Gorakhpur News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा वर्ष 2018 में टेराकोटा को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) में शामिल किए जाने के बाद से इस कला के कारीगरों के दिन बदल गए हैं। पहले जो कला खत्म होती नजर आ रही थी, वह अब पूरे देश में प्रसिद्ध हो गई है। कारीगरों के पास इतना काम है कि उन्हें सांस लेने की भी फुर्सत नहीं मिलती।
देश के विभिन्न राज्यों में टेराकोटा उत्पादों की बढ़ती मांग के बीच, इस बार कारीगरों की ‘बिजनेस दीवाली’ नवरात्रि से पहले ही चमक गई है। गोरखपुर के कारीगरों ने देश के अलग-अलग राज्यों में लगभग 30 ट्रक टेराकोटा उत्पादों की आपूर्ति की है और अब वे दिवाली के लिए स्थानीय बाजार के लिए उत्पाद तैयार करने में जुटे हैं।
पिछले साल से दुगनी हुई टेराकोटा उत्पादों की मांग
गोरखपुर के टेराकोटा उत्पादों की मांग दशहरा और दिवाली के लिए पिछले साल की तुलना में दोगुनी हो गई है। नवरात्रि से पहले ही कारीगरों ने त्योहारी मांग की आपूर्ति कर दी है। राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त टेराकोटा कारीगर राजन प्रजापति के अनुसार, इस बार उन्होंने हैदराबाद, अहमदाबाद, मुंबई, दिल्ली और राजस्थान के शहरों में दशहरा और दिवाली के लिए 15 ट्रक उत्पादों की आपूर्ति की है।
पिछले साल राजन ने अन्य राज्यों में 8 ट्रक टेराकोटा उत्पाद भेजे थे। उनके अलावा पन्नालाल प्रजापति ने 8 ट्रक, हरिओम आज़ाद ने 2 ट्रक, मोहनलाल और सोहनलाल प्रजापति ने 2 ट्रक और हीरालाल प्रजापति ने 1 ट्रक उत्पादों की आपूर्ति की है। सभी कारीगरों ने नवरात्रि और दशहरा से पहले अपने ऑर्डर पूरे कर दिए हैं।
स्थानीय बाजार की तैयारी में जुटे कारीगर
अन्य राज्यों में आपूर्ति के बाद, अब कारीगर स्थानीय बाजार की मांग के अनुसार दिवाली के लिए अपने उत्पादों को अंतिम रूप देने में लगे हैं। कारीगरों का कहना है कि ओडीओपी में शामिल होने के बाद स्थानीय बाजार में भी टेराकोटा उत्पादों की मांग दोगुनी से अधिक हो गई है।
जब बाबा हैं ब्रांड एम्बेसडर, तो प्रचार की नहीं पड़ी जरूरत
सभी कारीगर टेराकोटा बाजार में इस बम्पर बदलाव का श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को देते हैं। राजन प्रजापति कहते हैं कि हमें अपने सामान बेचने के लिए विज्ञापन की आवश्यकता नहीं है। सीएम योगी ने खुद टेराकोटा का इतना प्रचार किया है कि हमारे पास काम की कमी नहीं है। हाल ही में 25 से 29 सितंबर के बीच ग्रेटर नोएडा में हुए यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में भी गोरखपुर की टेराकोटा कला ने देश-विदेश से आए आगंतुकों के सामने अपनी चमक बिखेरी। इस शो में भाग लेने वाले कारीगरों और व्यापारियों को कई नए ऑर्डर भी मिले हैं।
बेहतर संभावनाएं देखकर नए लोग भी जुड़े इस परंपरागत कला से
कारीगरों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से पहले भी टेराकोटा कारीगरों में क्षमता थी, लेकिन सरकारी प्रोत्साहन और उचित मंच की कमी के कारण इस कला का दायरा सिमटता जा रहा था। 2017 तक, यह कला समाप्त होने की कगार पर थी, लेकिन योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इसे नई दिशा मिली।
मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने 2018 में टेराकोटा को गोरखपुर के ओडीओपी में शामिल किया, और तब से यह कला नई ऊंचाइयां छू रही है। ओडीओपी में शामिल होने के बाद सरकार से मिले प्रोत्साहन के कारण टेराकोटा का व्यापार साल दर साल बढ़ता जा रहा है। आज स्थिति यह है कि पुराने कारीगरों के पास काम की कमी नहीं है। इतना ही नहीं, टेराकोटा के भविष्य की संभावनाएं देखकर बड़ी संख्या में नए कारीगर और व्यापारी भी इससे जुड़े हैं।
योगी सरकार की मदद से उत्पादन बढ़ा, गुणवत्ता भी सुधरी
वास्तव में, जब सीएम योगी ने टेराकोटा को गोरखपुर का ओडीओपी घोषित किया, तब से यह कला एक नए रूप में उभरी। ओडीओपी में शामिल होने के बाद टेराकोटा कारीगरों को न केवल संसाधन, वित्तीय और तकनीकी मदद मिली, बल्कि सीएम के नेतृत्व में इतने जोरदार तरीके से इसकी ब्रांडिंग की गई कि इसका बाजार बड़े पैमाने पर विस्तारित हुआ।
इलेक्ट्रिक व्हील, पगमिल, डिज़ाइन मशीन आदि की उपलब्धता के बाद कारीगरों का काम आसान हो गया और उत्पादन तीन से चार गुना बढ़ गया। साथ ही, गुणवत्ता में भी सुधार हुआ।
टेराकोटा कला की नई उड़ान
आज गोरखपुर की टेराकोटा कला सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के कई राज्यों में अपनी खास पहचान बना चुकी है। पहले जहां टेराकोटा उत्पादों की सीमित मांग थी, वहीं अब इनकी मांग बढ़ते ही जा रही है। नवरात्रि और दिवाली के त्योहारों पर टेराकोटा की मांग और बढ़ जाती है।
गोरखपुर के कारीगरों के लिए यह एक खास समय होता है, जब वे न केवल अपने राज्य में बल्कि देशभर में अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। हर साल जैसे-जैसे त्योहार आते हैं, इन कारीगरों की व्यस्तता भी बढ़ती जाती है। अब तो स्थिति यह है कि टेराकोटा के नए-नए डिज़ाइन और उत्पादों की मांग भी कारीगरों को रोज़गार और नई पहचान दिला रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में टेराकोटा कला को एक नया आयाम मिला है, जिससे गोरखपुर के कारीगरों की जिंदगी में न केवल आर्थिक सुधार हुआ है, बल्कि उनके हुनर को भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है।
आने वाले समय में भी, टेराकोटा कला को और ऊंचाइयों पर ले जाने की संभावनाएं हैं, जिससे गोरखपुर के कारीगरों का भविष्य उज्जवल दिख रहा है।