Gorakhpur news: गोरखपुर में एंटी करप्शन टीम ने एक महिला निरीक्षक को घूस लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा। महिला निरीक्षक ने एक मां और बेटे से 10 हजार रुपये की घूस की मांग की थी ताकि वे एक मामले से अपना नाम हटवा सकें। यह घटना न केवल विभाग के लिए एक बड़ा धक्का है, बल्कि यह पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार की बढ़ती समस्या को भी उजागर करती है। आइए जानते हैं पूरी घटना के बारे में और कैसे भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई हो रही है।
महिला निरीक्षक द्वारा घूस की मांग
गोरखपुर के पीपराइच थाने में तैनात प्रशिक्षु महिला निरीक्षक अंकिता पांडेय ने एक महिला और उसके बेटे से 10 हजार रुपये की घूस की मांग की थी। उनका आरोप था कि महिला का परिवार एक मारपीट मामले में फंस गया था और उन्होंने महिला निरीक्षक से अपील की थी कि मामले से उनका नाम हटा दिया जाए। इस मामले को लेकर महिला और उसके परिवार ने एंटी करप्शन पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी।
मारपीट के मामले में घूस की मांग
यह मामला 27 सितंबर 2024 का है, जब पीपराइच के बेलाकांता गांव की उर्मिला देवी और उनके परिवार के खिलाफ एक मारपीट का मामला दर्ज किया गया था। इस मामले की जांच प्रशिक्षु महिला निरीक्षक अंकिता पांडेय को सौंपी गई थी। उर्मिला देवी ने यह आरोप लगाया था कि उनके पति गोरख, बेटे तूफानी और बेटी का इस घटना से कोई लेना-देना नहीं था, लेकिन फिर भी महिला निरीक्षक ने उनसे 10 हजार रुपये की घूस की मांग की थी।
एंटी करप्शन टीम की कार्रवाई
घूस की मांग के बाद, उर्मिला देवी और उनके बेटे ने एंटी करप्शन पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। जांच के दौरान मामला सही पाया गया। शुक्रवार को शाम 4 बजे उर्मिला और उनके बेटे ने महिला निरीक्षक को मिलने के लिए बुलाया और निरीक्षक ने उन्हें बेलाकांता पिकेट पर बुलाया। जैसे ही वे वहां पहुंचे, उन्होंने 10 हजार रुपये का पैकेट दिया, और एंटी करप्शन टीम ने उन्हें रंगे हाथ पकड़ लिया।
दो कांस्टेबल मौके से फरार
घटना के समय महिला निरीक्षक के साथ दो कांस्टेबल भी मौके पर मौजूद थे। जैसे ही कांस्टेबल्स को शक हुआ, वे मौके से फरार हो गए। एंटी करप्शन टीम ने महिला निरीक्षक के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज कर उसे कैंट पुलिस थाने में भेज दिया।
खाकी की प्रतिष्ठा को नुकसान
कानून व्यवस्था को सुधारने और भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए अधिकारी निरंतर प्रयासरत हैं, लेकिन विभाग में कुछ लोग खाकी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने का काम कर रहे हैं। यह घटना विभाग के लिए एक चेतावनी है, क्योंकि पिछले पांच महीनों में यह दूसरी बार हुआ है जब एक महिला निरीक्षक भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़ी गई है। इससे अधिकारियों के लिए चिंता बढ़ गई है और उन्हें इस पर कड़ी नजर रखने की आवश्यकता महसूस हो रही है।
पिछले कुछ महीनों में भ्रष्टाचार के अन्य मामले
- 31 जुलाई 2024: एंटी करप्शन टीम ने रामनगर कडझाहन पुलिस पोस्ट में तैनात दीवान इनाम खान और कांस्टेबल सूरज सिंह को 10 हजार रुपये की घूस लेते हुए पकड़ा था। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया।
- 10 जून 2024: जगरनाथपुर पुलिस पोस्ट में तैनात उप-निरीक्षक और कांस्टेबल्स के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया था।
- 1 अप्रैल 2024: बीगंज आउटपोस्ट के इंचार्ज आलोक सिंह ने एक व्यापारी से 50 लाख रुपये की वसूली की थी। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया और जेल भेजा गया।
- 6 फरवरी 2024: रामनगर कडझाहन आउटपोस्ट के चार कर्मचारियों पर रिश्वत लेने का मामला दर्ज किया गया था।
- 17 जनवरी 2024: पीपीगंज पुलिस स्टेशन के उप-निरीक्षक अमित कुमार सिंह और कांस्टेबल अमित यादव को एक तस्कर को छोड़ने के लिए रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था।
भ्रष्टाचार के बढ़ते मामले और विभाग की छवि पर असर
पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार के बढ़ते मामलों से विभाग की छवि को गहरी चोट पहुँच रही है। यह घटनाएं न केवल जनता के विश्वास को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि अधिकारी भी इस बढ़ती समस्या से चिंतित हैं। कई अधिकारी इस मुद्दे पर कड़ी कार्रवाई करने की दिशा में कदम उठा रहे हैं, लेकिन नए मामलों के उजागर होने से यह स्थिति और चुनौतीपूर्ण हो रही है।
दूसरी ओर बढ़ती हुई चुनौती
पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार की समस्या गंभीर होती जा रही है और हर बार नए मामले सामने आने से प्रशासन को इसे रोकने में मुश्किलें आ रही हैं। हालांकि, अधिकारियों ने भ्रष्टाचार के मामलों में कड़ी कार्रवाई करने की दिशा में निर्देश दिए हैं, फिर भी हर बार नए मामले सामने आते हैं। इस स्थिति को सुधारने के लिए आवश्यक है कि विभाग को और अधिक सख्त किया जाए और भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता बढ़ाई जाए।
गोरखपुर में महिला निरीक्षक की गिरफ्तारी से यह स्पष्ट हो गया है कि विभाग में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए और कड़ी कार्रवाई की जरूरत है। ऐसे मामलों में कड़ी सजा देने से जनता का विश्वास बनाए रखा जा सकता है और पुलिस विभाग की छवि को बेहतर किया जा सकता है। प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और लोगों का कानून और व्यवस्था पर विश्वास मजबूत हो।