Bharat Ratna For Sharda Sinha: बिहार की नाइटिंगेल और मिथिला की बेटी, दिवंगत शारदा सिन्हा को लेकर अब एक नई मांग उठी है। उनकी मृत्यु के बाद बिहार सहित पूरे देश के लोग उनकी उपलब्धियों को सम्मानित करने के लिए उन्हें भारत रत्न देने की मांग कर रहे हैं। हाल ही में सुपौल के गांधी मैदान में शारदा सिन्हा की आत्मा की शांति के लिए एक शोक सभा आयोजित की गई, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस सभा के दौरान शारदा सिन्हा को भारत रत्न देने की मांग जोर पकड़ी।
श्रद्धांजलि सभा में की गई भारत रत्न की मांग
सुपौल के गांधी मैदान में आयोजित शोक सभा में नगर निगम के पार्षदों और स्थानीय नागरिकों ने शारदा सिन्हा के योगदान को सराहा और भारत रत्न देने की मांग की। उन्होंने कहा कि शारदा सिन्हा ने अपने गायन से न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने हमें गर्व करने का मौका दिया और यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम उनकी कड़ी मेहनत और योगदान को याद करें और उन्हें सम्मान प्रदान करें।
शारदा सिन्हा के पिता की अहम भूमिका
इस मौके पर लोगों ने शारदा सिन्हा के पिता, दिवंगत सुखदेव ठाकुर की भी सराहना की। सुखदेव ठाकुर विलियम्स स्कूल के प्रधानाचार्य थे और उन्हें एक सख्त प्रशासक के रूप में जाना जाता था। उनके योगदान को भी याद किया गया और बताया गया कि शारदा सिन्हा के विवाह के समय उन्होंने स्पष्ट रूप से यह कहा था कि शारदा का गायन कभी भी रोकने का कोई सवाल नहीं उठेगा। उनका मानना था कि कोई भी शुभ कार्य शारदा सिन्हा के गीतों के बिना अधूरा रहता था।
सुपौल टाउन हॉल का नामकरण शारदा सिन्हा के नाम पर
सुपौल नगर निगम के मुख्य पार्षद राघवेंद्र झा राघव ने इस अवसर पर सुपौल के नए टाउन हॉल भवन का नाम शारदा सिन्हा नगर भवन रखने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि यह टाउन हॉल तो तैयार है, लेकिन इसे नगर निगम को सौंपा नहीं गया है। उन्होंने बताया कि जल्दी ही एक बोर्ड बैठक बुलाकर इस प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी और राज्य सरकार से इसे मंजूरी देने की अपील की जाएगी। राघवेंद्र झा ने भी शारदा सिन्हा के लिए भारत रत्न की मांग की और कहा कि सुपौल की इस बेटी को भारत रत्न मिलना चाहिए।
शारदा सिन्हा का योगदान
शारदा सिन्हा का नाम बिहार की सांस्कृतिक धरोहर में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उनके गाने ने न केवल बिहारियों को अपनी सांस्कृतिक पहचान दी, बल्कि पूरे देश में उन्हें एक पहचान दिलाई। शारदा सिन्हा की आवाज ने मिथिला क्षेत्र को अपनी पहचान दिलाई और उनके गाने खासकर विवाह और धार्मिक अवसरों पर हमेशा बजते रहे। उनकी गायकी की विशिष्टता और मिठास ने उन्हें एक समर्पित और श्रद्धेय कलाकार बना दिया। उनके गीतों में लोक संस्कृति की गहरी छाप देखने को मिलती है, जिसे लोग आज भी गुनगुनाते हैं।
भारत रत्न के लिए शारदा सिन्हा की उपयुक्तता
शारदा सिन्हा के योगदान को देखते हुए यह मांग जायज प्रतीत होती है कि उन्हें भारत रत्न दिया जाए। उनके गाने और कला ने समाज को एकजुट किया और उन्होंने अपने गायन से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का काम किया। वह केवल एक गायिका नहीं, बल्कि एक प्रेरणा थीं, जिन्होंने हमेशा कला और संस्कृति के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। उनके गीत आज भी लोगों के दिलों में गूंजते हैं और उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।
शारदा सिन्हा के योगदान को देखते हुए उन्हें भारत रत्न देने की मांग केवल एक सम्मान की बात नहीं है, बल्कि यह उनकी कला और समर्पण को मान्यता देने का एक तरीका है। उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा और हम सभी को गर्व होगा कि हम ऐसे कलाकार के समय में जीवित रहे। उनके योगदान को सम्मानित करना हमारे समाज की सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखने का एक कदम होगा।