Gorakhpur News: शहर के कुंराघाट इलाके में एक फैक्ट्री में बिना टमाटर के केवल केमिकल्स से टमाटर सॉस बनाया जा रहा था। इस फैक्ट्री में सॉस के साथ-साथ सेवईं भी बन रही थी। खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने छापा मारकर करीब छह क्विंटल तैयार सॉस और सेवईं को जब्त कर लिया। मौके पर एक ड्रम अमोनियम सल्फाइड, 20 लीटर सोडियम बेंज़ोएट, 70 बोरे आटा और अन्य सामग्री भी बरामद हुई। फैक्ट्री में एक भी टमाटर का अंश नहीं पाया गया, जिससे इस सॉस की गुणवत्ता पर सवाल उठना लाज़मी है।
लंबे समय से चल रहा था मिलावट का खेल
कुंराघाट इलाके में स्थित इस फैक्ट्री में टमाटर सॉस और सेवईं बनाने का काम लंबे समय से चल रहा था। पहले भी यहां से लिए गए सैंपल फेल हो चुके थे और फैक्ट्री मालिक को चेतावनी दी गई थी। फिर भी, इस फैक्ट्री में मिलावट का सिलसिला जारी रहा। यहाँ की शिकायतें लंबे समय से मिल रही थीं कि इस फैक्ट्री में बनाया गया टमाटर सॉस ठेले पर बर्गर बेचने वाले विक्रेताओं द्वारा खरीदा जा रहा है, जिसकी गुणवत्ता बेहद खराब है।
फैक्ट्री का निरीक्षण और छापेमारी
सोमवार को जब खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम निरीक्षण के लिए फैक्ट्री पहुंची, तो भारी मात्रा में तैयार किया गया टमाटर सॉस मिला। जांच के दौरान पाया गया कि सॉस बनाने के लिए किसी भी प्रकार के फल या सब्जी का इस्तेमाल नहीं किया गया था। यहाँ पर केवल केमिकल और रंगों का ही उपयोग हो रहा था।
फैक्ट्री से 22 कैन सिंथेटिक रंग, 20 किलो सोडियम बेंज़ोएट, तीन ड्रम केमिकल, एक ड्रम अमोनियम सल्फाइड और 70 बोरे आटे की सामग्री भी बरामद हुई। जांच में पाया गया कि टमाटर सॉस पूरी तरह से केमिकल्स और रंगों से बन रहा था, जो कि स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है। इसी प्रकार, फैक्ट्री में बन रही सेवईं में भी स्वच्छता का ध्यान नहीं रखा जा रहा था। मशीन के आसपास और अंदर भारी मात्रा में गंदगी फैली हुई थी।
खाद्य सुरक्षा टीम की कार्रवाई
इस छापेमारी के दौरान मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी हितेंद्र मोहन त्रिपाठी, खाद्य सुरक्षा अधिकारी अशुतोष कुमार सहित कई अधिकारी और कर्मचारी मौजूद थे। टीम ने फैक्ट्री को सील करते हुए सभी जब्त किए गए सामानों को अपने कब्जे में ले लिया है। अब खाद्य सुरक्षा विभाग ने इस मामले में कानूनी कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है ताकि भविष्य में इस प्रकार की खाद्य मिलावट को रोका जा सके।
स्वास्थ्य पर पड़ता है घातक प्रभाव
जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. राजेश कुमार ने इस प्रकार के मिलावटी भोजन के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि केमिकल युक्त भोजन का सेवन करने से फूड प्वाइजनिंग हो सकती है। मिलावटी सॉस में मौजूद हानिकारक केमिकल्स और बैक्टीरिया के कारण उल्टी और दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, ऐसे केमिकल्स से एलर्जी भी हो सकती है, जिससे खुजली, त्वचा पर लालपन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
डॉ. कुमार ने बताया कि इन केमिकल्स का शरीर के अंगों पर भी बुरा असर पड़ता है। इससे लिवर और किडनी को नुकसान हो सकता है। केमिकल्स से तंत्रिका तंत्र पर भी प्रभाव पड़ सकता है, जिससे सिरदर्द, थकान और याददाश्त की कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, इससे हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और यहां तक कि हृदय गति रुकने का खतरा भी बढ़ सकता है।
क्यों जरूरी है सख्त कार्रवाई?
इस प्रकार की घटनाएं जनता के स्वास्थ्य के प्रति एक गंभीर खतरे को दर्शाती हैं। ऐसी मिलावटी खाद्य सामग्री का सेवन न केवल उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को खतरे में डालता है, बल्कि यह भोजन की गुणवत्ता और सुरक्षा पर भी सवाल खड़े करता है। खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा इस फैक्ट्री पर की गई कार्रवाई एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इस प्रकार की गतिविधियों को पूरी तरह से रोकने के लिए सख्त कानूनों की जरूरत है।
आम जनता की भूमिका
इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए उपभोक्ताओं को भी सतर्क रहना चाहिए। उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि वे साफ-सुथरे और प्रमाणित स्थानों से ही खाद्य सामग्री खरीदें। साथ ही, सरकार और खाद्य सुरक्षा विभाग को भी इस दिशा में जागरूकता अभियान चलाना चाहिए ताकि लोग मिलावटी भोजन के दुष्प्रभावों के प्रति सजग रहें।
विभाग का अगला कदम
खाद्य सुरक्षा विभाग के मुख्य अधिकारी हितेंद्र मोहन त्रिपाठी ने बताया कि इस फैक्ट्री के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, विभाग द्वारा सभी मिलावटी खाद्य सामग्री को नष्ट करने की प्रक्रिया भी जल्द ही शुरू की जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी है कि भविष्य में इस प्रकार की मिलावट को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इसके लिए सख्त से सख्त कदम उठाए जाएंगे।
इस घटना ने गोरखपुर में मिलावट के बढ़ते मामलों पर एक बार फिर से रोशनी डाली है और इस बात को स्पष्ट किया है कि लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई समय की मांग है।