Gorakhpur के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में हाल के दिनों में कई विवाद सामने आए हैं, जिनमें एक नया विवाद सामने आया है। एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें इंटर्न और मेडिकल छात्र डांस करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस वीडियो को एक इंटर्न के जन्मदिन की पार्टी का बताया जा रहा है। हालांकि, न्यूज़ट्रैक इस वायरल वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।
वीडियो का विवरण
वायरल हो रहे इस वीडियो में चार डांसरों के साथ इंटर्न और छात्रों को नाचते हुए देखा जा सकता है। इस वीडियो में कुछ पुरुष और महिला जूनियर डॉक्टर भी मौजूद हैं। बताया जा रहा है कि यह पार्टी पिछले महीने किसी इंटर्न के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित की गई थी, जिसमें इंटर्न और मेडिकल छात्र देर रात तक शामिल रहे। वीडियो में जूनियर डॉक्टरों को चार डांसरों के साथ डांस करते हुए देखा जा सकता है। इसके साथ ही कुछ इंटर्न और डॉक्टर नोट भी लहरा रहे हैं। यह वीडियो कई दिनों से एक-दूसरे के ग्रुप में शेयर किया जा रहा है। जब एआईआईएमएस के सीनियर डॉक्टरों को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने अपनी असहमति व्यक्त की।
अनुमति के बिना कार्यक्रम का आयोजन
यह कार्यक्रम एआईआईएमएस परिसर के बाहर एक शादी हॉल में आयोजित किया गया था, जिसमें 200 से अधिक छात्रों, इंटर्न और जूनियर डॉक्टरों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में कुछ छात्राओं ने भी भाग लिया, लेकिन वे डांस देखने के बाद लौट गईं। जानकारी के अनुसार, इस कार्यक्रम के लिए किसी इंटर्न या डॉक्टर ने अनुमति नहीं ली थी। एआईआईएमएस के मीडिया इंचार्ज डॉ. अरूप मोहंती ने कहा कि ऐसी वायरल वीडियो की कोई शिकायत नहीं मिली है। यदि कोई शिकायत मिलती है, तो मामले की जांच की जाएगी।
मामले की गंभीरता
इस वीडियो विवाद के साथ ही, गोरखपुर AIIMS में एक और गंभीर मामला सामने आया है। एमरजेंसी और ट्रॉमा सेंटर से मरीजों के संदर्भ का मामला, कार्यकारी निदेशक प्रो. डॉ. अजय सिंह द्वारा गंभीरता से लिया गया है। सोमवार रात को पांच मरीजों के संदर्भ के मामले में डॉ. सुभोद कुमार को, जो एमरजेंसी वार्ड के प्रभारी थे, हटा दिया गया है। उनकी जगह डॉ. गौरव गुप्ता, जो सर्जरी विभाग के प्रमुख हैं, को एमरजेंसी और ट्रॉमा की जिम्मेदारी दी गई है।
सोमवार रात को पांच मरीज एक-एक करके रेफर किए गए थे। इनमें से अधिकांश मरीज दूरदराज के क्षेत्रों से आए थे, जिनमें बिहार भी शामिल था। सांसद की पहल पर, उन्हें फिर से भर्ती किया गया। इस मामले को लेकर कार्यकारी निदेशक ने डॉ. सुभोद को एमरजेंसी के प्रभारी के पद से हटा दिया और डॉ. गौरव गुप्ता को उनकी जगह जिम्मेदारी सौंपी गई।
संस्थान की छवि पर प्रभाव
गोरखपुर AIIMS जैसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान में इस प्रकार की घटनाएं न केवल छात्रों की व्यक्तिगत छवि को प्रभावित करती हैं, बल्कि संस्थान की प्रतिष्ठा को भी दांव पर लगाती हैं। यह घटना यह दर्शाती है कि युवा चिकित्सा छात्रों को अपने आचार-व्यवहार को लेकर कितनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। ऐसे में जब शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान प्राप्त करना नहीं, बल्कि नैतिकता और सामाजिक जिम्मेदारी का पालन करना भी है, तो ऐसे विवादों से बचने के लिए उचित कदम उठाने की आवश्यकता है।
छात्रों का दृष्टिकोण
इस विवाद के बाद छात्रों में विभिन्न प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। कुछ छात्रों ने इसे एक मजाक के रूप में लिया, जबकि अन्य ने इसे बेहद गंभीरता से लिया। कई छात्रों ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों में शामिल होना उनकी जिम्मेदारी नहीं है और उन्हें अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यह जरूरी है कि छात्र अपने पेशेवर जीवन में नैतिकता और जिम्मेदारी को महत्व दें।
संस्थान की प्रतिक्रिया
गोरखपुर AIIMS प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि इस घटना ने उनकी नीतियों और मूल्यों को चुनौती दी है। उन्होंने कहा है कि इस प्रकार की गतिविधियों को रोकने के लिए वे सख्त कदम उठाएंगे और छात्रों को अनुशासन में रखने के लिए आवश्यक कार्रवाई करेंगे।
भविष्य की दिशा
गोरखपुर AIIMS को इस घटना से सबक लेना चाहिए और भविष्य में ऐसे आयोजनों में अनुशासन बनाए रखने के लिए सख्त दिशा-निर्देश और नियम लागू करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, छात्रों को नैतिक शिक्षा और सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति जागरूक करने के लिए कार्यशालाएं और सेमिनार आयोजित करने चाहिए।