Gorakhpur स्थित जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र में राजगिद्धों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। यह केंद्र न केवल राजगिद्धों की विलुप्त होती प्रजाति को बचाने का प्रयास कर रहा है, बल्कि इनके प्रजनन और पुनर्वास की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। हाल ही में, ललितपुर के जंगलों से एक और राजगिद्ध को रेस्क्यू करके केंद्र में लाया गया है, जिससे अब इस केंद्र में कुल सात गिद्ध हो गए हैं। इस प्रयास के साथ, संरक्षण केंद्र ने गिद्धों की संख्या बढ़ाने में सफलता हासिल की है और इसके माध्यम से उनके संरक्षण के कार्य में नई उम्मीदें जागी हैं।
दिवाली पर मिला नया साथी
जटायु संरक्षण केंद्र की टीम ने दिवाली के आसपास ललितपुर के जंगलों में एक साल से कम उम्र के राजगिद्ध को रेस्क्यू किया। इस गिद्ध के नर या मादा होने का पता डीएनए परीक्षण के बाद लगाया जाएगा। फिलहाल, केंद्र में पांच मादा और एक नर गिद्ध हैं, जिससे यह माना जा रहा है कि नर गिद्धों की संख्या बढ़ाना केंद्र की प्राथमिकता है। इसके साथ ही, टीम ने इस प्रजनन प्रक्रिया को तेज करने के लिए नर गिद्धों की संख्या में वृद्धि करने की योजना बनाई है।
ललितपुर और चित्रकूट में मिशन जारी
जटायु संरक्षण केंद्र के डीएफओ विकास यादव ने बताया कि केंद्र की टीम आगामी दो से चार दिनों में ललितपुर और चित्रकूट के जंगलों का दौरा करने वाली है। इन जंगलों में राजगिद्धों की अच्छी तादाद पाई जाती है। खासतौर पर ललितपुर के जंगलों में गिद्ध जानवरों के शवों पर भोजन की तलाश में आते हैं। इस बार, टीम का मुख्य लक्ष्य नर गिद्धों को पकड़ने पर रहेगा, ताकि केंद्र में प्रजनन प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जा सके और गिद्धों की संख्या में और इजाफा हो सके।
राजगिद्धों का पकड़ना चुनौतीपूर्ण कार्य
राजगिद्धों को पकड़ना बेहद कठिन कार्य है, और इसमें बहुत मेहनत और धैर्य की आवश्यकता होती है। डीएफओ यादव ने बताया कि नर गिद्ध मादा गिद्धों की तुलना में शांत और संवेदनशील स्वभाव के होते हैं। वे शोर-शराबा पसंद नहीं करते हैं और यदि किसी क्षेत्र में मानव गतिविधि देखते हैं तो वे तुरंत उस क्षेत्र को छोड़ देते हैं। इनकी तेज उड़ान और सतर्क स्वभाव के कारण टीम को इन्हें पकड़ने में काफी मेहनत करनी पड़ती है। इसके बावजूद, संरक्षण केंद्र की टीम लगातार इस दिशा में काम कर रही है और राजगिद्धों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम
गोरखपुर स्थित जटायु संरक्षण केंद्र देश का पहला ऐसा केंद्र है, जो राजगिद्धों की लुप्त होती प्रजाति को बचाने में अहम भूमिका निभा रहा है। यह केंद्र पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए गिद्धों के संरक्षण में लगातार काम कर रहा है। गिद्ध, जो स्वच्छता के महत्वपूर्ण हिस्से होते हैं, के बिना पर्यावरण में रोगों के फैलने का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में गिद्धों का संरक्षण न केवल इनकी प्रजाति के लिए बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी महत्वपूर्ण है।
प्रजनन और पुनर्वास में नई उम्मीद
गिद्धों की घटती संख्या से पर्यावरणीय संतुलन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। गिद्धों के बिना, मृत जानवरों के शरीर से रोग फैलने का खतरा बना रहता है। गिद्ध, जो प्राकृतिक सफाईकर्मी के रूप में काम करते हैं, मृत शरीरों को खाकर पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखते हैं। ऐसे में जटायु संरक्षण केंद्र न केवल गिद्धों की संख्या बढ़ाने में मदद कर रहा है, बल्कि उनके पुनर्वास के लिए भी प्रयासरत है।
भविष्य की योजनाएं
संरक्षण केंद्र की टीम का लक्ष्य ललितपुर और चित्रकूट जैसे जंगलों में लगातार दौरे कर गिद्धों को पकड़ना है। टीम का मुख्य उद्देश्य नर और मादा गिद्धों की संख्या में संतुलन बनाना है, ताकि प्रजनन प्रक्रिया को सुचारू रूप से बढ़ाया जा सके। इसके अलावा, केंद्र की टीम ने गिद्धों की सुरक्षा के लिए कई नए उपायों को भी योजना में रखा है, जैसे गिद्धों के लिए सुरक्षित आवास बनाना और उनके लिए भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
पर्यावरण संरक्षण में अहम योगदान
जटायु संरक्षण केंद्र न केवल राजगिद्धों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, बल्कि पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में भी योगदान दे रहा है। गिद्धों की संख्या में वृद्धि से पर्यावरण को स्वच्छ और स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, यह केंद्र अन्य विलुप्त प्रजातियों के संरक्षण के लिए भी योजना बना रहा है, ताकि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को बचाया जा सके।
राजगिद्धों की प्रजाति को बचाने का प्रयास
राजगिद्धों की प्रजाति को बचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के कारण गोरखपुर का जटायु संरक्षण केंद्र एक आदर्श बन गया है। इस केंद्र में गिद्धों की संख्या में हो रहे इजाफे से यह साबित होता है कि संरक्षण के प्रयास सही दिशा में हैं। अब तक की सफलता के बाद, यह केंद्र इस दिशा में और भी नए कदम उठाने के लिए तैयार है।
इस प्रकार, गोरखपुर का जटायु संरक्षण केंद्र न केवल राजगिद्धों की प्रजाति को बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भी एक सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। इस केंद्र के प्रयासों से उम्मीद जताई जा रही है कि भविष्य में गिद्धों की संख्या में और इजाफा होगा, और उनकी प्रजाति को बचाने में सफलताएं मिलेंगी।