Gorakhpur DDU: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में चल रहे योग पाठ्यक्रम अब महायोगी गुरुश्री गोरक्षनाथ शोधपीठ में संचालित किए जाएंगे। विश्वविद्यालय प्रशासन ने पाठ्यक्रम के बेहतर संचालन के लिए यह निर्णय लिया है। इसके आदेश और दिशानिर्देश जल्द ही जारी किए जाएंगे। इस निर्णय को इसी सत्र से लागू करने की तैयारी की जा रही है।
विश्वविद्यालय में चल रहे योग पाठ्यक्रम
वर्तमान में, विश्वविद्यालय में योग में पीजी डिप्लोमा और योग में एमए पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं। ये दोनों पाठ्यक्रम दर्शनशास्त्र विभाग में पढ़ाए जाते हैं। इसके अलावा, पहले सेमेस्टर में ‘नाथ पंथ और दर्शन’ नामक दो क्रेडिट की क्षमता विकास पाठ्यक्रम भी शामिल है।
गोरक्षनाथ शोधपीठ की जिम्मेदारी
योग पाठ्यक्रमों के संचालन की जिम्मेदारी अब गुरुश्री गोरक्षनाथ शोधपीठ को सौंप दी जाएगी। हाल ही में, जब उपकुलपति प्रो. पूनम तंडन शोधपीठ में विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने गई थीं, तो उन्होंने देखा कि शोधपीठ योग पाठ्यक्रम संचालित करने के लिए उपयुक्त है और इस संबंध में एक अनौपचारिक निर्णय लिया गया।
निर्णय का औपचारिककरण
अब इस निर्णय को औपचारिक रूप देने की योजना बनाई गई है। इसके बाद, दर्शनशास्त्र विभाग इन पाठ्यक्रमों में शैक्षणिक भागीदार की भूमिका निभाएगा। शोधपीठ के उप निदेशक डॉ. कुशल नाथ मिश्रा ने कहा कि पीठ में विभिन्न योग कार्यक्रमों के संचालन की पूरी व्यवस्था है, क्योंकि गोरखपीठ मूलतः एक योग पीठ है।
उपकुलपति का बयान
उपकुलपति प्रो. पूनम तंडन ने कहा कि बहुत जल्द दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा संचालित योग में पीजी डिप्लोमा और योग में एमए पाठ्यक्रमों की जिम्मेदारी गुरुश्री गोरक्षनाथ शोधपीठ को सौंपी जाएगी। इस संबंध में निर्णय लिया गया है।
योग पाठ्यक्रम का महत्व
योग केवल एक व्यायाम प्रणाली नहीं है, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक विकास का भी एक माध्यम है। गोरखपुर में योग के अध्ययन और अनुसंधान के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराने का यह निर्णय छात्रों के लिए बहुत लाभकारी साबित होगा। योग की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए यह कदम समय की आवश्यकता है।
छात्रों के लिए लाभ
गुरुश्री गोरक्षनाथ शोधपीठ में योग पाठ्यक्रमों के संचालन से छात्रों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा और व्यावहारिक अनुभव प्राप्त होगा। यहाँ के विशेषज्ञ और प्रशिक्षक छात्रों को योग की विभिन्न तकनीकों, फायदों और नैतिक मूल्यों के बारे में गहराई से जानकारी देंगे। इसके साथ ही, छात्रों को योग साधना का अवसर भी मिलेगा।
योग का बढ़ता महत्व
वर्तमान समय में, मानसिक तनाव और शारीरिक समस्याओं की बढ़ती संख्या के कारण योग का महत्व और भी अधिक हो गया है। लोग अपनी दिनचर्या में योग को शामिल कर रहे हैं और इसके स्वास्थ्य लाभों का अनुभव कर रहे हैं। गोरखपुर जैसे शहरों में योग शिक्षा के लिए विशेष संस्थानों की स्थापना से यह क्षेत्र और भी विकसित होगा।
योग अनुसंधान के लिए एक केंद्र
गुरुश्री गोरक्षनाथ शोधपीठ केवल पाठ्यक्रमों का संचालन नहीं करेगा, बल्कि योग अनुसंधान के लिए भी एक केंद्र के रूप में कार्य करेगा। यहाँ योग पर विभिन्न शोध परियोजनाएं और कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी, जो योग की प्राचीन विधियों और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के बीच संबंध स्थापित करेंगी।
भविष्य की योजनाएं
गोरक्षनाथ शोधपीठ में योग पाठ्यक्रमों के संचालन के अलावा, अन्य शैक्षणिक गतिविधियाँ भी शुरू की जाएंगी। इसमें योग चिकित्सा, योग शिक्षण और योग शिक्षकों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल हैं। इससे योग शिक्षा के क्षेत्र में गोरखपुर का नाम एक महत्वपूर्ण स्थान पर पहुंचेगा।
गोरखपुर DDU का यह निर्णय योग शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके जरिए छात्रों को एक नई दिशा मिलेगी और योग के प्रति उनकी रुचि को और भी बढ़ावा मिलेगा। योग के अभ्यास और अध्ययन के लिए एक उपयुक्त वातावरण प्रदान करना न केवल छात्रों के लिए, बल्कि समाज के लिए भी लाभकारी होगा। उम्मीद की जा रही है कि इस पहल से गोरखपुर में योग शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ हासिल की जाएंगी।