Gorakhpur: गोरखपुर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भक्तों ने राप्ती नदी में पवित्र स्नान किया और सूर्य देवता की पूजा अर्चना की। इस दौरान श्रद्धालुओं ने अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए भगवान से प्रार्थना की। इस दिन की धार्मिक महत्ता को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए थे ताकि घाटों पर भीड़-भाड़ न हो और सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखी जा सके।
सुरक्षा व्यवस्था में विशेष इंतजाम
इस दिन के महत्व को देखते हुए प्रशासन ने घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया। हर घाट पर सुरक्षा कर्मी तैनात थे और श्रद्धालुओं को बारी-बारी से घाट पर जाने की अनुमति दी जा रही थी। इसके अलावा, किसी भी अनहोनी घटना से बचने के लिए एनडीआरएफ (NDRF) और एसडीआरएफ (SDRF) की टीमों को भी सक्रिय किया गया था।
कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
कार्तिक पूर्णिमा का दिन विशेष रूप से स्नान और दान के लिए जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन राप्ती जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है और जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। इसके साथ ही इस दिन किए गए दान को पुण्य का कारण माना जाता है और यह मोक्ष की प्राप्ति के रास्ते को खोलता है।
रामघाट पर श्रद्धालुओं ने किया स्नान
रामघाट पर स्नान करने के बाद उर्मिला देवी ने कहा, “यह बहुत पवित्र अवसर है। हिन्दू धर्म में यह विश्वास किया जाता है कि इस दिन स्नान करने से न केवल शारीरिक कष्ट दूर होते हैं, बल्कि घर और परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।”
गोरखपुर के चंद्रशेखर त्रिपाठी ने कहा, “मेरे बचपन से ही मैं कार्तिक पूर्णिमा के दिन राप्ती नदी में स्नान करने आता हूं। यह परंपरा हमारे गांव में भी है।” उनकी पत्नी सरिता ने कहा, “पति-पत्नी एक साथ स्नान करते हैं क्योंकि यह माना जाता है कि इससे शादीशुदा जीवन में स्थिरता रहती है और परिवार में शांति और सुख का वास होता है।”
तुलसी पूजा और विदाई का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा के साथ-साथ घरों में तुलसी पूजा और उसकी विदाई का भी खास महत्व है। डॉ. अमृता गुप्ता, रामजंकिनगर ने बताया, “कार्तिक पूर्णिमा के दिन हिन्दू घरों में तुलसी का शालिग्राम से विवाह कराया जाता है, और बाद में उसे विदा भी किया जाता है। इसके लिए घरों में विशेष पूजा की जाती है, तुलसी को नए वस्त्र पहनाए जाते हैं, उसे गोदी में उठाकर विदाई दी जाती है। इसके साथ ही, मीठे पकवान बनाए जाते हैं और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।”
धार्मिक परंपराएं और विश्वास
कार्तिक पूर्णिमा के दिन किए जाने वाले धार्मिक क्रियाकलाप और पूजा की परंपराएं भक्तों के लिए आस्था और विश्वास का प्रतीक बन जाती हैं, जो जीवन में सुख-समृद्धि लाने का विश्वास देती हैं। यह दिन न केवल आत्मिक शांति की प्राप्ति का अवसर होता है, बल्कि परंपराओं और धार्मिक विश्वासों को जीवित रखने का भी एक जरिया बनता है।
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गोरखपुर के विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं का ताता लगा रहा। प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया कि सुरक्षा व्यवस्थाएं मजबूत रहें और श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के पूजा-अर्चना कर सकें। घाटों पर तैनात पुलिसकर्मियों और सुरक्षा कर्मियों ने श्रद्धालुओं को बारी-बारी से घाट पर जाने की अनुमति दी, ताकि कोई दुर्घटना न हो।
आस्था और परंपरा के बीच संतुलन
यह दिन न केवल धार्मिक परंपराओं का पालन करने का अवसर होता है, बल्कि यह एक दूसरे से जुड़ने और समाज में सामूहिक आस्था को प्रकट करने का भी अवसर है। हर वर्ष की तरह इस बार भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन गोरखपुर में श्रद्धालुओं ने पूरे उल्लास और श्रद्धा के साथ राप्ती नदी में स्नान किया और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए सूर्य देवता की पूजा की। इस दिन की धार्मिक महत्ता ने इसे एक प्रमुख त्योहार बना दिया है, जो हर वर्ष भक्तों को एक साथ जोड़ता है और धार्मिक परंपराओं को जीवित रखता है।
गोरखपुर में कार्तिक पूर्णिमा का दिन भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। राप्ती नदी में स्नान और सूर्य देवता की पूजा के साथ-साथ तुलसी की विदाई की परंपरा भी इस दिन की धार्मिक महत्ता को और बढ़ाती है। इस दिन की विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ-साथ प्रशासन की ओर से की गई सुरक्षा व्यवस्था और सतर्कता ने इस दिन को और भी सुरक्षित और शांतिपूर्ण बनाया। कार्तिक पूर्णिमा न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह हमारे पारंपरिक विश्वासों और आस्थाओं का प्रतीक भी है, जो जीवन में सुख और समृद्धि लाने के लिए एक अहम भूमिका निभाता है।