रेलवे और राज्य परिवहन विभाग का जिम्मा बनता है कि वे यात्रियों को आरामदायक यात्रा प्रदान करने के लिए सुधार के कदम उठाएं।
अंततः यह कह सकते हैं कि इस बार के छठ पूजा में ट्रेनों और बसों की अनियंत्रित स्थिति और मनमानी टिकटों ने यात्रियों को परेशान किया। सस्ती और सुरक्षित यात्रा के उपायों का अभाव इस त्योहार में यात्रा करने वाले लोगों की खुशी को कहीं न कहीं नष्ट कर रहा है। आने वाले समय में रेलवे और रोडवेज़ विभाग को यात्रियों की बेहतर सुविधा और व्यवस्था के लिए गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता है।