Digital Arrest: गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक रिटायर्ड मेजर जनरल को साइबर अपराधियों ने ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ का शिकार बनाया। इस मामले में रिटायर्ड मेजर जनरल से 2 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई है। यह मामला साइबर अपराधियों के नए तरीके को उजागर करता है, जो तकनीक का उपयोग करके लोगों को ठगने के लिए नए-नए तरीके ईजाद कर रहे हैं।
डिजिटल गिरफ्तारी का तरीका
डिजिटल गिरफ्तारी में, ठग व्यक्ति को ऑनलाइन माध्यम से यह धमकी देते हैं कि उसे सरकारी एजेंसी द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके बाद, वे पीड़ित से पैसे वसूलने के लिए उसे डराते-धमकाते हैं। इस मामले में, रिटायर्ड मेजर जनरल को एक फर्जी फोन कॉल के माध्यम से ठगा गया, जिसमें उन्हें बताया गया कि उनके नाम पर एक पार्सल भेजा गया है, जिसमें अवैध सामग्री शामिल है।
मामला कैसे शुरू हुआ
गौतम बुद्ध नगर के एक रिटायर्ड मेजर जनरल ने साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई कि उन्हें 28 अगस्त को 2 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ा। उनके अनुसार, उन्हें पांच दिनों तक ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ के तहत रखा गया। आरोपी ने खुद को एक कूरियर कंपनी का कर्मचारी बताकर कॉल किया और कहा कि उनके नाम पर भेजा जा रहा पार्सल अवैध सामग्री से भरा हुआ है।
आरोपी की पहचान
डीसीपी (साइबर क्राइम) प्रीति यादव ने बताया कि इस मामले में तीन आरोपियों को जयपुर से गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान कंनाराम (30), ललित कुमार (22), और सचिन कुमार (30) के रूप में हुई है। इन सभी ने मिलकर इस जालसाजी को अंजाम दिया।
धमकी का तरीका
ठगों ने रिटायर्ड मेजर जनरल को बताया कि उनके आधार कार्ड का दुरुपयोग किया गया है और उन्हें इस मामले में तत्काल कार्रवाई करनी होगी। उन्हें यह भी बताया गया कि एक पार्सल में पांच पासपोर्ट, चार बैंक क्रेडिट कार्ड, 200 ग्राम नशीले पदार्थ और एक लैपटॉप जैसे अवैध सामान पाए गए हैं। पीड़ित को यह भी कहा गया कि यदि उन्हें संदेह है कि उनका आधार कार्ड किसी ने बदल दिया है, तो उन्हें मुंबई क्राइम ब्रांच में शिकायत करनी होगी।
फर्जी पुलिस अधिकारियों का फोन
रिटायर्ड मेजर जनरल को एक कथित मुंबई पुलिस अधिकारी ‘अजय कुमार बंसल’ के माध्यम से संपर्क किया गया, जिसने उन्हें WhatsApp कॉल के जरिए बात की। इसके बाद, उन्हें एक फर्जी सीबीआई का पत्र भी भेजा गया, जिसमें कहा गया था कि अगर वे जेल से बचना चाहते हैं, तो उन्हें किसी भी प्रकार की जानकारी अपने परिवार के साथ साझा नहीं करनी चाहिए।
धोखाधड़ी की प्रक्रिया
इन जालसाजों ने मेजर जनरल की गतिविधियों पर नजर रखी और उन्हें डराने के लिए कैमरे का इस्तेमाल किया। उन्होंने यह दावा किया कि मेजर जनरल पर हमला हो सकता है। इसके बाद, खुद को पुलिस अधिकारी बताकर ठग ने पीड़ित से उनकी वित्तीय जानकारी मांगी और विभिन्न बैंक खातों में पैसे भेजने का निर्देश दिया।
पुलिस कार्रवाई
साइबर क्राइम पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है और अब वे अन्य आरोपियों का पता लगाने के लिए उनसे पूछताछ कर रही हैं। इस मामले ने इस बात को उजागर किया है कि कैसे साइबर अपराधी नए-नए तरीके अपना रहे हैं और लोगों को ठगने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग कर रहे हैं।