Gorakhpur: भगवान सूर्य और छठी मइया के प्रति आस्था का महापर्व छठ पूजा शुक्रवार को संपन्न हो गया। गोरखपुर में इस वर्ष भी छठ पूजा के आखिरी दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। शहर के प्रमुख छठ घाटों, जैसे गोरखनाथ मंदिर का भीम सरोवर, सूर्यकुंड धाम, राप्ती नदी के किनारे और रामगढ़ ताल समेत अन्य जगहों पर भक्तों का आस्था का सैलाब देखने को मिला। चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में गोरखपुर के हर कोने में श्रद्धा और आस्था का अनुपम दृश्य था।
चार दिवसीय महापर्व का समापन
छठ पूजा का प्रारंभ नहाय-खाय से होता है, जिसमें भक्त पहले दिन विशेष रूप से स्नान करके शुद्ध रहते हुए व्रत की शुरुआत करते हैं। दूसरे दिन खरना का आयोजन किया जाता है, जब भक्त विशेष रूप से उपवास रखते हैं और रातभर उपवासी रहते हुए सूर्योदय तक कठिन व्रत करते हैं। तीसरे दिन संध्या अर्घ्य के साथ डूबते सूरज की पूजा की जाती है। इस दिन लोग सूरज देवता से अपने कष्टों की मुक्ति और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। फिर, चौथे और अंतिम दिन, उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ इस महापर्व का समापन होता है। इस दिन सूर्योदय के समय लाखों श्रद्धालु पानी में खड़े होकर भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।
छठी मइया के दरबार में श्रद्धा का अनोखा प्रदर्शन
इस मौके पर खासकर महिलाएं मंगल गीत गाते हुए छठ घाटों पर पहुंचीं और छठी मइया को ठेकुआ, फल, फूल और अन्य प्रकार के प्रसाद अर्पित किए। उन्होंने दीप जलाए और अपने परिवार, विशेषकर बच्चों की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना की। भक्तगण यहां आतिशबाजी भी कर रहे थे और हर तरफ खुशियों का माहौल था। इस दौरान गोरखपुर के विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार वृद्धि देखी गई।
सुख, समृद्धि और सौभाग्य की कामना
छठ पूजा में विशेष रूप से उगते सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व है। इस दिन श्रद्धालु सूर्य देव से अपने जीवन की परेशानियों का निवारण और सुख, समृद्धि तथा सौभाग्य की कामना करते हैं। गोरखपुर के घाटों पर पहुंचे भक्तों ने कहा कि छठी मइया का आशीर्वाद प्राप्त करने से उनके जीवन में खुशियां और समृद्धि का वास होता है। वे हर साल इस पर्व के माध्यम से भगवान सूर्य और छठी मइया के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।
प्राकृतिक और सांस्कृतिक महत्व
छठ पूजा केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह प्रकृति के साथ हमारे संबंध को दर्शाता है। सूर्य देवता को जीवन का स्रोत माना जाता है और छठी मइया का पूजन हमें प्रकृति से जुड़े रहने का संदेश देता है। यह पर्व न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हम सभी को यह सिखाता है कि हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखना चाहिए और उस पर कृतज्ञ रहना चाहिए। गोरखपुर में इस पूजा के दौरान घाटों पर जल, हवा, और आकाश की शक्ति का अनुभव होता है, जो इस त्योहार को और भी खास बना देता है।
गोरखपुर में छठ पूजा की धूम
गोरखपुर में हर वर्ष छठ पूजा के महत्व में इजाफा होता जा रहा है। गोरखनाथ मंदिर का भीम सरोवर, सूर्यकुंड धाम, राप्ती नदी के तट और रामगढ़ ताल पर बने छठ घाटों पर लाखों श्रद्धालु उमड़ते हैं। इस वर्ष भी इन घाटों पर भक्तों की भारी भीड़ ने इस पर्व को और भी धूमधाम से मनाया। खास बात यह है कि हर साल श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है और लोग पूरे समर्पण भाव से इस पर्व को मनाते हैं।
छठ पूजा और सांस्कृतिक परंपरा
छठ पूजा की परंपरा सिर्फ धार्मिक आस्था से नहीं जुड़ी है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक और पारंपरिक जीवन का भी हिस्सा है। इस पर्व में शामिल होने वाले लोग इस त्योहार के माध्यम से अपने बच्चों और अगली पीढ़ी को भी इसकी अहमियत बताते हैं, ताकि यह परंपरा आने वाले वर्षों तक जीवित रहे। छठ पूजा के जरिए एक सांस्कृतिक उत्सव के रूप में प्रेम, एकता और भाईचारे का संदेश फैलता है।
छठ पूजा के माध्यम से सामूहिक श्रद्धा का उत्सव
गोरखपुर सहित उत्तर भारत में छठ पूजा का त्यौहार सामूहिक श्रद्धा का प्रतीक बन चुका है। यह एक ऐसा पर्व है जिसमें हर व्यक्ति अपनी आस्था और श्रद्धा को भगवान सूर्य और छठी मइया के प्रति प्रकट करता है। चार दिनों के इस पर्व में सामाजिक एकता का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है, जहाँ लोग एक साथ मिलकर पूजा करते हैं और सामूहिक रूप से प्रकृति और सूर्य देवता का आभार व्यक्त करते हैं।
इस प्रकार, छठ पूजा का महापर्व आस्था, श्रद्धा और एकता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है। इस महापर्व के माध्यम से भक्तगण भगवान सूर्य और छठी मइया से सुख, समृद्धि और सौभाग्य की कामना करते हैं। गोरखपुर में इस पर्व की धूम लगातार बढ़ती जा रही है और लोगों का विश्वास भी मजबूत हो रहा है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह प्रकृति और मानव के बीच के रिश्ते को भी मजबूत करने का एक साधन बन चुका है।