Gorakhpur news: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दिया गया नारा “अगर हम बंटेंगे तो हम कटेंगे, अगर हम एक रहेंगे तो हम अच्छे रहेंगे” अब केवल उत्तर प्रदेश तक ही सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुका है। इस नारे का असर अब महाराष्ट्र सहित कई अन्य राज्यों में भी देखा जा रहा है, जहां इस नारे के साथ होर्डिंग्स और बैनर लगाए जा रहे हैं। खास बात यह है कि यह नारा अब गोरखपुर के गोरक्षनगरी में भी प्रमुख रूप से दिखने लगा है।
नारे की शुरुआत और राजनीतिक प्रभाव
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस नारे को पहली बार 26 अगस्त 2024 को आगरा में राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौड़ की प्रतिमा का अनावरण करते हुए दिया था। इस मौके पर उन्होंने समाज की एकता की बात करते हुए कहा था, “अगर हम बंटेंगे तो हम कटेंगे, अगर हम एक रहेंगे तो हम अच्छे रहेंगे।” इस नारे को लेकर राज्यभर में चर्चा शुरू हुई और यह नारा एक राजनीतिक हथियार बन गया। इसके बाद, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को इसका प्रतिवाद करते हुए नारा देना पड़ा, “अगर हम बंटेंगे तो हम जीतेंगे,” लेकिन योगी का नारा फिर भी चर्चा में बना रहा।
महाराष्ट्र और हरियाणा में नारे का असर
योगी आदित्यनाथ का यह नारा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी असर दिखाने लगा। महाराष्ट्र में इस नारे के साथ होर्डिंग्स लगाए गए, जिसमें मुख्यमंत्री योगी की तस्वीर के साथ लिखा था, “अगर हम बंटेंगे तो हम कटेंगे।” इसके बाद, यह नारा गोरखपुर के गोरक्षनगरी में भी तेजी से फैलने लगा है।
गोरखपुर में मंगलवार को इस नारे के साथ कई होर्डिंग्स और बैनर शहर के विभिन्न इलाकों में लगाए गए, जैसे नौरखान, पड़लेगंज, मोहद्दीपुर, गोरखनाथ रोड, छात्रसंघ, परिवहन नगर आदि। इन होर्डिंग्स को नगर में स्थापित किया गया, ताकि समाज में एकता का संदेश दिया जा सके। इन होर्डिंग्स को लगाने का मुख्य उद्देश्य सामाजिक एकता को बढ़ावा देना है, और यही कारण है कि इन होर्डिंग्स के माध्यम से इस नारे को लोकप्रिय किया जा रहा है।
विज्ञापन से राजनीति तक का सफर
योगी आदित्यनाथ का यह नारा भाजपा के लिए एक सशक्त राजनीतिक हथियार बन चुका है। इसे हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी प्रभावी रूप से इस्तेमाल किया गया था, और अब महाराष्ट्र में भी यह नारा भाजपा के प्रचार का हिस्सा बन चुका है। यह नारा न केवल एक चुनावी रणनीति का हिस्सा बन गया है, बल्कि यह समाज में एकता और संप्रदायिक सौहार्द की भावना को भी बढ़ावा दे रहा है।
गोरखपुर में इस नारे की लोकप्रियता और बढ़ी है, जहां पर इसे विभिन्न इलाकों में होर्डिंग्स और बैनरों के माध्यम से जनता तक पहुंचाया जा रहा है। इन होर्डिंग्स के माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि समाज को एकजुट रहना चाहिए, ताकि हम सामूहिक रूप से आगे बढ़ सकें।
गोरखपुर-बस्ती मंडल में विस्तार की योजना
गोरखपुर शहर के साथ-साथ गोरखपुर-बस्ती मंडल के अन्य जिलों में भी इस नारे के प्रभाव को फैलाने की योजना है। दो दिनों के भीतर गोरखपुर-बस्ती मंडल के सभी जिलों में इसी तरह के होर्डिंग्स लगाए जाएंगे। इन होर्डिंग्स को विभिन्न स्थानों पर लगाया जाएगा ताकि समाज में एकता का संदेश और अधिक प्रभावी ढंग से पहुंचे।
गोरखपुर शहर के डीवीएनपीजी कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष और भाजपा युवा मोर्चा के कार्यसमिति सदस्य अभय सिंह, जो इन होर्डिंग्स को लगाने के लिए जिम्मेदार थे, ने कहा कि इन होर्डिंग्स का उद्देश्य समाज में एकता की भावना को जागृत करना है। उनका मानना है कि यह नारा समाज को जोड़ने का एक कारगर तरीका है और लोग इसे अपनाकर समाज में एकता बनाए रखने में मदद करेंगे।
लोकप्रियता में वृद्धि और भविष्य की योजनाएं
योगी आदित्यनाथ का यह नारा अब आम जनता के बीच भी खासा लोकप्रिय हो चुका है। यह नारा केवल एक राजनीतिक बयानबाजी नहीं बल्कि एक सामाजिक संदेश भी बन चुका है। इसके माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समाज को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि समाज की एकता ही उसकी ताकत है, और अगर हम एकजुट रहते हैं तो किसी भी तरह के बंटवारे से बच सकते हैं।
गोरखपुर के अलावा, गोरखपुर-बस्ती मंडल के अन्य जिलों में भी इस नारे को फैलाने के लिए इस तरह की गतिविधियाँ जारी रहेंगी। इस नारे का असर समाज के हर वर्ग पर पड़ने की उम्मीद जताई जा रही है, और यह नारा अब केवल गोरखपुर या उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रह जाएगा। इसके प्रभाव को आगामी चुनावों में देखा जा सकता है।
समाज में एकता का संदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस नारे का सबसे बड़ा संदेश यही है कि समाज को एकजुट रहकर एक मजबूत और सशक्त राष्ट्र की ओर बढ़ना चाहिए। इस नारे के माध्यम से, वे समाज में भाईचारे और सद्भावना को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं। यह नारा न केवल भाजपा की चुनावी रणनीति का हिस्सा है, बल्कि यह समाज में समरसता की भावना को मजबूत करने का एक कदम भी है।
जैसे-जैसे यह नारा गोरखपुर और आसपास के क्षेत्रों में लोकप्रिय हो रहा है, यह देखा जाएगा कि क्या यह नारा बाकी राज्यों और चुनावी क्षेत्रों में भी उतना ही प्रभावी साबित होता है।