Gorakhpur News: गोरखपुर में हाल ही में एक बड़ा खुलासा हुआ है जो कई राज्यों में चल रहे नकली हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट्स के कारोबार को उजागर करता है। पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपी संजय गर्ग ने पूछताछ में बताया कि इस फर्जी नंबर प्लेट गेंग का असली सरगना मुंबई का सुमित है। संजय गर्ग, जो खुद को इस गिरोह का मास्टरमाइंड कहता था, असल में सुमित का मात्र एक दलाल है। सुमित ही नकली नंबर प्लेट्स बनाकर उन्हें देशभर में सप्लाई करता है। पुलिस अब इस मामले में सुमित की तलाश में जुट गई है।
संजय गर्ग की गिरफ्तारी और पहली कड़ी का खुलासा
राजस्थान के जयपुर निवासी संजय गर्ग को गोरखपुर की कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने 48 घंटे के ट्रांजिट रिमांड पर संजय को गोरखपुर लाकर पूछताछ की, जहां संजय ने सुमित का नाम उजागर किया। पुलिस को उसके मोबाइल की व्हाट्सएप चैट से यह जानकारी मिली कि वह न सिर्फ उत्तर प्रदेश, बल्कि हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, बिहार, छत्तीसगढ़, नागालैंड और पंजाब जैसे राज्यों में भी नकली नंबर प्लेट की सप्लाई करता था।
फर्जी नंबर प्लेट का नेटवर्क: सुमित से कैसे जुड़ता है संजय?
संजय गर्ग ने पूछताछ के दौरान बताया कि जब उसे किसी राज्य से नकली नंबर प्लेट का ऑर्डर मिलता था, तो वह उसे सुमित तक पहुंचा देता था। सुमित मुंबई से हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट्स बनाकर भेजता था। संजय फिर इन्हें ग्राहकों को सप्लाई कर देता था। यह नेटवर्क इस तरह से मजबूत बना हुआ था कि पुलिस को इस कारोबार की भनक तक नहीं लग पाई थी। संजय ने बताया कि सुमित ने मुंबई में एक कंपनी बनाई हुई है जहां पर ये नकली नंबर प्लेट्स बनाए जाते हैं और पूरे देश में भेजे जाते हैं।
गिरफ्तारियों का सिलसिला: संजय से पहले पकड़ा गया एक युवक
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब अलीनगर से एक युवक को नकली नंबर प्लेट बेचने के आरोप में पकड़ा गया। उस युवक ने पूछताछ में संजय गर्ग का नाम लिया। संजय की गिरफ्तारी के बाद सुमित का नाम सामने आया, जिसने इस मामले को और गंभीर बना दिया है। पुलिस का मानना है कि सुमित जयपुर का ही निवासी है, जो मुंबई में रहकर इस गोरखधंधे को चला रहा है।
हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट की आवश्यकता और फर्जीवाड़ा कैसे फैलता गया
हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट्स का उद्देश्य वाहनों की चोरी रोकना और उनकी पहचान को पुख्ता करना है। सरकार द्वारा अनिवार्य किए गए इन नंबर प्लेट्स की सुरक्षा विशेषताएं होती हैं जो नकली बनाना मुश्किल बनाती हैं। लेकिन संजय और सुमित जैसे लोग कानून का फायदा उठाकर असली जैसी दिखने वाली नकली नंबर प्लेट्स तैयार कर रहे हैं। ये नकली नंबर प्लेट्स न केवल वाहन चोरी जैसे अपराधों को बढ़ावा देती हैं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरे में डालती हैं।
कैसे करें पहचान नकली नंबर प्लेट्स की?
- लोगो की असमानता: असली नंबर प्लेट्स पर विशेष प्रतीक या होलोग्राम होते हैं, जो नकली नंबर प्लेट्स पर अक्सर नदारद होते हैं।
- QR कोड स्कैन करें: असली हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट्स पर QR कोड होता है, जिसे स्कैन करने पर वाहन की पूरी जानकारी मिलती है।
- सत्यापन के लिए RTO से संपर्क करें: अगर किसी को शक हो कि उसकी नंबर प्लेट नकली हो सकती है, तो वह नजदीकी RTO कार्यालय जाकर इसका सत्यापन करवा सकता है।
पुलिस की कार्यवाही और संभावित कदम
गोरखपुर पुलिस अब सुमित की तलाश में जुट गई है। सुमित की गिरफ्तारी के बाद इस गिरोह के कई और सदस्यों के नाम सामने आ सकते हैं। पुलिस का मानना है कि संजय और सुमित जैसे लोगों के माध्यम से पूरे देश में नकली हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट का नेटवर्क फैलाया गया है। अधिकारियों ने बताया कि इस नेटवर्क को खत्म करने के लिए अब अन्य राज्यों की पुलिस से भी सहयोग लिया जाएगा।
सुरक्षा के लिए नागरिकों के लिए पुलिस की हिदायतें
गोरखपुर पुलिस ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध नंबर प्लेट को तुरंत RTO कार्यालय में रिपोर्ट करें। इसके साथ ही, अगर कोई व्यक्ति सस्ते में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने की बात करता है, तो उससे सावधान रहें। पुलिस के अनुसार, इस तरह के फर्जीवाड़े में शामिल लोगों पर जल्द ही कड़ी कार्यवाही की जाएगी और सुमित की गिरफ्तारी के बाद इस गिरोह का पर्दाफाश करने में सहायता मिलेगी।
यह मामला यह साबित करता है कि वाहन सुरक्षा के नाम पर भी कुछ लोग अवैध तरीके अपनाकर अपनी जेबें भर रहे हैं। ऐसे में जरूरत है कि नागरिक जागरूक रहें और सरकार द्वारा जारी नियमों का पालन करें। नकली नंबर प्लेट्स का प्रयोग न केवल अवैध है बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा उत्पन्न कर सकता है। GDA और पुलिस प्रशासन इस मामले में सख्ती से काम कर रहे हैं और उम्मीद है कि जल्द ही इस गिरोह का पर्दाफाश किया जाएगा।