Gorakhpur Diwali: हर साल दीपावली पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वनटांगियों के साथ दीपोत्सव मनाते हैं। जहां एक ओर सैकड़ों वर्षों तक उपेक्षा और दारिद्र्य का सामना करने वाले वनटांगियों का विकास अब एक नई कहानी बन चुका है, वहीं मुख्यमंत्री का दीप जलाने के लिए आना उनके लिए सुख और समृद्धि का प्रतीक बन गया है। वनटांगियों के लिए यह त्योहार विशेष बन गया है, और इसलिए लोग कहते हैं कि “अगर दीपावली है, तो वनटांगियों के साथ ही मनाई जानी चाहिए।”
वनटांगिया गांवों में दीपोत्सव की तैयारियाँ
गोरखपुर के जंगल टिकोनिया नंबर तीन स्थित वनटांगिया गांव में सीएम योगी के आगमन को लेकर उत्सव का माहौल है। यहां दीपमालिकाएँ सजाई जा रही हैं, और प्रशासन गांव की साफ-सफाई, रंगाई और सजावट में जुटा हुआ है। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है कि ऐसे तैयारियां जंगल के बीच बसी एक छोटी सी बस्ती में हो रही हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने वनटांगिया समुदाय के विकास और अधिकारों की दिशा में जो कदम उठाए हैं, वह इस समुदाय के लिए परिवर्तन का प्रतीक बन गया है।
वनटांगिया समुदाय का इतिहास
गोरखपुर-महराजगंज के 23 गांवों में वनटांगिया समुदाय की स्थायी बस्ती है। ब्रिटिश राज के दौरान, जब रेलवे की पटरियाँ बिछाई जा रही थीं, तो सखू के पेड़ों को बड़े पैमाने पर काटा गया। इसके बाद, ब्रिटिश सरकार ने गरीब, भूमिहीन लोगों को जंगल में बसा दिया, ताकि वे नए सखू के पौधों की देखभाल कर सकें। इस प्रकार, जिन लोगों ने जंगल में रहने और काम करने की कड़ी मेहनत की, उन्हें वनटांगिया कहा गया।
संघर्ष और जीत
1980 के दशक में जब वन विभाग ने वनटांगियों को जंगल से बेदखल करने की प्रक्रिया शुरू की, तब वनटांगिया लोगों ने जंगल नहीं छोड़ने का फैसला किया। 6 जुलाई 1985 को वन विभाग की टीम जंगल टिकोनिया नंबर तीन पहुंची। इस दौरान, वनटांगिया लोगों ने अपनी जमीन और घर की रक्षा के लिए संघर्ष किया, और इसी दौरान दो वनटांगियों की जान गई। इस घटना ने वनटांगियों के संघर्ष को और मजबूत किया, और योगी आदित्यनाथ ने 1998 में सांसद बनने के बाद इनकी रक्षा के लिए कदम उठाए।
दीपोत्सव का अनूठा पर्व
2009 में, योगी आदित्यनाथ ने वनटांगियों के साथ दीपोत्सव मनाने की परंपरा शुरू की। यह पहली बार था जब वनटांगिया समुदाय ने जंगल से बाहर जीवन का आनंद लिया। इस अवसर पर सीएम योगी बच्चों को मिठाई, किताबें, नोटबुक और पटाखे देकर पढ़ाई के प्रति प्रेरित करते हैं। उन्होंने गांववासियों को भी उपहार दिए और उनके विकास के लिए कई योजनाओं की घोषणा की।
समाज में बदलाव का प्रतीक
योगी आदित्यनाथ का वनटांगिया समुदाय के साथ दीपावली मनाना केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक है। वनटांगियों के अधिकारों को मान्यता देने और उनके विकास में योगदान देने के लिए सीएम का यह प्रयास उन्हें सम्मान और पहचान दिलाने का काम कर रहा है। इस परंपरा ने वनटांगियों के जीवन में उजाला भर दिया है, और वे इस दीपावली को अपने जीवन की सबसे विशेष रात मानते हैं।
भविष्य की उम्मीदें
आने वाले दिनों में वनटांगियों के अधिकार और विकास की संभावनाएँ बढ़ती जा रही हैं। योगी आदित्यनाथ की पहल और उनकी मेहनत के कारण, वनटांगिया समुदाय में एक नई चेतना का संचार हुआ है। वनटांगियों के जीवन में जो संघर्ष था, अब वह एक नई दिशा में आगे बढ़ रहा है, जहां वे अपने अधिकारों के लिए लड़ सकते हैं और समाज में अपनी पहचान बना सकते हैं।
इस दीपावली पर जब लोग अपने घरों में दीप जलाएंगे, तो वनटांगिया समुदाय की दीयों की रोशनी विशेष महत्व रखेगी। यह केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि संघर्ष, साहस और विकास की कहानी है। इस दीपावली को वनटांगियों के लिए मनाना, सीएम योगी की ओर से उनके प्रति एक संवेदनशीलता और सम्मान का प्रतीक है, जो हमें यह सिखाता है कि समाज में सभी को बराबरी का अधिकार है।
इस तरह, इस साल की दीपावली वनटांगियों के लिए न केवल एक त्योहार है, बल्कि उनके जीवन में आए बदलाव और नई उम्मीदों का प्रतीक भी है।