Gorakhpur में न्याय की मांग को लेकर सोमवार को MLC देवेंद्र प्रताप सिंह ने महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे एक दिवसीय उपवास किया। इस अनशन में विभिन्न राजनीतिक दलों, सामाजिक-राजनीतिक संगठनों और बड़ी संख्या में नागरिकों ने भाग लिया। सभी ने डॉ. अनुज, उनकी पत्नी और उनके बाउंसर्स के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की और उन्हें जेल भेजने की अपील की। कांस्टेबल पंकज कुमार की पत्नी और चार वर्षीय बेटे ने भी इस आंदोलन में भाग लिया। यह अनशन शाम 5 बजे तक जारी रहा।
कांस्टेबल पंकज कुमार का मामला
कांस्टेबल पंकज कुमार, जो गोरखपुर में पुलिस सेवा में थे, को एक विवाद के दौरान गंभीर चोटें आईं। आरोप है कि उन्हें डॉ. अनुज और उनके बाउंसर्स द्वारा हमला किया गया था। इस घटना ने पूरे गोरखपुर में आक्रोश पैदा कर दिया है और MLC देवेंद्र प्रताप सिंह ने इसे सामान्य जनता के खिलाफ अन्याय, उत्पीड़न और शोषण के खिलाफ एक आंदोलन करार दिया है।
MLC का बयान
अनशन के दौरान, MLC देवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, “यह संघर्ष किसी एक व्यक्ति, जाति, धर्म या संप्रदाय का नहीं है। यह सामान्य जनता का संघर्ष है, जो अन्याय, उत्पीड़न और शोषण के खिलाफ है। यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक हम अपने वास्तविक लक्ष्य तक नहीं पहुंच जाते।” उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों से इस मुद्दे पर एकजुट होने की अपील की।
आंदोलन की आगे की योजना
इस दौरान, MLC ने कहा कि आंदोलन की अगली रूपरेखा जल्द ही घोषित की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि गोरखपुर के सभी नागरिकों को एकजुट होकर न्याय की मांग करनी होगी। कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने भी इस उपवास में भाग लिया और एकजुटता दिखाई।
IMA की भूमिका पर सवाल
इस अनशन में गोरखपुर नगर निगम के पार्षद विश्वजीत त्रिपाठी ने भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) पर सवाल उठाते हुए कहा कि “IMA को जनप्रतिनिधियों को सलाह देने का क्या हक है?” यह बयान स्पष्ट करता है कि स्थानीय नेताओं में इस मुद्दे पर गहरी नाराजगी है।
विभिन्न संगठनों का समर्थन
इस अनशन में विभिन्न संगठनों के प्रमुख नेता भी शामिल हुए। पूर्व गोरखपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष राधेश्याम सिंह, नगर सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष राम सिंह, श्याम तिवारी, भानु प्रताप सिंह, आलोक शुक्ला, त्रिभुवन नारायण मिश्र, ओम नारायण पांडे, निरंजन राम तिवारी जैसे नेताओं ने इस आंदोलन को समर्थन दिया। इसके अलावा, गोरखपुर विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ के राजेश तिवारी, डिपो कर्मचारियों के संघ के अध्यक्ष दिनेश मणि, और अन्य कई संगठनों के नेता भी उपस्थित रहे।
पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
पंकज कुमार के मामले में बढ़ती जनाकांक्षाओं के बीच, पुलिस और प्रशासन ने भी स्थिति को गंभीरता से लिया है। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। स्थानीय नागरिकों में असंतोष बढ़ रहा है, जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो सकती है।
न्याय की मांग का महत्व
इस आंदोलन का महत्व केवल पंकज कुमार के मामले तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में व्याप्त अन्याय और शोषण के खिलाफ एक बड़ी आवाज है। जब एक पुलिसकर्मी के साथ ऐसा बर्ताव होता है, तो यह समाज के सभी वर्गों को प्रभावित करता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि समाज के सभी वर्ग इस मुद्दे पर एकजुट होकर न्याय की मांग करें।
स्थानीय नेताओं की एकजुटता
गोरखपुर के विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों ने इस मामले में एकजुटता दिखाई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि स्थानीय नेताओं में इस मुद्दे के प्रति गहरी चिंता है। ऐसे आंदोलनों का सामाजिक प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि जब नागरिक और नेता मिलकर किसी समस्या का सामना करते हैं, तो समाज में बदलाव की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
समाज में बढ़ती जागरूकता
कांस्टेबल पंकज कुमार की घटना ने गोरखपुर के लोगों में न्याय की मांग को लेकर जागरूकता पैदा की है। नागरिकों ने अपने अधिकारों के लिए खड़े होने का फैसला किया है, जो एक सकारात्मक संकेत है। जब समाज में ऐसे मुद्दों पर खुलकर चर्चा होती है, तो यह न्याय के लिए एक मजबूत आंदोलन की नींव रखती है।