Ayodhya: मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव की राह अब स्पष्ट होती दिख रही है। दरअसल, जिस याचिका के कारण चुनाव आयोग ने वहां उपचुनाव की घोषणा नहीं की थी, वह याचिका अब वापस ली जा रही है। यह याचिका पूर्व भाजपा विधायक बाबा गोरखनाथ द्वारा दायर की गई थी। अब उन्होंने इसे वापस लेने का फैसला किया है। उनका कहना है कि उन्होंने यह मामला वापस लेने का निर्णय इसलिए लिया है ताकि उपचुनाव की प्रक्रिया में कोई बाधा न रहे।
2022 के चुनाव में अवधेश प्रसाद ने दिए थे गलत सबूत
मिल्कीपुर से पूर्व भाजपा विधायक बाबा गोरखनाथ ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनकी याचिका के कारण चुनाव रुक जाएगा। उनका कहना है कि समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने 2022 के चुनाव में जो सबूत पेश किए थे, वे गलत थे, और उसी के आधार पर उन्होंने याचिका दायर की थी। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि अवधेश प्रसाद द्वारा नामांकन दाखिल करते समय गलत शपथ ली गई थी और उनके दस्तावेज़ सत्यापन के दौरान इस्तेमाल किया गया नोटरी का लाइसेंस वैध नहीं था।
चुनाव की घोषणा न होने पर हुई हैरानी
बाबा गोरखनाथ ने आगे कहा, “जब उपचुनाव की घोषणा नहीं हुई तो मुझे भी हैरानी हुई और मैं तुरंत लखनऊ पहुंचा। वहां मैंने संगठन के लोगों से मुलाकात की और अब मैंने याचिका वापस लेने का निर्णय लिया है।” उन्होंने यह भी बताया कि वे खुद मिल्कीपुर से टिकट के दावेदार हैं और चाहते हैं कि वहां जल्द से जल्द चुनाव हो। उन्होंने भरोसा जताया कि भाजपा उन्हें टिकट देगी और वे पार्टी के साथ मजबूती से खड़े रहेंगे। अखिलेश यादव के तंज पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, “उनका तंज गलत है। हमें अंदाजा नहीं था कि ऐसा होगा, लेकिन अब हम आज ही याचिका वापस ले लेंगे।”
आज हाई कोर्ट में याचिका वापस लेने की अपील
बाबा गोरखनाथ के वकील रुद्र विक्रम सिंह ने बताया कि आज हाई कोर्ट में याचिका वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके बाद, अदालत आज या कल इस मामले की सुनवाई कर सकती है। उनका कहना है कि अदालत से निवेदन किया जाएगा कि अब चूंकि अवधेश प्रसाद विधायक नहीं हैं, इसलिए इस मामले को खत्म कर दिया जाए या हमें याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाए। उन्होंने यह भी बताया कि याचिका वापस लेने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मिल्कीपुर उपचुनाव की राह में कोई कानूनी अड़चन न रहे।
यूपी की 9 सीटों पर हुआ उपचुनाव की घोषणा
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा की नौ सीटों के लिए उपचुनाव की तारीखों की घोषणा की। हालांकि, मिल्कीपुर सीट पर फिलहाल उपचुनाव की घोषणा नहीं की गई। जब इस बारे में सवाल किया गया, तो मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि इस सीट पर अदालत में लंबित मामले के कारण उपचुनाव नहीं हो रहे हैं। पूर्व भाजपा विधायक बाबा गोरखनाथ ने समाजवादी पार्टी के नेता अवधेश प्रसाद के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी, और यह मामला अभी भी लंबित है।
याचिका में क्या थे आरोप?
बाबा गोरखनाथ द्वारा दायर की गई याचिका में आरोप लगाया गया था कि 2022 के चुनाव में अवधेश प्रसाद ने नामांकन पत्र दाखिल करते समय गलत शपथ ली थी। याचिका के अनुसार, उस समय नोटरी, जिसने अवधेश प्रसाद के दस्तावेजों का सत्यापन किया था, उसका लाइसेंस नवीनीकृत नहीं था। सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार, नामांकन दस्तावेजों के सत्यापन के समय नोटरी के वकील के पास वैध लाइसेंस होना अनिवार्य है।
चुनाव प्रक्रिया में याचिका का प्रभाव
इस याचिका के कारण मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा नहीं हो सकी थी। चुनाव आयोग ने अन्य सीटों के लिए उपचुनाव की घोषणा कर दी थी, लेकिन मिल्कीपुर का मामला लंबित था। इस बीच, बाबा गोरखनाथ द्वारा याचिका वापस लेने का फैसला किया गया, ताकि उपचुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ सके और वहां चुनाव की घोषणा हो सके।
अवधेश प्रसाद के खिलाफ उठे सवाल
याचिका में लगाए गए आरोपों के अनुसार, समाजवादी पार्टी के नेता अवधेश प्रसाद ने 2022 के विधानसभा चुनाव में नोटरी से अपने दस्तावेजों का सत्यापन करवाया था, लेकिन उस समय नोटरी के पास वैध लाइसेंस नहीं था। इस आधार पर बाबा गोरखनाथ ने याचिका दायर की थी। हालांकि, अब जब वे इस याचिका को वापस लेने जा रहे हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट इस पर क्या निर्णय लेता है।
उपचुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा
बाबा गोरखनाथ का यह कदम भाजपा के लिए सकारात्मक संकेत हो सकता है। भाजपा अब मिल्कीपुर सीट पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने की तैयारी में जुटी है। बाबा गोरखनाथ ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि वे इस सीट से टिकट के दावेदार हैं और पार्टी उन्हें टिकट देगी तो वे पूरी ताकत से चुनाव लड़ेंगे।