Azam Khan News: उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता आज़म खान को सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ा झटका मिला है। कोर्ट ने उनके मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की भूमि पट्टे को रद्द कर दिया है। बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना ने इस कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए इसे न्याय की जीत बताया है। इस फैसले से यह साफ हो गया है कि कोई भी व्यक्ति सरकारी संपत्ति पर कब्जा नहीं कर सकता है।
आज़म खान पर आरोप
आज़म खान पर आरोप है कि उन्होंने यूपी सरकार में मंत्री रहते हुए अपनी स्थिति का दुरुपयोग किया। उन पर आरोप है कि उन्होंने एक सरकारी अनुसंधान केंद्र की बिल्डिंग को अपने मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को पट्टे पर ले लिया। इस मामले में 2019 में शिकायत की गई थी और मई 2023 में योगी सरकार के कैबिनेट ने आज़म खान का पट्टा रद्द कर दिया। इस निर्णय के पीछे तब के जिला अधिकारी रामपुर, अंजनिया कुमार सिंह की रिपोर्ट थी। इसके बाद आज़म खान ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की, लेकिन मार्च 2024 में हाईकोर्ट ने उनके दावे को खारिज करते हुए कैबिनेट के निर्णय को बरकरार रखा।
सुप्रीम कोर्ट में अपील
इसके बाद आज़म खान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और हाईकोर्ट के निर्णय को रद्द करने की मांग की। लेकिन सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि आज़म खान ने अल्पसंख्यक विभाग के मंत्री रहते हुए उसी विभाग की भूमि को अपने निजी ट्रस्ट को पट्टे पर दिया। इस फैसले के बाद बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना ने कहा कि अब सरकारी कार्य फिर से इस बिल्डिंग में किए जाएंगे।
रैम्पूर पब्लिक स्कूल की स्थिति
आज़म खान का रैम्पूर पब्लिक स्कूल पहले ही खाली कर दिया गया है। अब यह संपत्ति सरकार के पास वापस आएगी। यह बिल्डिंग लगभग 15,000 वर्ग फुट में बनी हुई है। बीजेपी विधायक ने कहा कि हम हमेशा कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं और आज के फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि कोई भी सरकारी संपत्ति पर इस तरह कब्जा नहीं कर सकता।
पूरा मामला क्या है?
मालूम हो कि आज़म खान के मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट ने हाईकोर्ट के निर्णय को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी, जिसमें रैम्पूर में जौहर स्कूल को आवंटित भूमि का पट्टा रद्द किया गया था। साथ ही, उत्तर प्रदेश सरकार को भूमि का अधिग्रहण करने की अनुमति भी दी गई थी। इससे पहले, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल आज़म खान की ओर से याचिका का पक्ष रख रहे थे। सुप्रीम कोर्ट में जिरह के दौरान उन्होंने कहा कि वर्तमान में 300 बच्चे स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं, इसलिए हाईकोर्ट के आदेश को स्थगित किया जाना चाहिए और राज्य सरकार के निर्णय को रद्द किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, न्यायाधीश जेबी पारदीवाला और न्यायाधीश मनोज मिश्रा शामिल थे, ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि राज्य सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि वहां पढ़ रहे लगभग 300 छात्रों को अन्य शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश दिलाया जाए। चीफ जस्टिस ने 2015 में मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को भूमि पट्टे देने के दौरान तत्कालीन सरकार के रवैये पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि ये तथ्य परेशान करने वाले हैं। हालांकि, कोर्ट ने योगी सरकार से यह भी कहा कि वह विश्वविद्यालय में पढ़ रहे छात्रों की शिक्षा का ध्यान रखे और उन्हें अच्छे शैक्षणिक संस्थानों में दाखिला दिलाए।
आज़म खान की वर्तमान स्थिति
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के नेता आज़म खान इस समय सीतापुर जेल में बंद हैं और उनके बेटे, पूर्व विधायक अब्दुल्ला आज़म भी हरदोई जेल में हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का आज का निर्णय आज़म परिवार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
इस फैसले पर विभिन्न राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएँ भी सामने आई हैं। बीजेपी के नेता आकाश सक्सेना ने इसे न्याय की जीत बताते हुए कहा कि यह फैसला उन लोगों के लिए एक संदेश है जो सरकारी संपत्तियों पर अवैध कब्जे करने की सोचते हैं। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से साबित होता है कि न्यायालय हमेशा सच्चाई और न्याय का पक्ष लेता है।