Gorakhpur: उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के मुख्यमंत्री के जनता दर्शन कार्यक्रम में एक अनोखी शिकायत सुनने को मिली। यह शिकायत इंसानों के साथ-साथ जानवरों के जीवन से जुड़ी थी। वारणसी के एक गोपालक ने मुख्यमंत्री से यह शिकायत की कि DJ के तेज शोर से उसकी गायों का दूध घट रहा है। मुख्यमंत्री ने इस शिकायत को गंभीरता से सुना और शोर नियंत्रण करने का आश्वासन दिया।
गोपालक की समस्या और शिकायत
संदीप सिंह, जो वारणसी जिले के दशवटपुर गांव के निवासी हैं, ने बताया कि उन्होंने चार गायें पाली हैं, जबकि उनके चाचा के पास 10 गायें हैं। इसके अलावा, गांव के कई और लोग भी गोपालन करते हैं। संदीप सिंह के अनुसार, यह समस्या पिछले 6-7 सालों से लगातार हो रही है। जब भी त्योहारों के दौरान DJ का शोर बहुत तेज होता है, तो गायों का दूध कम हो जाता है। चिकित्सक और पशु चिकित्सक भी यह मानते हैं कि यह घटना तेज शोर के कारण हो रही है, जो गायों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
DJ के शोर का प्रभाव और पुलिस की भूमिका
संदीप सिंह ने कहा कि जब यह समस्या उठी, तो पुलिस DJ के शोर को कुछ हद तक कम कर देती है, लेकिन यह आवाज 100 डेसिबल से भी अधिक होती है, जो गायों के लिए हानिकारक है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए। मुख्यमंत्री ने उनकी बातों को गंभीरता से सुना और शोर पर नियंत्रण करने का आश्वासन दिया।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का आदेश और उसके पालन में कमी
संदीप सिंह ने अपनी शिकायत में यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट पर जो आदेश दिया गया है, उसके अनुसार किसी भी खुले स्थान पर रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर का उपयोग नहीं किया जा सकता, सिवाय साउंड प्रूफ ऑडिटोरियम के। लेकिन यह आदेश समय-समय पर पालन नहीं किया जाता, जिसके कारण शोर की समस्या बनी रहती है।
सत्य फाउंडेशन की पहल और जागरूकता अभियान
इस समस्या को लेकर समाजसेवी संगठन सत्य फाउंडेशन भी जागरूकता अभियान चला रहा है। संगठन के संस्थापक सचिव चेतन उपाध्याय ने बताया कि यह सिर्फ इंसानों के लिए नहीं बल्कि जानवरों के लिए भी एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। शोर के कारण गायों का दूध कम हो रहा है, वहीं अन्य जानवरों का व्यवहार भी बदल रहा है। सत्य फाउंडेशन ने 2008 से ही शोर के खिलाफ अभियान शुरू किया था, और इस मुद्दे को लेकर बच्चों को स्कूलों में जागरूक किया जा रहा है।
शोर से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों का विस्तृत दायरा
शोर की समस्या केवल गायों के दूध उत्पादन तक सीमित नहीं है। यह इंसानों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है। खासकर बच्चों और बुजुर्गों पर इसका नकारात्मक प्रभाव देखा गया है। शोर से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में खासतौर पर वह इलाके शामिल हैं जहां मंदिरों, आयोजनों, और त्योहारों के दौरान लाउडस्पीकर का उपयोग किया जाता है। इन स्थानों पर शोर का स्तर इतना अधिक होता है कि लोग मानसिक तनाव का शिकार हो जाते हैं, और यह समस्या अक्सर अनदेखी कर दी जाती है।
मुख्यमंत्री का आश्वासन और भविष्य की उम्मीद
मुख्यमंत्री ने जनता दर्शन के दौरान संदीप सिंह की शिकायत को गंभीरता से सुना और यह भरोसा दिलाया कि जल्द ही शोर नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। मुख्यमंत्री के आश्वासन से गांवों के गोपालकों और शहरवासियों को उम्मीद जगी है कि अब प्रशासन इस दिशा में काम करेगा और कानून के उल्लंघन को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगा।
DJ के शोर के कारण गायों का दूध कम होना और अन्य जानवरों का व्यवहार बदलना एक गंभीर समस्या बन चुकी है। इसके साथ ही यह इंसानों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। मुख्यमंत्री की ओर से शोर नियंत्रण का आश्वासन मिलने से इस समस्या का समाधान जल्द ही हो सकता है। सत्य फाउंडेशन जैसी संस्थाओं द्वारा जागरूकता अभियान चलाना भी इस मुद्दे को सुलझाने में मदद कर सकता है। यह समय है कि सभी मिलकर इस समस्या का स्थायी समाधान निकालें, ताकि शोर से प्रभावित सभी जीवों का जीवन बेहतर हो सके।