Chhath Puja 2024 Bhajans: छठ पूजा का महापर्व आस्था और श्रद्धा से भरपूर होता है, जिसका लोग सालभर इंतजार करते हैं। यह पर्व कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से प्रारंभ होता है और अष्टमी तिथि को उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ संपन्न होता है। इस पर्व पर महिलाएं कठिन व्रत रखती हैं और भगवान सूर्य तथा छठी मैया की आराधना करती हैं। इस दौरान घरों और घाटों पर छठी मैया के भजनों का मधुर स्वर गूंजता है, जो इस पर्व की शोभा और भक्ति भाव को बढ़ा देता है। अगर आप भी इस छठ पूजा पर भक्तिमय माहौल बनाना चाहते हैं, तो यहां दिए गए छठी मैया के भजनों को सुन सकते हैं।
छठ पूजा की शुरुआत – नहाय खाय (05 नवंबर)
छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है, जो इस बार 5 नवंबर को है। इस दिन व्रती महिलाएं तालाब और नदी में स्नान कर पूजा की तैयारियां करती हैं। इसके बाद नए चूल्हे और बर्तनों में कच्चे चावल का भात, चना दाल, और कद्दू का प्रसाद बनाया जाता है। इस दिन छठी मैया के भजनों को सुनकर घर में भक्ति का माहौल बना सकते हैं। खासकर नहाय खाय के दिन भजन सुनना इस पर्व की परंपरा में शामिल है, जिससे पूजा स्थल पर भक्तिमय ऊर्जा का संचार होता है।
खर्ना पूजा (06 नवंबर)
छठ पर्व का दूसरा दिन खर्ना पूजा के रूप में मनाया जाता है, जो इस बार 6 नवंबर को होगा। इस दिन गुड़ और चावल का खीर तैयार किया जाता है, जिसे छठी मैया को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है। खर्ना पूजा के दौरान कई महिलाएं छठी मैया के भजनों को सुनते हुए प्रसाद की तैयारी करती हैं। यह भजन न केवल मन को शांत करते हैं बल्कि भक्ति और समर्पण का एहसास भी कराते हैं। कुछ लोकप्रिय भजनों में ‘काचही बांस के बहंगिया’ और ‘उग हो सुरुज देव’ जैसे गीत इस अवसर पर विशेष रूप से गाए जाते हैं।
सायंकालीन अर्घ्य – तीसरा दिन (07 नवंबर)
सप्तमी तिथि को व्रतियों द्वारा सायंकालीन अर्घ्य का आयोजन होता है। इस दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर सूर्यास्त के समय सूर्य देव को जल अर्पित किया जाता है। अर्घ्य देते समय घाटों पर छठी मैया के भजनों की गूंज सुनाई देती है, जो इस महापर्व को और भी भव्य और भक्तिमय बना देती है। ‘केलवा के पात पर उगेले सुरुजमल’ और ‘पिया जाय ना छूटे छठी मैया’ जैसे भजन घाटों पर चारों ओर सुनाई देते हैं, जो इस पूजा के वातावरण में जोश और उत्साह भर देते हैं।
अष्टमी – उगते सूर्य को अर्घ्य (08 नवंबर)
अष्टमी तिथि के दिन व्रती उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह छठ पूजा का अंतिम दिन होता है, और इस दिन सूरज को अर्घ्य देने के साथ व्रत का समापन होता है। इस दौरान घाटों पर छठी मैया के भजन गाए जाते हैं और भक्तजन पूरे भक्ति भाव के साथ आराधना करते हैं। ‘रुनझुन बहे पुरवइया’ और ‘सुन सुन छठी मैया’ जैसे भजन इस दिन के मुख्य आकर्षण होते हैं। अर्घ्य देने के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है और व्रती महिलाएं अपना उपवास समाप्त करती हैं।
छठ पूजा के विशेष भजन
छठ पूजा पर कई भजनों का विशेष महत्व होता है। यहां कुछ लोकप्रिय भजनों का उल्लेख किया जा रहा है, जिन्हें आप इस महापर्व पर सुन सकते हैं:
- कांच ही बांस के बहंगिया – यह भजन छठ पूजा का अत्यंत लोकप्रिय गीत है, जिसमें एक भक्त की अपनी माता छठी के प्रति श्रद्धा और भावनाओं को दर्शाया गया है।
- उग हो सुरुज देव – इस भजन में उगते सूरज से आशीर्वाद मांगा जाता है और उनके प्रति आभार प्रकट किया जाता है।
- पार करो हे छठी मैया – यह भजन छठी मैया से अपने भक्तों के दुखों को हरने की प्रार्थना करता है और एक अद्भुत भक्ति भावना से परिपूर्ण है।
- केलवा के पात पर उगेले सुरुजमल – यह गीत छठ पूजा के समय का बेहद प्रसिद्ध भजन है जो विशेष रूप से अर्घ्य देते समय गाया जाता है।
- पिया जाय ना छूटे छठी मैया – यह गीत छठ पूजा के भक्तिमय वातावरण को और भी मनमोहक बना देता है और इसे सुनते ही लोग थिरकने लगते हैं।
छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह पर्व हमारी संस्कृति और परंपराओं को संजोने का एक अवसर भी है। छठ के दौरान गाए जाने वाले भजन हर किसी के दिल को छू लेते हैं और भक्तों को छठी मैया और सूर्य देव के प्रति अपने समर्पण को व्यक्त करने का एक सुंदर माध्यम प्रदान करते हैं। इस पर्व पर जब छठी मैया के इन भजनों की गूंज घाटों और घरों में सुनाई देती है, तो हर कोई आस्था और भक्ति में डूब जाता है।