Gorakhpur News: सोमवार को गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंचीं, जब उन्होंने माइक्रो फाइनेंस कंपनियों से लिए गए 3000 रुपये तक के कर्ज माफ होने की अफवाह सुनी। ये महिलाएं स्वयं सहायता समूहों में शामिल होकर कर्ज ले चुकी थीं और कैंपियरगंज, भटहट, संत कबीर नगर और महाराजगंज से आई थीं। वे मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय जाने की जिद पर अड़ी थीं। पुलिस ने उन्हें गेट पर ही रोक दिया और लंबे समय तक अफरा-तफरी का माहौल बना रहा। लगभग दो घंटे की कोशिशों के बाद पुलिस ने महिलाओं को समझा-बुझाकर वापस भेज दिया। महिलाओं ने कहा कि उन्हें यह नहीं पता कि गांव में किसने यह अफवाह फैलाई थी कि गोरखनाथ मंदिर में फॉर्म भरकर जमा करने पर उनका कर्ज माफ हो जाएगा।
अफवाह का प्रभाव और महिलाओं का आक्रोश
महिलाओं ने बताया कि पिछले दो-तीन दिनों से गांव में यह चर्चा चल रही थी कि जो महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से कर्ज ली हैं, उनका कर्ज माफ किया जा रहा है। इसी आधार पर कुछ महिलाएं रविवार को भी महाराजगंज से मंदिर पहुंची थीं। सोमवार को दोपहर 12 बजे के करीब कैंपियरगंज, भटहट, धानी, संत कबीर नगर, निचलौल और फरेंदा से महिलाओं का एक बड़ा समूह गोरखनाथ मंदिर पहुंचा।
इन महिलाओं का कहना था कि उन्होंने माइक्रो फाइनेंस कंपनियों से दस से तीस हजार रुपये तक का कर्ज लिया हुआ है। कुछ महिलाएं रविवार को गोरखपुर पहुंची थीं और उनका कर्ज माफ हो रहा था। ऐसे में वे भी अपना फॉर्म भरकर जमा करने के लिए वहां पहुंची थीं। पुलिस ने महिलाओं को गेट पर ही रोक दिया और उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन महिलाएं मानने को तैयार नहीं थीं।
पुलिस की कोशिशें और अफवाह का खंडन
महिलाओं ने मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय जाने की जिद की। पुलिस ने लाउडस्पीकर से बार-बार घोषणा की कि कोई कर्ज माफी की योजना नहीं है। यह एक अफवाह है और उन्हें अपने घर वापस जाना चाहिए। इसके बाद सीओ गोरखनाथ रवि कुमार सिंह ने महिलाओं की बात फाइनेंस कंपनी के अधिकारी से कराई, तब जाकर महिलाएं वापस लौटीं। महिलाओं ने बताया कि उनके गांवों में यह घोषणा की गई थी कि यदि गोरखनाथ मंदिर में फॉर्म जमा किया जाता है तो उनका कर्ज माफ हो जाएगा।
सोशल मीडिया पर फर्जी जानकारी का प्रसार
इस घटना के पीछे सोशल मीडिया और व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से फैलाई गई फर्जी जानकारी थी। महिलाओं ने बताया कि उन्हें अपने व्हाट्सएप ग्रुप पर एक संदेश प्राप्त हुआ था, जिसमें कहा गया था कि माइक्रो फाइनेंस कंपनियों द्वारा दिए गए कर्ज माफ किए जा रहे हैं और इसके लिए फॉर्म जमा किए जा रहे हैं।
कई महिलाओं ने सोचा कि अगर उन्होंने फॉर्म जमा नहीं किया तो उनका कर्ज माफ नहीं होगा। हालांकि, पुलिस ने उन्हें समझाया कि ऐसी कोई योजना नहीं है और यह सिर्फ एक अफवाह है। पुलिस द्वारा समझाने के बाद महिलाएं तो वापस लौट गईं, लेकिन वे इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं थीं कि जो जानकारी उन्हें मिली थी वह गलत थी।
माइक्रो फाइनेंस कंपनियों से कर्ज लेना: आसान प्रक्रिया, कठिन वसूली
माइक्रो फाइनेंस कंपनियों ने शुरुआत में महिलाओं को कर्ज देने में कोई कठिनाई नहीं की, लेकिन अब उनके एजेंट कर्ज वसूली में कठोर रवैया अपनाए हुए हैं। स्वयं सहायता समूह की निदेशक काठाली देवी ने बताया कि वह महाराजगंज के फरेंदा के पास स्थित चितौनी गांव की निवासी हैं। उनके समूह में 35 महिलाएं हैं और प्रत्येक महिला ने चार-पांच माइक्रो फाइनेंस कंपनियों से कर्ज लिया हुआ है। कई महिलाओं के परिवार के सदस्य भी इस बात से अनजान थे कि उन्होंने कर्ज लिया है।
कंपनियों के एजेंट, जैसे मुथूट, बजाज, भारत, फ्रीजर, अश्वधान आदि, आधार कार्ड लेकर आए, घर देखा और फिर आसानी से कर्ज दे दिया। अब जब गांव में कुछ महिलाएं कर्ज चुका पाने में असमर्थ हो रही हैं, तो उन्हें धमकाया भी जा रहा है।
घरों में बढ़ी कड़वाहट और पारिवारिक विवाद
देवरादतुला गांव की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए कर्ज लेना एक बड़ा धोखा साबित हुआ। एक मामला सितंबर 2024 में सामने आया, जब महिलाओं ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि उन्हें कर्ज नहीं मिला, लेकिन वे कर्जदार बन गईं।
कई महिलाओं के घरों में बैंकों के कर्मचारी वसूली के लिए आ रहे हैं, जिससे उनके परिवार के सदस्य नाराज हो रहे हैं। कई महिलाओं के पति जब यह जानते हैं कि उनकी पत्नियों पर कर्ज है, तो घर में विवाद उत्पन्न हो जाता है। कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जिनके पतियों ने तलाक की धमकी देकर घर छोड़ दिया है।
प्रशासनिक कार्रवाई
एसएसपी के निर्देश पर, पुलिस स्टेशन के प्रभारी ने एक-एक करके महिलाओं के बयान दर्ज किए। 27 सितंबर को हरपुर-बुधात थाना क्षेत्र में आरोपित ऑपरेटर रूपा और उनके पति दिनेश के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया।
जिलाधिकारी कृष्ण करुणेश ने बताया कि महिलाएं कर्ज माफी की अफवाह सुनकर मंदिर आई थीं। कुछ शरारती तत्व ऐसे अफवाहें फैला रहे हैं और प्रशासन उन लोगों की पहचान कर रहा है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस पूरी घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कैसे अफवाहें और फर्जी जानकारी समाज में भ्रम फैला सकती हैं और लोगों को बेवजह परेशान कर सकती हैं। प्रशासन को अब और सतर्क रहने की जरूरत है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और लोगों तक सही जानकारी पहुंचाई जा सके।