Akshara Singh कर रही हैं पहली बार छठ, यूजर्स ने उठाए सवाल – ‘हमारे यहाँ शादी के बिना यह उपवास नहीं होता’

Akshara Singh कर रही हैं पहली बार छठ, यूजर्स ने उठाए सवाल - 'हमारे यहाँ शादी के बिना यह उपवास नहीं होता'

भोजपुरी अभिनेत्री और गायिका Akshara Singh इस बार छठ पर्व मना रही हैं। खास बात यह है कि वह पहली बार छठ उपवास रख रही हैं। उन्होंने इस बारे में जानकारी सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से दी है। अक्षरा खुद इस पर्व की सभी तैयारियाँ कर रही हैं। जहाँ एक ओर अक्षरा के फैंस इस बात से बहुत खुश हैं और उनका उत्साह बढ़ा रहे हैं, वहीं कुछ लोग इस पर सवाल उठा रहे हैं कि ‘हमारे यहाँ शादी के बिना लड़कियाँ छठ उपवास नहीं करतीं’।

पहली छठ पूजा की तैयारियाँ

अक्षरा सिंह ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट साझा किया है जिसमें वह अपनी पहली छठ पूजा की तैयारियाँ कर रही हैं। इस पोस्ट में उन्हें गेहूँ धोते और सुखाते हुए देखा जा सकता है, जिससे प्रसाद बनाया जाएगा। उन्होंने कैप्शन में लिखा, ‘पहली छठ की शुरुआत’। इस पोस्ट पर कुछ यूजर्स लिख रहे हैं, ‘हमारे यहाँ कोई शादी के बिना छठ पूजा नहीं करता। आप शादी के बिना क्यों छठ पूजा कर रही हैं?’

मन की भावनाएँ व्यक्त कीं

एक अन्य पोस्ट में अक्षरा ने लिखा, ‘आज तक मैंने छठ माता के इस महान पर्व को देखा और सुना था। आज जब मैं स्वयं इस पर्व को व्रति के रूप में मनाते हुए देख रही हूँ और इसके छोटे-छोटे नियम सीख रही हूँ, तो कहीं न कहीं मुझे डर, खुशी, और उत्तेजना महसूस हो रही है और मेरा दिल कह रहा है जय छठी मईया’।

इस प्रथा पर उठाए सवाल

अक्षरा सिंह ने पहले एक पोस्ट में यह सवाल उठाया कि छठ पर्व में दउरा घाट पर पुरुष क्यों ले जाते हैं, महिलाएँ क्यों नहीं? उन्होंने इस त्योहार और महिलाओं के प्रति सवाल उठाते हुए कहा कि क्यों नहीं महिलाएँ छठ का दउरा अपने सिर पर लेकर घाट जा सकती हैं? उन्होंने लिखा, ”बन ना कवन देव कहरिया, दउरा घाटे पहुचाय”। उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं जानती कि यह छठ का पारंपरिक गीत कितने वर्षों से गाया जा रहा है और जब भी मैं इस गीत की इस पंक्ति को सुनती हूँ, तो मुझे लगता है कि जो महिला छठ पूजा (खरना से लेकर अंत तक) के हर अनुष्ठान को इतनी श्रद्धा और मेहनत से तीन दिन का उपवास रखकर करती है… वही महिला दउरा क्यों नहीं ले जा सकती?’

सवाल उठाने वालों को दिया जवाब

अक्षरा सिंह ने मीडिया इंटरव्यू में अपनी छठ उपवास रखने की बात पर उठाए गए सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि मुझे इस उपवास को रखने का एहसास कहाँ से आया। शायद छठी मईया खुद यह चाहती हैं। शायद वह यह चाहती हैं कि मैं यह धारणा तोड़ दूँ कि केवल शादीशुदा महिलाएँ ही इस पूजा को कर सकती हैं। अगर सास देती हैं, तो बहु लेगी या अगर माँ देती हैं, तो बेटी। क्या इतना बड़ा पर्व शादी पर निर्भर है?’

Akshara Singh कर रही हैं पहली बार छठ, यूजर्स ने उठाए सवाल - 'हमारे यहाँ शादी के बिना यह उपवास नहीं होता'

छठ पर्व का महत्व

छठ पूजा का आयोजन खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में बड़े धूमधाम से किया जाता है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है, जिसमें श्रद्धालु सूर्योदय और सूर्यास्त के समय अर्घ्य देते हैं। इस दौरान महिलाएँ और पुरुष दोनों उपवास रखते हैं। यह पर्व न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह समाज में एकता और भाईचारे का भी संदेश देता है।

अक्षरा का साहस

अक्षरा सिंह की यह पहल उनके लिए न केवल एक व्यक्तिगत अनुभव है, बल्कि यह समाज में भी एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि महिलाएँ किसी भी पूजा को मनाने के लिए केवल शादीशुदा होने की मोहताज नहीं हैं। उनका यह कदम निश्चित रूप से उन महिलाओं को प्रेरित करेगा जो सामाजिक मान्यताओं से बंधी हुई हैं और अपने अधिकारों को समझने में संकोच करती हैं।

प्रथा और परंपरा में बदलाव

अक्षरा का यह प्रश्न कि क्यों महिलाएँ दउरा नहीं ले जा सकतीं, सामाजिक प्रथाओं और मान्यताओं को चुनौती देता है। यह समय की मांग है कि हम परंपराओं को देखे और समझें, और उन्हें समय के साथ बदलें। अक्षरा का यह कदम निश्चित रूप से समाज में एक नई सोच और जागरूकता लाने में सहायक होगा।

छठ पूजा का आयोजन

इस बार अक्षरा सिंह छठ पूजा को बड़े श्रद्धा भाव से मनाने की तैयारी कर रही हैं। उनके फैंस इस बात का समर्थन कर रहे हैं और उन्हें आशीर्वाद दे रहे हैं। उनकी यह पहल समाज में एक नई दिशा दिखाने का काम कर रही है, जहाँ परंपराओं का पालन करते हुए भी नए विचारों का स्वागत किया जा सकता है।

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