Gorakhpur: अमिताभ ठाकुर चार घंटे तक डाक बंगले में नजरबंद, मामला दर्ज

Gorakhpur: अमिताभ ठाकुर चार घंटे तक डाक बंगले में नजरबंद, मामला दर्ज

Gorakhpur: समाज के कई प्रमुख मुद्दों पर आवाज उठाने वाले लोगों की कहानी हमें यह बताती है कि लोकतंत्र में अपनी आवाज उठाना कितना कठिन हो सकता है। हाल ही में, आज़ाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर की एक घटना ने इस बात को और स्पष्ट किया है। वे गोरखपुर में डाक बंगले में चार घंटे तक नजरबंद रहे और उन्हें ट्रेन से लखनऊ भेजा गया। यह मामला न केवल अमिताभ ठाकुर के लिए, बल्कि उन सभी लोगों के लिए जो अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं, एक महत्वपूर्ण घटना है।

अमिताभ ठाकुर का आंदोलन

अमिताभ ठाकुर, जो कि एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, गोरखपुर में एक धरने के लिए पहुंचे थे। यह धरना कांस्टेबल पंकज के समर्थन में आयोजित किया जा रहा था, जिन्हें डॉ. अनुज सरकारी पर हमले का आरोप लगाया गया था। अमिताभ ने इस मामले में न्याय की मांग के लिए अनशन करने की घोषणा की थी। उनके इस कदम को लोगों का समर्थन मिला, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया।

Gorakhpur: अमिताभ ठाकुर चार घंटे तक डाक बंगले में नजरबंद, मामला दर्ज

डाक बंगले में नजरबंदी

अमिताभ ठाकुर ने सुबह 9 बजे डाक बंगले में पहुंचकर अपनी आवाज उठाने का प्रयास किया। वहां मौजूद विभागीय कर्मचारियों ने उन्हें बाहर निकालने की कई कोशिशें कीं, लेकिन वह अपनी मांगों पर अडिग रहे। इसके बाद, कैंट पुलिस वहां पहुंची और उन्हें चार घंटे तक नजरबंद रखा। यह घटना न केवल अमिताभ ठाकुर के लिए एक कठिनाई थी, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट होता है कि कैसे सत्ता के निकाय कभी-कभी लोगों की आवाजों को दबाने की कोशिश करते हैं।

पुलिस की कार्रवाई और शिकायत

पुलिस के अनुसार, डाक बंगले के देखभालकर्ता जितेंद्र कुमार ने लिखित शिकायत दी थी। उन्होंने बताया कि अमिताभ ठाकुर और उनके कार्यकर्ता बिना अनुमति के डाक बंगले के कमरे में कब्जा कर लिए थे। जब उनसे अनुरोध किया गया कि वे कमरे को खाली कर दें, तो उन्होंने इसे करने से इनकार कर दिया। इसके आधार पर, कैंट पुलिस स्टेशन में अमिताभ ठाकुर और संगठन के जिला अध्यक्ष सत्येंद्र शर्मा के खिलाफ सरकारी काम में बाधा डालने का मामला दर्ज किया गया।

घटना का साक्षात्कार

घटना के दौरान डाक बंगले पर काफी हंगामा हुआ। कर्मचारियों ने अमिताभ ठाकुर को वहां से हटाने के लिए काफी प्रयास किए, लेकिन उनकी आवाज को अनसुना कर दिया गया। चार घंटे के बाद, पुलिस ने अमिताभ को ट्रेन से लखनऊ भेजने का निर्णय लिया। इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए, यह स्पष्ट होता है कि समाज में सक्रियता और अधिकारों के लिए आवाज उठाना कितनी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

अमिताभ का सिद्धांत

अमिताभ ठाकुर ने हमेशा समाज के हाशिए पर खड़े लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए काम किया है। उनका कहना है कि यह घटना उनके लिए केवल एक बाधा नहीं है, बल्कि यह उनकी लड़ाई को और मजबूत बनाएगी। उन्होंने अपनी आवाज उठाने का संकल्प लिया है और यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि उनकी मांगें सुनी जाएं।

सामाजिक प्रतिक्रिया

इस घटना के बाद, कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने अमिताभ ठाकुर के समर्थन में अपनी आवाज उठाई है। लोगों का कहना है कि यह घटना लोकतंत्र की नींव को कमजोर करने वाली है। सोशल मीडिया पर भी इस घटना को लेकर काफी चर्चा हो रही है, जहां लोगों ने अपनी नाराजगी जताई है।

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