Bahraich Violence: 13 अक्टूबर को, महसी क्षेत्र के महाराजगंज में एक ख़तरनाक हिंसा की घटना ने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया। जहां एक विशेष समुदाय के युवकों ने मूर्ति विसर्जन जुलूस पर पथराव किया, वहीं विरोध करते हुए एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके बाद स्थिति इतनी बिगड़ गई कि महाराजगंज और नगर कोतवाली क्षेत्र में तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं हुईं।
दूसरे दिन की घटनाएं
इस घटना के दूसरे दिन एक अन्य युवक की इलाज के दौरान मौत की अफवाह फैलने से स्थिति और भी गंभीर हो गई। इस बार, हिंसा ने विकराल रूप धारण कर लिया और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस के उच्च अधिकारी, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर और गृह सचिव现场 पहुंचे। रिपोर्टों के अनुसार, एडीजी ने स्वयं पिस्तौल के साथ उपद्रवियों का पीछा किया, जिससे स्थिति कुछ हद तक सामान्य हुई।
गिरफ्तारी और कार्रवाई
अब तक इस पूरे मामले में 112 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से चार को नामजद किया गया है। उपद्रवियों ने सरकारी संपत्ति को दो करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुँचाया है। पुलिस ने हार्दी थाने और नगर कोतवाली में 1,304 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इस मामले में लापरवाही बरतने पर हार्दी के थाना प्रभारी सुरेश कुमार वर्मा और महसी चौकी प्रभारी शिवसागर सरोज को निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा, महसी के सीओ रूपेंद्र गौड़ को भी निलंबित किया गया है और उन्हें रैंपुर में तैनात सीओ रवि खुखर के पास भेजा गया है।
अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई
प्रशासन ने सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने वाले 23 घरों और दुकानों पर बुलडोज़र चलाने की तैयारी कर ली है। सभी अतिक्रमणकारियों को नोटिस दिए गए हैं। बुलडोज़र की कार्रवाई के डर से अतिक्रमणकारियों ने अपनी संपत्ति को समेटना शुरू कर दिया है। इसके अलावा, हिंसा के इस मामले में कई और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की संभावना है।
उच्च न्यायालय की सुनवाई
महाराजगंज में अतिक्रमणकारियों को सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा जारी नोटिस को लेकर मामला रविवार को उच्च न्यायालय पहुंचा। उच्च न्यायालय ने तीन दिनों की समय सीमा को अपर्याप्त मानते हुए इसे 15 दिनों के लिए बढ़ा दिया और कहा कि संबंधित अधिकारी लोगों की प्रतिक्रिया पर निर्णय लेंगे। अदालत ने निर्माण ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर रोक नहीं लगाई और कहा, “हमें विश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि राज्य सरकार उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करेगी।” इस मामले की अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को होगी।
बहराइच में हुई इस हिंसा की घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को डरा दिया है, बल्कि प्रशासन के ऊपर भी सवाल उठाए हैं। कानून और व्यवस्था को बनाए रखने में असफलता ने राज्य में बढ़ते अपराधों पर चिंता जताई है। इस पूरे मामले में अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और हिंसा के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
इस घटना ने फिर से यह साबित कर दिया है कि प्रशासन को समाज में शांति बनाए रखने के लिए सतर्क रहना होगा। यदि ऐसे मुद्दों को समय पर नहीं सुलझाया गया, तो इससे और अधिक गंभीर परिणाम हो सकते हैं।