इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल जिले में तालाब और सरकारी जमीन पर बने मैरिज हॉल और मस्जिद के मामले में मस्जिद कमेटी को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने याचिका पर तुरंत सुनवाई करने से साफ इंकार कर दिया और कहा कि इस मामले की सुनवाई निचली अदालत में ही होगी। पहले प्रशासन ने अवैध निर्माण पर बुलडोजर कार्रवाई की थी, जिसके बाद यह याचिका दाखिल की गई थी।
हाईकोर्ट में जस्टिस दिनेश पाठक की सिंगल बेंच ने मस्जिद शरीफ गोसुलबरा रावां बुजुर्ग की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को कहा कि वे ट्रायल कोर्ट में अपील करें।
शुक्रवार 3 अक्टूबर को छुट्टी के दिन अर्जेंट बेंच बैठी और याचिका पर सुनवाई की गई। याचिका में मस्जिद, मैरिज हॉल और अस्पताल के खिलाफ ध्वस्तीकरण आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी। मस्जिद पक्ष ने दलील दी कि मैरिज हॉल को ध्वस्त कर दिया गया। ध्वस्तीकरण के लिए 2 अक्टूबर को गांधी जयंती और दशहरे का दिन चुना गया था।
आरोप है कि मैरिज हॉल तालाब की जमीन पर बना हुआ है। मस्जिद को भी अवैध निर्माण के लिए नोटिस दिया गया था। मस्जिद कमेटी को चार दिन की मोहलत दी गई थी, लेकिन मोहलत खत्म होने से पहले ही उन्होंने खुद दीवारें गिरानी शुरू कर दी।
मस्जिद कमेटी ने कहा कि उन्हें पर्याप्त समय नहीं दिया गया। वहीं प्रशासन का कहना है कि कार्रवाई पूरी तरह कानूनी प्रक्रिया के तहत की गई। यह मस्जिद गौसुलबरा नाम की है और संभल जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर असमोली क्षेत्र के राया बुजुर्ग गांव में बनी हुई है।